रामू कवि किसान के यात्रा वृत्तांत यत्र तत्र का हिस्सा
31.05.2021
हिसार से 31 मई 2021 को सुबह 5:00 बजे निकले और शिवानी झुंपा राजगढ़ सालासर और चुरू होते हुए नागौर के रास्ते जोधपुर पहुंचे।
जैसे ही हम हरियाणा से निकले और राजस्थान में प्रवेश किया वैसे तो रेत के टीले दिखाई देने लग गए थे और हमें लगा कि आगे जाकर बहुत गर्मी होगी और पानी नहीं मिलेगा परंतु राजगढ़ में ही हमें दो जगह पर मछली पालन करते हुए बड़े बड़े तालाब नजर आए और उसे क्षेत्र में और भी आसपास बहुत से मछली पालन केंद्र होंगे तो उनका यह नजारा हमने अपने कैमरे की वीडियो में कैद कर लिया आप देख सकते हैं कि कैसे मछलियों के तालाब में मछलियों के लिए पानी में हवा / ऑक्सीजन दी जाती है.
राजस्थान में लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन हो रहा था यहां पर लगभग हर जगह पर पुलिस तैनात थी और दर्शनीय तथा पर्यटन स्थलों पर भी लोक डाउन के दौरान विजिट करने पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसलिए हमें सिर्फ बाहर के दृश्यों को देखकर ही वापस लौटना पड़ा हम किले तक भी नहीं पहुंच पाए क्योंकि उस तरफ के दरवाजे भी बंद कर दिए गए थे सिर्फ कुछ प्राकृतिक दृश्य ही हमें रास्ते में दिखे और उनका आनंद लिया।
जैसे ही हरियाणा से राजस्थान की ओर बढ़े हमें लगा कि यहां पर रेत ही रेत होगा मरुस्थल में पीने का पानी तक नहीं मिलेगा परंतु हमारा अंदाजा गलत निकला राजस्थान के लगभग प्रत्येक गांव में पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी प्रत्येक गांव में बल्कि गांव से बाहर जहां पर उनका बस स्टैंड है वहां पर प्याऊ की उचित व्यवस्था थी। गांव के बाहर ऊंचाई वाले टिले पर जलघर का निर्माण सरकार द्वारा किया गया है और गांव के स्थानीय निवासियों द्वारा प्रत्येक गांव के बाहर पीने के पानी के मिट्टी के घड़े रखे गए हैं जिन को नियमित रूप से भरा जाता है और उनका रखरखाव भी रखा जाता है इसलिए हमें पीने के पानी की कोई अलग से व्यवस्था नहीं करनी पड़ी हमें रास्ते में पानी मिलता रहा और हम विश्राम करने के साथ-साथ वहीं पर पानी पीते और बोतल में भी रास्ते के लिए पानी भर लेते हैं।
जोधपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं और किले भी, यहां की शिल्पकारी और पत्थरों के नकाशी देखने लायक है यहां पर कई प्राचीन इमारतों के खंडहर भी देखे जा सकते हैं।
01.06.2021
रुपावास गांव पहुंचे रुपावास गांव में गांव से बाहर कुछ ढाणी अभी बनी हुई है यहां पर भी सरकार द्वारा मनरेगा स्कीम के तहत पीने के पानी के लिए कुओं की उचित व्यवस्था की गई है तथा सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए भी तालाब खुद बाय गए हैं जिसमें वर्षा का जल और आसपास में लूनी नदी की जलधारा से जल एकत्र किया जाता है और पूरे वर्ष भर उस जल का प्रयोग गांव के लोग करते हैं।
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय भेड़ बकरी पालन और गाय पालन है खाने में यहां के लोग गए हैं बाजरा और ज्वार का ही प्रयोग करते हैं।
|
रुपावास पाली में तालाब का निर्माण जिसके अंदर कुआं भी खुदा है |
वहां से फिर नेशनल हाईवे 162 पर हम सोजत की ओर बढ़े सोजत एक तहसील भी है राजस्थान में जिसको सोजत सिटी के नाम से जाना जाता है यह पाली जिले के अंतर्गत आता है। सोजत सिटी अरावली की पहाड़ियों से निकलने वाली सुकड़ी नदी के किनारे बसा है इस शहर में एक दुर्ग भी है और यहां पर ही ना यानी की मेहंदी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है यहां पर रास्ते में चढ़ती हुई गाय और सांड भी मिल जाते हैं और यहां के ग्रामीण इलाकों में और शहरों में भी गायों को पाला जाता है और लगभग प्रत्येक गांव में और शहर में आज के वक्त में पीने का पानी उपलब्ध है और रास्ते में भी स्थानीय निवासियों द्वारा पीने के पानी की उचित व्यवस्था की गई है शहरों में वाटर कूलर मिल जाते हैं और रास्ते में बहुत से प्याऊ बने हुए हैं तथा प्रत्येक गांव के बाहर भी मटके या मिट्टी के घड़े मिल जाते हैं जहां पर कोई भी अपनी प्यास बुझा सकता है।
प्राचीन काल में किस शहर को तम्रावती के नाम से जाना जाता था
रात को हम पाली जाकर रूके पाली भी राजस्थान का एक प्राचीन शहर है। यह कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है और यहां से देश तथा विदेश के विभिन्न हिस्सों में कपड़ा भेजा जाता है।
यहां पर कई दर्शनीय पर्यटन स्थल भी हैं जैसे लखोटिया का तालाब, लोडिया तालाब, बांगड़ म्यूजियम, नवलखा जैन मंदिर
देर रात मुझे पता चला कि आज दूध दिवस है तो मेरा भी दूध पीने का मूड हुआ मैंने दूध मंगाया और फिर उसके साथ एक सेल्फी लेकर व्हाट्सएप पर स्टेटस अपलोड कर दिया तो दोस्तों के मैसेज आए कि तुम कॉपी कर रहे हो किसी का मैसेज आया तुम एंजॉय कर रहे हो किसी का मैसेज आया पाली में क्या कर रहे हो ऐसे ही मनोरंजन करते हुए श्याम बीत गई
02.06.2021
रात को पाली में रुके थे सुबह में और दिनों की तरह ही बड़े आराम से उठे आलसी हो गए थे इन दिनों हम लोग डाउन के दौरान राजस्थान में काफी सख्ती की गई थी इसके बावजूद भी हम राजस्थान में काम के सिलसिले में गए थे तो साथ में सोच रहे थे कि राजस्थान भ्रमण भी हो जाए और कुछ दर्शनीय और पर्यटन स्थल भी देख लिए जाएं
परंतु 2 जून 2021 को हम पूरा दिन होटल में ही रुके रहे यह होटल भी बहुत बढ़िया था पीने के पानी की उचित व्यवस्था थी और खाना भी बढ़िया मिल रहा था जो कि पाली के नए बस स्टैंड के पास था
रात को काफी तेज आंधी के साथ बारिश भी हुई इसलिए यहां पर ठंड बढ़ गई थी हालांकि राजस्थान या रेगिस्तान वाली गर्मी हमें कहीं पर भी महसूस नहीं हुई
03.06.2021
कल रात को कहीं पर जाने का कोई खास प्लान नहीं बना था परंतु फिर भी हमने जालौर और सांचोर जिले की तरफ बढ़ना था तो इसीलिए हम रात को एक तैयारी करके सोए थे कि सुबह जल्दी निकल जाएंगे परंतु कोई काम नहीं होने की वजह से हम सुबह देरी तक इंतजार करते रहे
फिर हमने निकलने का प्लान बनाया और हम पाली छोड़कर जालौर की तरफ बढ़ गए रात को ही बारिश के कारण मौसम ठंडा था और सड़क के साथ-साथ खेतों में भी पानी पड़ा हुआ था कई जगह तो रास्ते में ढलान होने की वजह से सड़क भी इतनी ऊंची नीची बनाई गई थी कि वहां पर पानी आसानी से क्रॉस कर सके और वहां पर पानी अभी तक भी पड़ा था
चारों और हरियाली दिखाई दे रही थी साथ में इस क्षेत्र में गाय और भैंस करते हुए दिखाई दिए भद्रावास
राजस्थान में पाली से जिला जालौर की ओर जाते हुए रास्ते में रुपावास मामा के गांव पड़ता है जहां पर एक बहुत ही प्राचीन छतरिया है
इस प्राचीन छतरी के पास ही काला गोरा भैरव मंदिर है जहां पर एक तालाब भी बना हुआ है और लगभग पूरे वर्ष भर यहां पर पानी भरा रहता है
जो प्राचीन छतरी है उसके नजदीक ही एक बहुत प्राचीन हुआ है जिस कुएं में जाने के लिए सीढ़ियां हैं और बहुत ही अच्छी कलाकारी से पत्थरों से दो बुर्ज भी बनाए गए हैं जिन पर बैठकर राजाओं द्वारा गुप्त सभाएं की जाती थी
प्राचीन अद्भुत कुआं प्राचीन क्षत्रिय और काला गोरा भैरव मंदिर के अद्भुत दृश्य देखने के लिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर सकते हैं राजस्थान टूरिज्म राजस्थान पर्यटन स्थल प्राचीन स्थल गांव रुपावास जिला पाली
इस कुएं में जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हुई है और पूरे वर्ष यहां पर पानी भरा रहता है वर्षा का जल भी इसमें एकत्र किया जाता है प्राचीन काल में स्थानीय लोगों या राजा महाराजाओं ने इसे बनवाया होगा जो भी आज के राजस्थान के पर्यटन स्थलों में से एक है
रुपावास में पानी के भंडारण के लिए बने तालाब का दृश्य
श्याम को हम जालौर शहर में पहुंच चुके थे होटल में रूम लेकर घूमने के लिए निकले हमें अंदेशा था कि जोधपुर और पाली की तरह ही लॉकडाउन के चलते वहां पर पुलिस मिलेगी होना और हम शायद जालौर की पहाड़ी पर दुर्गे अकेले को नहीं देख पाएंगे परंतु फिर भी हिम्मत करके हम आगे बढ़े और चलते ही रहे और जब आगे गए वहां पर स्थानीय लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि ऊपर पुलिस चौकी भी है और वहां पर मस्जिद भी है हिंदू मंदिर भी है और जैन मंदिर भी है और वह महल को देखने देखते हैं
|
जालौर दुर्ग व पहाड़ी का दृश्य |
जालौर दुर्ग में कुल मिलाकर 5 दरवाजे बने गए हुए
जब हम नीचे शहर से पार्टी की तरफ जाते हैं तो इसमें लिखा हुआ है लाल बोलिए निखिल लाल दरवाजा यह लाल रंग में रंगा हुआ है और इसके अंदर लगभग सभी जातियों और धर्मों के लोग आदर और प्रेम से रहते हैं इसके ऊपर ऐतिहासिक दुर्ग है आगे पहाड़ी पर
|
जालौर दुर्ग के अंदर शिल्पकारी का दृश्य |
लालपुर से आगे जब जाते हैं और पहाड़ी पर चढ़ाई करते हैं तो आगे एक मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं छोटे छोटे फिर उसके आगे आता है सूर्य पोल और फिर उससे आगे जाकर ध्रुव पोल आता है और उससे आगे जाकर चांदपोल है
चांदपोल से जैसे ही आगे बढ़ते हैं तो यहां पर जैन मंदिर बना हुआ है हिंदू मंदिर है मस्जिद भी है
और सबसे ऊपर सिरे पोल है पोल का मतलब होता है दरवाजा या गेट
जालौर दुर्ग के महल के अंदर के दृश्य और कमरों की व्यवस्था तथा जल व्यवस्था और शिल्प कला के लिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं
No comments:
Post a Comment
Thanks for your valuable feedback. u may visit our site
www.csconlinework.co.in