कार्नेलिया
सोराबजी का जन्म 15 नवम्बर 1866 को भारत मेँ महाराष्ट्र के नासिक मे एक पारसी
परिवार मे हुआ था। वो भारत की प्रथम महिला वकील (Advocate, barrister) थी। उनके नाम कई उपलब्धियां हैं जैसे वो भारत की बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने
वाली पहली युवती थी और लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने वाली पहली भारतीय
महिला भी थी। यानि की भारत एवं लंदन मे कानून की पढ़ाई एवं अभ्यास करने वाली प्रथम महिला।
सन 1892 मे कानून के अध्ययन के लिए विदेश गई थी ओर सन 1894 मे वापिस भारत
आई। उस वक्त महिलाओं को वकालत का अधिकार नहीं था पर सन 1907 मे कार्नेलिया सोराबजी ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम की अदालतों में
सहायक महिला वकील के पद पर कार्य
किया।
सन 1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील
के पद से सेवानिवृत्त हुईं। सन 1954 में कार्नेलिया का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
कार्नेलिया सोराबजी एक समाज सुधारक एवं लेखिका भी
थी। उन्होने कई पुस्तकों, लघुकथाओं एवं लेखों की रचना भी की।
जिनमे उनकी दो आत्मकथाएं-
इंडिया कॉलिंग (1934) और इंडिया रिकॉल्ड (1936) भी हैं।
सन 2012 मे उनके चेहरे की मूर्ति का अनावरण
Lincon's
Inn लंदन मे किया गया।
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