14 September 2019 डेली करंट अफेयर ऐतिहासिक जानकारी
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हरियाणा सामान्य ज्ञान
वर्धन वंश
वर्धन वंश का उदय पांचवी शताब्दी में हुआ और गुप्त वंश के अंत के बाद हुआ।
गुप्त वंश की स्थापना श्री गुप्त द्वारा की गई थी।
Kumar Gupt dwara Nalanda Vishwavidyalay ki sthapna ki Gai Patliputra mein कुमारगुप्त द्वारा पाटलिपुत्र में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। पाटलीपुत्र मगध वंश के शासक उदयिन बिंदुसार के पुत्र द्वारा बसाया गया था।कुमारगुप्त की हत्या हरियाणा में हुए फूलों के दूसरे आक्रमण के दौरान हुई। कुमारगुप्त के पुत्र स्कंद गुप्त द्वारा हरियाणा से हुणों को खदेड़ा गया था।
वर्धन वंश को पुष्यभूति वंश के नाम से भी जाना जाता है जिसकी स्थापना 550 ईस्वी में हुई थी, जिसकी राजधानी थानेसर थी, इसकी स्थापना पुष्यभूति के द्वारा की गई थी। यह वंश उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली वंश रहा है।
580 ई० में पुष्यभूति वंश के राजा प्रभाकर वर्धन बने, प्रभाकर वर्धन ने पुष्यभूति वंश को वर्धन वंश नाम दिया मतलब वर्धन वंश के वास्तविक संस्थापक प्रभाकर वर्धन थे।
प्रभाकर वर्धन की पत्नी का नाम यशोमती देवी था जो कि मालवा नरेश की पुत्री थी।
इसके 2 पुत्र थे राज्यवर्धन व हर्षवर्धन (हर्षवर्धन का जन्म 590 ईस्वी में हुआ)
और उनकी एक पुत्री का नाम था राजश्री था।
प्रभाकर वर्धन की मृत्यु हो गई 606 ईसवी में
राज्यवर्धन को राजा बनाया गया राज्यवर्धन ने अपनी बहन राजश्री का विवाह कन्नौज के शासक गृहवर्मा के साथ करवाया।
मालवा नरेश और गोंड वंश के राजा सशांक द्वारा मिलकर कन्नौज के ग्रहवर्मा पर आक्रमण किया गया।
सशांक ने बोधि वृक्ष को कटवा दिया था, शशांक एक हिंदू शासक था और गोंड/बंगाल का सम्राट था।
देवगुप्त ने गृहवर्मा की हत्या करके राजश्री को बंदी बना लिया और इसकी सूचना मिलने पर राज्यवर्धन ने कन्नौज पर आक्रमण कर दिया, दुर्भाग्यवश शशांक राज्यवर्धन की हत्या कर दी ।
वर्धन वंश के सेनापति के कहने पर हर्षवर्धन को राजा बनाया देवगुप्त की हत्या कर दी और राजश्री को छुड़ा लिया और शशांक वहां से भाग गया, कन्नौज को जीतने की खुशी में हर्षवर्धन द्वारा 606 ईस्वी में हर्ष संवत की शुरुआत की।
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