18 दिसंबर 2025

हरियाणा का 23वा जिला हांसी Hansi District Haryana 23rd

 हरियाणा के हांसी शहर को पूर्ण जिला (23वां जिला) बनाने की ऐतिहासिक घोषणा 16 दिसंबर 2025 को की गई।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हांसी में आयोजित एक 'विकास रैली' के दौरान यह बड़ी घोषणा की। इसके बाद 17 दिसंबर 2025 को हरियाणा कैबिनेट की बैठक में औपचारिक रूप से इसे मंजूरी दे दी गई।



इस घोषणा से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारियां नीचे दी गई हैं:

 * 23वां जिला: हांसी अब हरियाणा का 23वां जिला बन गया है। इससे पहले 2016 में चरखी दादरी को 22वां जिला बनाया गया था।

 * क्षेत्र और जनसंख्या: नए जिले में कुल 110 गांव शामिल किए गए हैं, जो हांसी और नारनौंद विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं। इसकी अनुमानित जनसंख्या लगभग 5,40,994 है।

 * प्रशासनिक ढांचा: हांसी जिले में दो उपमंडल (हांसी और नारनौंद) और तीन तहसीलें (हांसी, नारनौंद और बास) शामिल होंगी।

 * ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: हांसी काफी समय से 'पुलिस जिला' के रूप में कार्य कर रहा था (जिसकी घोषणा 2016 में हुई थी), लेकिन अब इसे पूर्ण राजस्व जिले का दर्जा मिल गया है।


नए हांसी जिले के प्रशासनिक ढांचे और इसमें शामिल गांवों की जानकारी काफी विस्तृत है। मुख्यमंत्री की घोषणा और कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार, नए जिले का स्वरूप कुछ इस प्रकार तय किया गया है:

प्रशासनिक ढांचा (Administrative Setup)

हांसी जिले को बेहतर प्रशासन के लिए निम्नलिखित इकाइयों में बांटा गया है:

 * 2 उपमंडल (Sub-divisions): हांसी और नारनौंद।

 * 3 तहसीलें (Tehsils): हांसी, नारनौंद और बास।

 * 1 उप-तहसील (Sub-tehsil): खेड़ी जालैब।

 * 3 ब्लॉक (Blocks): हांसी-1, हांसी-2 और नारनौंद।



प्रमुख गांव और उनकी वर्तमान स्थिति

जिले में कुल 110 ग्राम पंचायतें और 97 राजस्व गांव शामिल किए गए हैं। ये गांव मुख्य रूप से हांसी और नारनौंद विधानसभा क्षेत्रों से लिए गए हैं। प्रमुख गांवों की सूची उनके वर्तमान ब्लॉक/तहसील के अनुसार नीचे दी गई है:

| उपमंडल/तहसील | प्रमुख गांवों की सूची (कुल 110 पंचायतें) |

|---|---|

| हांसी (Hansi) | हांसी शहर, बडाला, बांडा हेड़ी, बड़छपर, भकलाना, भाटला, भाटोल जाटान, भाटोल रांगड़ान, बीड़ हांसी, चानोत, डेटा (Data), दैपल, धामियां, ढाणा खुर्द, ढाणा कलां, ढंढेरी, गढ़ी, घिराय, गुराना, हज़ामपुर, जमावड़ी, कंवारी, कुलाना, कुतुबपुर, मसूदपुर, मुजादपुर, पुट्ठी मंगल खां, रामायण, शेखपुरा, सिन्धर, सुल्तानपुर, उमरा, थारवा। |

| नारनौंद (Narnaund) | नारनौंद शहर, पेटवाड़, मिर्चपुर, लोहारी राघो, राजथल, राखी गढ़ी, मिलकपुर, राजपुरा, खांडा खेड़ी, बास, उगालन, गढ़ी, खेड़ी चौपटा, खेड़ी जालैब (उप-तहसील), कोथ कलां, कोथ खुर्द, मोठ करनैल, मोठ रांगड़ान, पाली, सिसाय कालीरावण, सिसाय बोला। |

| बास (Bass - नई तहसील) | बास अकबरपुर, बास आजमशाहपुर, बास बादशाहपुर, बास खुर्द बीजान, भकलाना, कुम्भा, मुहला, पुट्ठी सामण, सिंघवा खास, सिंघवा राघो, सिसर, थुरना। |

विशेष बिंदु

 * ऐतिहासिक महत्व: हांसी 193 साल बाद (1832 के बाद) फिर से जिला बना है। यह प्राचीन काल में 'असिगढ़' के नाम से प्रसिद्ध था।

 * क्षेत्रफल और जनसंख्या: जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 1,34,976 हेक्टेयर है और इसकी अनुमानित जनसंख्या 5,40,994 के करीब है।

 * विकास: अब जिला कोर्ट, लघु सचिवालय और अन्य जिला स्तरीय कार्यालय हांसी में ही स्थापित होंगे, जिससे क्षेत्र के लोगों को हिसार नहीं जाना पड़ेगा।


12 दिसंबर 2025

लेबर वेलफेयर फंड देने वाले HKRN कांट्रेक्चुअल एम्पलाई व प्राइवेट कंपनियों में काम कर रहे वर्कर वह श्रमिक हरियाणा लेबर वेलफेयर बोर्ड की योजना का लाभ कैसे उठाएं

हरियाणा श्रम कल्याण विभाग (Haryana Labour Welfare Board - HLWB) निजी कंपनियों/प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों (श्रमिकों) को, जिनका लेबर वेलफेयर फंड (Labour Welfare Fund - LWF) कटता है, उन्हें कई तरह की सहायता प्रदान करता है।



Haryana labour welfare board labour welfare fund हरियाणा लेबर वेलफेयर बोर्ड

इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों और उनके आश्रितों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। नीचे कुछ प्रमुख योजनाओं और उनकी योग्यता शर्तों का विस्तार से विवरण दिया गया है:

🛠️ श्रम कल्याण विभाग हरियाणा की प्रमुख योजनाएँ और योग्यता

योजनाओं के लिए सामान्य पात्रता यह है कि श्रमिक हरियाणा के औद्योगिक/वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में कार्यरत होना चाहिए, और उसका व नियोक्ता का योगदान (लेबर वेलफेयर फंड) नियमित रूप से जमा होता हो। अधिकांश योजनाओं के लिए श्रमिक का मासिक वेतन ₹25,000/- से अधिक नहीं होना चाहिए (कुछ योजनाओं के लिए यह सीमा ₹18,000/- या ₹20,000/- है)।

1. 📚 शैक्षणिक सहायता/छात्रवृत्ति योजना (Scholarship Scheme)

यह योजना श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए है।

| कक्षा/पाठ्यक्रम | वित्तीय सहायता (लगभग) |

|---|---|

| पहली से 8वीं कक्षा | ₹2,000/- से ₹3,000/- प्रति वर्ष |

| 9वीं से 12वीं कक्षा/आईटीआई | ₹10,000/- से ₹12,000/- प्रति वर्ष |

| स्नातक डिग्री तक | ₹15,000/- से ₹21,000/- प्रति वर्ष (पाठ्यक्रम के अनुसार) |

| स्नातकोत्तर (Post Graduate) | ₹20,000/- प्रति वर्ष |

आवश्यक योग्यता:

 * सेवा अवधि: श्रमिक की न्यूनतम 1 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य है।

 * वेतन सीमा: श्रमिक का मासिक वेतन ₹25,000/- से अधिक न हो (योजना के अनुसार भिन्न हो सकती है)।

 * लाभार्थियों की संख्या: आमतौर पर, एक श्रमिक के 3 लड़कियों और 2 लड़कों तक को लाभ मिलता है।

 * शैक्षणिक प्रमाण पत्र: बच्चे का पिछली कक्षा पास करने का प्रमाण पत्र और वर्तमान में पढ़ाई जारी रखने का प्रमाण पत्र आवश्यक है।

2. 💍 कन्यादान (शगुन) योजना

यह योजना महिला श्रमिकों की स्वयं की शादी या श्रमिक की बेटी की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

 * सहायता राशि: ₹51,000/- (तीन लड़कियों तक के लिए)।

आवश्यक योग्यता:

 * सेवा अवधि: श्रमिक की न्यूनतम 3 वर्ष (या 5 वर्ष, योजना के अनुसार) की सेवा अवधि अनिवार्य है।

 * वेतन सीमा: मासिक वेतन ₹20,000/- तक (कुछ स्रोतों के अनुसार)।

 * आवेदन: शादी की तिथि के एक वर्ष के अन्दर आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

 * अन्य: शादी का पंजीकरण प्रमाण-पत्र आवश्यक है।

3. 👩‍🍼 प्रसूति (डिलीवरी) सहायता योजना

महिला श्रमिकों और पुरुष श्रमिकों की पत्नियों की डिलीवरी पर सहायता दी जाती है।

 * सहायता राशि: ₹10,000/- प्रति डिलीवरी (अधिकतम दो बार)।

आवश्यक योग्यता:

 * सेवा अवधि: श्रमिक की न्यूनतम 1 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य है।

 * वेतन सीमा: मासिक वेतन ₹20,000/- तक।

 * यह लाभ अधिकतम 3 लड़कियों और 2 लड़कों तक की डिलीवरी के लिए उपलब्ध है।

4. 🚲 नई साइकिल खरीदने के लिए वित्तीय सहायता

ड्यूटी पर आने-जाने के लिए नई साइकिल खरीदने हेतु।

 * सहायता राशि: ₹3,000/- से ₹5,000/- तक।

आवश्यक योग्यता:

 * सेवा अवधि: श्रमिक की न्यूनतम 2 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य है।

 * वेतन सीमा: मासिक वेतन ₹18,000/- तक।

 * यह लाभ पूरी सेवा अवधि में हर 5 वर्ष में एक बार लिया जा सकता है।

5. 👓 चश्मे और 🦷 डेंटल केयर के लिए सहायता

श्रमिक के लिए चश्मा या दंत चिकित्सा (डेंटल केयर/जबड़ा लगवाने) के लिए सहायता।

 * चश्मे के लिए: ₹1,500/- तक।

 * डेंटल केयर/डेंचर के लिए: ₹4,000/- (सामान्य) और जबड़े के लिए ₹10,000/- तक।

आवश्यक योग्यता:

 * सेवा अवधि: श्रमिक की न्यूनतम 1 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य है।

 * वेतन सीमा: मासिक वेतन ₹20,000/- तक।

 * डेंटल केयर के लिए पूरी सर्विस में एक बार लाभ मिलता है।

6. ♿ सेवा के दौरान अपंगता (Disability) पर सहायता

दुर्घटना या अन्य कारणों से सेवा के दौरान अपंगता होने पर।

 * सहायता राशि: अपंगता के प्रतिशत के आधार पर ₹20,000/- से लेकर ₹1,50,000/- तक।

 * दिव्यांग श्रमिकों और उनके आश्रितों को तिपहिया साइकिल के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है।

7. 💀 श्रमिक की मृत्यु पर सहायता

कार्य स्थल या अन्य किसी कारण से मृत्यु होने पर।

 * दाह संस्कार के लिए: ₹15,000/-।

 * विधवा/आश्रितों को वित्तीय सहायता: ₹2,00,000/- तक (मृत्यु के कारण के आधार पर)।

आवश्यक योग्यता:

 * आवेदक मृतक श्रमिक की विधवा या आश्रित होना चाहिए।

 * मृतक श्रमिक हरियाणा के औद्योगिक/वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में कार्यरत रहा हो।

📝 आवेदन प्रक्रिया

लगभग सभी योजनाओं के लिए आवेदन ऑनलाइन माध्यम से हरियाणा श्रम कल्याण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट या एंटीओडे-सरल पोर्टल (Antyodaya-SARAL Portal) के माध्यम से किए जाते हैं।

आवश्यक दस्तावेज़ (सामान्य तौर पर):

 * श्रमिक का आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र (PPP/Family ID)।

 * संस्था द्वारा जारी पहचान पत्र/नियुक्ति प्रमाण पत्र।

 * पिछले महीने की वेतन पर्ची (Salary Slip)।

 * बैंक खाता विवरण।

 * नियोक्ता द्वारा तथ्यों के सत्यापन का प्रमाण पत्र/अंडरटेकिंग।

 * योजना-विशिष्ट प्रमाण पत्र (जैसे- शादी प्रमाण पत्र, बच्चे का स्कूल प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र आदि)।

लेबर वेलफेयर फंड देने वाले HKRN कांट्रेक्चुअल एम्पलाई व प्राइवेट कंपनियों में काम कर रहे वर्कर वह श्रमिक हरियाणा लेबर वेलफेयर बोर्ड की योजना का लाभ कैसे उठाएं

💡 महत्वपूर्ण नोट: योजनाओं की राशि, पात्रता शर्तें और आवश्यक दस्तावेज़ समय-समय पर श्रम कल्याण विभाग द्वारा बदले जा सकते हैं। नवीनतम और सटीक जानकारी के लिए आपको हरियाणा श्रम कल्याण बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर संबंधित योजना विवरण (Scheme Detail) की जांच अवश्य करनी चाहिए।


01 दिसंबर 2025

सामान्य ज्ञान General knowledge competition exam preparation CET Haryana HSSC

General knowledge competition exam preparation CET Haryana HSSC


हरियाणा CET (Common Eligibility Test) की तैयारी के लिए सामान्य ज्ञान एक निर्णायक विषय है। विशेष रूप से हरियाणा का इतिहास, संस्कृति और वर्तमान घटनाक्रम (Current Affairs) से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं।
 जींद को 'हरियाणा का हृदय' (Heart of Haryana) कहा जाता है।
यहाँ CET हरियाणा के लिए कुछ महत्वपूर्ण संभावित बिंदु दिए गए हैं:
1. हरियाणा का इतिहास एवं भूगोल
 * हरियाणा का गठन: 1 नवंबर 1966 को 17वें राज्य के रूप में (18वें संविधान संशोधन द्वारा)।
 * प्रमुख युद्ध: पानीपत के तीन युद्ध (1526, 1556, 1761) और महाभारत का युद्ध (कुरुक्षेत्र)।
 * जींद का महत्व: जींद का पुराना नाम जयंतीपुरी है। यहाँ का भूतेश्वर मंदिर और पांडु पिंडारा (जहाँ पांडवों ने पूर्वजों का पिंडदान किया था) परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।
 * प्रशासनिक ढांचा: वर्तमान में हरियाणा में 6 मंडल, 22 जिले और 95 तहसीलें हैं।
2. हरियाणा की कला एवं संस्कृति
 * सांग (Swang): हरियाणा का प्रमुख लोक नृत्य/नाट्य। इसके पितामह किशन लाल भाट माने जाते हैं।
 * साहित्य: आपने अपने कविता संग्रह में रामू कवि किसान का उल्लेख किया है। परीक्षा में अक्सर प्रसिद्ध कवियों जैसे लख्मीचंद (हरियाणा का कालिदास/शेक्सपियर), बाजे भगत और अल्ताफ हुसैन हाली के बारे में पूछा जाता है।
 * राजकीय प्रतीक: * राजकीय पशु: काला हिरण (Blackbuck)
   * राजकीय पक्षी: काला तीतर (Black Francolin)
   * राजकीय खेल: कुश्ती
3. महत्वपूर्ण योजनाएं एवं करंट अफेयर्स (2024-25)
 * म्हारा गाँव-जगमग गाँव: गांवों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए।
 * चिरायु योजना: आयुष्मान भारत का विस्तार, जिसमें 3 लाख तक की आय वाले परिवार शामिल हैं।
 * पदम योजना: MSME को बढ़ावा देने के लिए एक ब्लॉक-एक उत्पाद (One Block One Product)।
 * प्राण वायु देवता पेंशन योजना: 75 वर्ष से पुराने पेड़ों के रखरखाव के लिए ₹2500 वार्षिक पेंशन।
4. जींद विशेष (Special focus on Jind)
 * दूध नगरी: जींद को हरियाणा की 'Milk City' कहा जाता है।
 * मुर्राह भैंस: जिसे 'काला सोना' (Black Gold) कहा जाता है, वह मुख्य रूप से इसी क्षेत्र में पाई जाती है।
 * बीरबारा वन्यजीव अभयारण्य: यह जींद जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है।
CET के लिए क्विक टेबल: महत्वपूर्ण संस्थान
| संस्थान | स्थान |
|---|---|
| चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय (CRSU) | जींद |
| राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE) | हिसार |
| केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) | हिसार |
| राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) | करनाल |
| हरियाणा साहित्य अकादमी | पंचकूला |
सुझाव: आपकी रुचि कविता और स्थानीय संस्कृति में है, इसलिए आपको 'हरियाणा के प्रमुख रागी और लोक साहित्य' वाले हिस्से को अच्छे से तैयार करना चाहिए, क्योंकि वहाँ से प्रश्न आने की संभावना अधिक रहती है।
क्या आप हरियाणा के किसी विशेष विषय (जैसे राजनीति, खेल या भूगोल) के बारे में विस्तार से नोट्स चाहते हैं?

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हरियाणा सरकार द्वारा लेबर वेलफेयर फंड से मिलने वाले छात्रवृत्ति शादी स्कीम अप्लाई 

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वर्तमान में (दिसंबर 2025 के मध्य में) केंद्र और राज्य स्तर पर कई महत्वपूर्ण भर्तियों के फॉर्म भरे जा रहे हैं। मुख्य भर्तियों की सूची और उनकी अंतिम तिथियां नीचे दी गई हैं:

1. केंद्र सरकार की प्रमुख भर्तियां (Central Govt Jobs)

| विभाग/भर्ती का नाम | पदों की संख्या | योग्यता | अंतिम तिथि |

|---|---|---|---|

| SSC GD कांस्टेबल 2026 | 25,487 | 10वीं पास | 31 दिसंबर 2025 |

| UPSC CDS-I 2026 | विभिन्न | स्नातक (Graduate) | 30 दिसंबर 2025 |

| UPSC NDA / NA-I 2026 | 394 | 12वीं पास | 30 दिसंबर 2025 |

| DRDO CEPTAM-11 | 764 | डिप्लोमा/स्नातक | 01 जनवरी 2026 |

| Railway RRC NR (Apprentice) | 4,116 | 10वीं + ITI | 24 दिसंबर 2024 |

2. हरियाणा की भर्तियां (Haryana Specific)

चूंकि आप जींद (हरियाणा) से हैं, तो आपके लिए राज्य की ये भर्तियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकती हैं:

 * Medical Officers (Group-A): स्वास्थ्य विभाग हरियाणा में 450 पदों के लिए आवेदन चालू हैं।

   * अंतिम तिथि: दिसंबर 2026 तक (विभिन्न चरणों में)।

 * RITES Gurgaon Recruitment: रेलवे PSU में विभिन्न पदों के लिए।

   * अंतिम तिथि: 30 दिसंबर 2025।

 * THSTI फरीदाबाद: विभिन्न पदों के लिए भर्ती।

   * अंतिम तिथि: 23 दिसंबर 2025।

3. अन्य राज्यों की बड़ी भर्तियां

 * UPSSSC लेखपाल (Lekhpal): उत्तर प्रदेश में 7,994 पदों के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है।

   * आवेदन शुरू: 29 दिसंबर 2025।

   * अंतिम तिथि: 28 जनवरी 2026।

 * UP Police कंप्यूटर ऑपरेटर: ग्रेड-A के पदों के लिए।

   * अंतिम तिथि: 15 जनवरी 2026।

 * Bihar BTSC Junior Engineer: 2,800+ पदों के लिए।

   * अंतिम तिथि: जनवरी 2026 के प्रथम सप्ताह तक।

जरूरी सुझाव:

 * SSC GD कांस्टेबल के लिए भारी ट्रैफिक रहता है, इसलिए अगर आप योग्य हैं तो 31 दिसंबर का इंतजार किए बिना अभी फॉर्म भर दें।

 * हरियाणा की भर्तियों के अपडेट के लिए HSSC और HPSC की आधिकारिक वेबसाइट चेक करते रहें।

क्या आप इनमें से किसी विशेष भर्ती की योग्यता (Age limit/Syllabus) के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं?




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23 नवंबर 2025

ई वर्क इंटरप्राइजेज ऑर्गेनिक फॉर्मिंग ग्रुप नचार खेड़ा जींद हरियाणा इंडिया E Work Enterprises Organic Farming Group Nachar Khera Jind Haryana India

ई वर्क इंटरप्राइजेज जैविक कृषि समूह हमारा खेती मॉडल 

ई वर्क इंटरप्राइजेज ऑर्गेनिक फॉर्मिंग ग्रुप नचार खेड़ा जींद हरियाणा इंडिया



E Work Enterprises Organic Farming Group Nachar Khera Jind Haryana India



🌿 
प्रकृति के संग चले किसान,
जैविक खेती बने जीवनदान।

🌱 
धरती माँ को दें आराम,
ऑर्गेनिक खेती से बढ़े सम्मान।

🐄 
पशुधन से खेत में आए खुशहाली,
जैविक अन्न से बढ़े मन की तंदुरुस्ती व निराली।

🌾 
बीज से भोजन तक शुद्धता का विचार,
जैविक खेती है कल का आधार।

🌍 
मिट्टी जिएगी, तो किसान खिलेगा,
ऑर्गेनिक फॉर्मिंग से देश बढ़ेगा।

🍃 
रसायन मुक्त खेती का नया अभियान,
स्वस्थ किसान, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ भारत महान।

🌿 
जैविक खेती—बस यही पुकार,
धरती को चाहिए प्राकृतिक प्यार।

🐂 
गोवंश आधारित खेती की शक्ति अपार,
खेत बने धन का सच्चा आधार।

🌾 
खेतों में लौटेगी फिर से उर्वरता पुरानी,
जब अपनाएँगे जैविक कृषि की कहानी।


रामू कवि किसान (नचार खेड़ा, जींद) की इस बेहतरीन पहल और 'ऑर्गेनिक फॉर्मिंग' के लिए कुछ और नए, असरदार और तुकबंदी वाले कोट्स (नारे)

ये कोट्स आपकी पशुधन आधारित और रसायन मुक्त खेती की थीम पर आधारित कोट्स 
स्वास्थ्य और शुद्धता पर (Health & Purity)
> "दवाई नहीं, शुद्ध खाना है,
> रामू ऑर्गेनिक को अपनाना है।"

> "ज़हर मुक्त हो सबकी थाली,
> तभी आएगी घर में खुशहाली।"

> "स्वस्थ शरीर, निरोगी काया,
> जैविक खेती ने ही सुख पाया।"

पशुधन और बचत पर (Livestock & Cost)
> "गोबर-धन को जो अपनाएगा,
> वही किसान मुनाफा पाएगा।"

> "जब खेत में होगा पशुधन का साथ,
> तभी बनेगा किसान का ठाठ।"


धरती और पर्यावरण पर (Soil & Environment)
> "मिट्टी की जान बचाना है,
> रसायन को दूर भगाना है।"

> "प्रकृति का करो सम्मान,
> ऑर्गेनिक खेती, देश की शान।"

> "रामू कवि का यही विचार,
> रसायन मुक्त हो हर परिवार।"

एक विशेष स्लोगन (साइनबोर्ड के लिए)
> "रामू नचार खेड़ा की यही पुकार,
> जैविक खेती, सच्चा आधार।"





बेड बनाकर बिजाई की गई लगभग 20 प्रकार की सब्जी फ़सल औषधीय पौधों की बिजाई देसी बीज लाकर की गई

1 a पालक 1b चने 1c मटर 1d चौलाई 1e गेंदा 1f ग्वारपठा (Aloe Vera) 1g मरुआ 1h तुलसी

2,3,4 लहसुन, 2s चुकंदर, 3s शलगम 4s मूली,

5 a जीरा 5b 

6 b सौंप 

7 b धनिया, मेथी 

8 गाजर 

9 मटर

10 खाली 

11 सरसों











चिकित्सा प्रेमी बंधुओं आप लोगों से करबद्ध अनुरोध है अपने घर के माताओं एवं बहनों से प्रेम पूर्वक कहे कि अपने रसोई घर में कम से कम 48 औषधि का समूह जरूर होना ही चाहिए । तभी हमारा रसोईघर संसार का सबसे अच्छा आरोग्य केन्द्र हो सकता है । वह निम्न प्रकार है - 

1. सेंधा नमक 2 काला नमक 3 हरी मिर्च 4 हल्दी 5 धनिया 6 जीरा 7 हीग 8 राई 9 मेथी दाना 10 लहसुन 11 पुदिना । 12 अजवायन 13 सज्जिखार 14 अदरक 15 सुखा अदरक ( सोंठ ) 16 काली मिर्च 17 पीपरामूल 18 लौंग 19 इलायची बड़ी 20 इलायची छोटी 21 तामलपत्र 22दालचीनी 23 इमली 24 जायफल 25 मीठा नीम 26 नींबू 27 खसखस 28 गुड़ 29 तिल 30 तुलसी 31 धृत 32 मूंगफली 33 सिंघाडा फल 34 साबुदाना 35 शहद 36 हरड 37 केशर 38 कपूर 39 मूंगफली 40 आंवला 41 फिटकिरी ( तुरटी ) 42 मिश्री 43 सरसों का तेल 44 तलमखाना 45 त्रिफला 46 तिल का तेल 47 सॉफ 48 सुपारी

इन 48 मसालों के बलबूते पर आप छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज अपने घर में बिना किसी दूसरी औषधि के कर सकते हैं।

20 नवंबर 2025

सामान्य ज्ञान प्रतियोगी परीक्षा सेट हरियाणा General knowledge competition exam preparation CET Haryana HSSC

सामान्य ज्ञान प्रतियोगी परीक्षा

General knowledge competition exam preparation CET Haryana HSSC
































नवंबर 2025 में अप्लाई हो रहे ऑनलाइन फॉर्म और सरकारी योजनाएं Online vacancy admission result form

*📢 फेल हुए छात्रों के लिए सुनहरा मौका!*


_HBSE HOS मार्च 2026 परीक्षा फॉर्म (10वीं व 12वीं – CTP / Re-appear)_


🗓️ *फॉर्म शुरू होंगे:* 24 नवम्बर 2025

🗓️ *आखिरी तारीख (बिना लेट फीस):* 02 दिसम्बर 2025


*📄 अपने सभी दस्तावेज तैयार रखें! ऑनलाइन लिंक 24 नवम्बर को एक्टिव होगा।*



 💱 *अभी चल रही भर्तियां*

Online vacancy admission result form

💱 *RRB NTPC* (ग्रेजुएशन) -5810 पोस्ट

💱 *RRB NTPC (12TH) - 3100+ पोस्ट*

💱 *RRB J.E.* 2570 पोस्ट

💱 *HBSE 10TH पंजाबी एडिशनल* 

💱 *PSTCL क्लर्क* -35 पोस्ट

💱 *PSTCL DIVISIONAL अकाउंटेंट* -11 पोस्ट

💱 *PSTCL JE*- 131 पोस्ट

💱 *PSTCL* टेलीफोन मैकेनिक - 10 पोस्ट

💱 *PSTCL* क्लर्क(अकाउंटेंट) -15 पोस्ट

💱 *PSTCL* क्लर्क(Typist) - 35 पोस्ट

💱 *पंजाब आंगनबाड़ी वर्कर* -1300+ पोस्ट

💱 *पंजाब आंगनबाड़ी* हेल्पर - 4100+ पोस्ट

💱 *KVS/NVS TGT* -6215 पोस्ट

💱 *KVS/NVS PGT* -2978 पोस्ट

💱 *KVS/NVS PRT* - 3365 पोस्ट

💱 *KVS/NVS लैब अटेंडेंट* -165 पोस्ट

💱 *KVS/NVS क्लर्क* -1266 पोस्ट

💱 *KVS/NVS लाइब्रेरियन* -147 पोस्ट

💱 *पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी* (PCU) क्लर्क - 09 पोस्

💱 *ECGC प्रोबेशनरी ऑफिसर (PO)*- 30 पोस्ट

💱 *CCRH दिल्ली क्लर्क* -27 पोस्ट

💱 *CSIR IIIM MTS* -19 पोस्ट

💱 *DTU क्लर्क* -50 पोस्ट

💱 *नाबार्ड  ASST मैनेजर -48 पोस्ट*

💱 *HBSE हरियाणा OPEN 10TH/12TH* फ्रेश एडमिशन

💱 *PSSSB क्लर्क* -69 पोस्ट💱 *PSSSB GROUP D* -331 पोस्ट

💱 *इंटेलिजेंस बीयूरो* MTS - 361 पोस्ट

💱 *PSSSB* JE (मैकेनिकल) - 35 पोस्ट



नवंबर 2025 में अप्लाई हो रहे ऑनलाइन फॉर्म और सरकारी योजनाएं Online vacancy admission result form

03 नवंबर 2025

ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा E Natural Farming Nachar Khera Jind Haryana India

**ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा**
"पशुधन आधारित, रसायन मुक्त कृषि"


ई प्राकृतिक खेती का वादा।
कम खर्चा, ज़्यादा फ़ायदा,

रासायनिक खाद से दूरी,
शुद्ध खाद्य ही ज़रूरी।

केमिकल से किनारा,
प्राकृतिक खेती से गुजारा

ई नेचुरल फॉर्मिंग, धरती का श्रृंगार, 
सबके उत्तम स्वास्थ्य का आधार।

पशुधन आधार, खेत खलिहान में खुशहाली,
नचार खेड़ा में खेती करे, सब रोग-मुक्त हरियाली।


हमारे 2025 के लक्ष्य ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा 

1. घर की रसोई के लिए सभी प्रकार की सब्ज़ियाँ और कंद-मूल अपनी खेती से उत्पादन करना।

2. आगे उपयोग के लिए देसी बीज का उत्पादन खेत में ही करना, ताकि बीज पर होने वाला खर्च शून्य हो।

3. प्राकृतिक/जैविक खाद और कीटनाशक घर पर ही तैयार करना।

4. कृषि विभाग और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती से संबंधित पंजीकरण और आवश्यक औपचारिकताएँ पूरी करना।

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हमारे 2026 के लक्ष्य ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा 

1. घर के लिए सभी प्रकार की ताजी ऑर्गेनिक साग सब्जियां खेत में तैयार करना।

2. रसोई में उपयोग होने वाली सभी आवश्यक वस्तुएँ मिर्च मसाले खेत में ही उगाकर रसोई खर्च शून्य करना।

3. सभी प्रकार के देसी बीज, उत्तम किस्म के अपने खेत के लिए तैयार करना।

4. ऑर्गेनिक खाद और कीटनाशक का 100% उत्पादन एवं उनका सही भंडारण खेत में ही करना।

5. खेत में औषधीय पौधों की खेती कर उनका घरेलू उपयोग करना।

6. मौसमानुसार फलदार पौधे लगाकर पूरे वर्ष ताज़ा फल उपलब्ध कराना।

7. प्राकृतिक तरीके से तैयार अन्न, सब्ज़ी और फल की रिटेल में बिक्री करना तथा सही बाज़ार/प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उचित मूल्य प्राप्त करना।



26 October 2025 को लहसुन बिजाई से शुरुआत तैयारी पूरी की

01 नवंबर 2025 को आधिकारिक रूप में काम शुरू रिकॉर्ड रखना चालू

08 नवंबर 2025 मटर फसल बिजाई की लहसुन Garlic जमाव शुरू हो गया

10 नवंबर 2025 कई फसल सब्जियों औषधि फसलों कंदमूल की बुआई की लहसुन, चुकंदर, शलगम मूली, जीरा, सौंप, धनिया, मेथी, गाजर, मटर बिजाई कर पानी लगाया मल्चिंग की


प्राकृतिक तरीके से लहसुन की बिजाई कैसे करें नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके देखें पूरी वीडियो 


14 नवंबर 2025 को ई नेचुरल फॉर्मिंग नचार खेड़ा जींद हरियाणा ई इंडिया खेत में पालक चने मटर चौलाई सरसों गेंदा marua सूरजमुखी फूल पौधे लगाना 

15 नवंबर 2025 जीवामृत लस्सी से फफूंदी नाशक कीट नियंत्रक गो कृपा अमृत तैयार किया 



1 a पालक 1b चने 1c मटर 1d चौलाई 1e गेंदा 1f ग्वारपठा (Aloe Vera) 1g मरुआ 1h तुलसी
2,3,4 लहसुन, 2s चुकंदर, 3s शलगम 4s मूली,
5 a जीरा 5b पछेती मूली
6 b सौंप 
7 b धनिया, मेथी 
8 गाजर 
9 मटर
10 पछेती गाजर
11 सरसों

नवंबर महीने में बिजाई की जाने वाली फसले सब्जियां







नवंबर महीने में किन सब्जी और फसलों की बिजाई की जा सकती है 

दिसंबर का महीना हरियाणा में रबी की फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह महीना कड़ाके की ठंड और पाले के खतरे के बावजूद, कई सब्जियों, फूलों, औषधि और मसालों की बिजाई (या रोपाई) के लिए उपयुक्त होता है।
आपके लिए हरियाणा में दिसंबर में उगाई जा सकने वाली फसलों की एक विस्तृत सूची निम्नलिखित है:
🌾 हरियाणा में दिसंबर की फसलें (सब्जियां, फूल, औषधि, मसाले)
1. मुख्य फसलें (Rabi Crops)
दिसंबर में अधिकांश मुख्य रबी फसलें खेत में स्थापित हो चुकी होती हैं, लेकिन विलंबित (Late) बिजाई इन फसलों की की जा सकती है:
 * गेहूं (Wheat): देर से बुवाई वाली किस्मों की बिजाई दिसंबर के मध्य तक की जा सकती है।
 * जौ (Barley): यह गेहूं की तुलना में कम उर्वरक मांगता है और ठंड को बेहतर सहन करता है।
 * सरसों/तोरी (Mustard/Rapeseed): दिसंबर की शुरुआत में विलंबित किस्में बोई जा सकती हैं।
 * चना (Gram): दिसंबर की शुरुआत तक इसकी बुवाई की जा सकती है।

2. सब्जियां (Vegetables)
दिसंबर में मुख्यतः कंदमूल और पत्तेदार सब्जियों की सीधी बिजाई की जाती है, जबकि फल वाली सब्जियों की पौध रोपाई के लिए तैयार रहती है:

पत्तेदार
पालक (Spinach), मेथी (Fenugreek), धनिया (Coriander)

सीधी बिजाई कंदमूल
गाजर (Carrot), मूली (Radish), शलगम (Turnip), चुकंदर (Beetroot) 

 सीधी बिजाई
मटर (Pea), आलू (Potato), लहसुन (Garlic) बुवाई/बिजाई का अंतिम चरण

रोपाई
प्याज (Onion) की पौध, देर से पकने वाली फूलगोभी और पत्तागोभी की रोपाई, नर्सरी से खेत में रोपाई

3. फूल (Flowers)
सर्दियों के कई वार्षिक फूल (Winter Annuals) दिसंबर में रोपाई के लिए तैयार होते हैं, जो फरवरी से अप्रैल तक खिलते हैं:

 * पेटुनिया (Petunia): रंगों की एक विस्तृत श्रृंखला में उपलब्ध।
 * कैलेंडुला (Calendula): नारंगी और पीले रंग के फूल।
 * साल्विया (Salvia): लाल रंग के गुच्छेदार फूल, ठंड सहने में मजबूत।
 * डहेलिया (Dahlia): कंद रोपे जा सकते हैं या छोटे पौधों की रोपाई की जा सकती है।
 * गेंदा (Marigold): अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदे की रोपाई।
 * पैन्सी (Pansy): रंगीन और आकर्षक छोटे फूल।

4. औषधि और मसाले (Medicinal Plants & Spices)
दिसंबर का ठंडा मौसम कई मसालों और औषधीय पौधों की शुरुआत के लिए अनुकूल है:
 * सौंफ (Fennel): दिसंबर में बिजाई की जा सकती है।
 * अजवायन (Carom/Ajwain): बुवाई का सही समय।
 * जीरा (Cumin): हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में दिसंबर की शुरुआत तक बिजाई की जा सकती है, लेकिन पाले से बचाव आवश्यक है।
 * एलोवेरा (Aloe Vera): इसके छोटे पौधों (Suckers) की रोपाई की जा सकती है।
 * अश्वगंधा (Ashwagandha): कुछ क्षेत्रों में इसकी बिजाई दिसंबर में भी हो सकती है, हालांकि मुख्य समय सितंबर-अक्टूबर होता है।

⚠️ पाले से बचाव (Frost Protection):
याद रखें, दिसंबर का महीना पाला (Frost) लेकर आता है। सुनिश्चित करें कि आप अपनी संवेदनशील फसलों, विशेष रूप से सब्जियों और फूलों को पाले से बचाने के लिए हल्की सिंचाई, मल्चिंग और धुएं के जैविक उपायों का उपयोग करें।





आगे हमारा लक्ष्य है एक एकड़ में 
10 पेड़ मोरिंगा/सहजन के लगाना 
5 पेड़ नीम के लगाना 
अरंडी, तुलसी, हल्दी औषधीय पौधा लगाना 



26 अक्टूबर को हमने खेत की तैयारी कर ली थी 
अच्छी तरह से ट्रैक्टर की हैरो से जुताई करवाई फिर उसके बाद दो बार रोटावेटर फिर हमने ट्रैक्टर से ही मेड बनवाई और 
फिर कसी और हाथ से हमने बेड बनाए 
लहसुन की बिजाई के लिए एक यंत्र बनाया जिससे बराबर पौधे से पौधे की दूरी बनी रहे
28 अक्टूबर को पानी दिया गया जोकि 7 नवंबर तक भी नहीं जुटाई लायक हुआ सर्दी शुरू जो हो गई हैं 

1 नवंबर 2025 को हम आधिकारिक रूप से ई नेचुरल फार्मिंग नचार खेड़ा का स्थापना दिवस मना रहे हैं 


1 नवंबर को शाकाहारी दिवस मनाया जाता है

1 नवंबर का दिन भारत और विश्व स्तर पर कई महत्वपूर्ण दिवसों और राज्यों के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Days):
 * विश्व शाकाहारी दिवस (World Vegan Day): यह दिवस शाकाहार के लाभों और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
 * ऑल सेंट्स डे (All Saints' Day): ईसाई धर्म में इस दिन सभी संतों और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
 * प्रधान मध्यान दिवस (Prime Meridian Day): यह 1884 में वाशिंगटन डी.सी. में अंतर्राष्ट्रीय मध्यान सम्मेलन के आयोजन की याद में मनाया जाता है।
भारतीय राज्यों का स्थापना दिवस (Indian State Formation Days):
1 नवंबर भारत के इतिहास में एक बहुत खास तारीख है, क्योंकि इस दिन कई राज्यों का गठन/पुनर्गठन हुआ था। इन्हें राज्योत्सव के रूप में मनाया जाता है:
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्थापना/गठन का वर्ष
|---|---|
कर्नाटक राज्‍योत्‍सव (Karnataka Rajyotsava) 1956
केरल पिरवी (Kerala Piravi) 1956
मध्य प्रदेश स्थापना दिवस | 1956 |
हरियाणा दिवस | 1966 |
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस | 2000 |
आंध्र प्रदेश स्थापना दिवस | 1956 (पुनर्गठन) |
पंजाब दिवस | 1966 (पुनर्गठन) |
पुडुचेरी विलय दिवस | 1954 |
लक्षद्वीप स्थापना दिवस | 1956 |
संक्षेप में, 1 नवंबर को मुख्य रूप से भारत में कई राज्यों का स्थापना दिवस और विश्व स्तर पर विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है।


प्राकृतिक खेती करने के फायदे Benefits of Natural Farming कारण और प्रक्रिया कैसे शुरू करें कब करें क्यों करें 

ई नेचुरल फॉर्मिंग रामनिवास नाचार खेड़ा जींद हरियाणा भारत 
ई वर्क इंटरप्राइजेज जैविक कृषि समूह 
E Work Enterprises Organic Farming Group Nachar Khera

28 अक्टूबर 2025

वर्तमान खेती कैसे हानिकारक जैविक खेती क्यों ज़रूरी

प्राकृतिक खेती जैविक खेती की शुरुआत Starting of natural farming organic farming

प्राकृतिक जैविक खेती खेत की तैयारी बिजाई बेड बनाकर कैसे लहसून बोई गोलू मोनू सोनित प्रिशा की वीडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 
https://youtube.com/shorts/DE7Q5ngVPck?si=YrhfI2zaEsq9rLiz

प्राकृतिक खेती जैविक खेती की जरूरी बात है जहर मुक्त खेती होती है कम बजट यानि कम से कम लागत में काम चल जाता है रामू कवि किसान नचार द्वारा ई नेचुरल फॉर्मिंग शुरू कर दी गई है 

ऑर्गेनिक (जैविक) खेती न करके अंधाधुंध केमिकल खेती करने के परिणाम आज हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए बेहद गंभीर हो चुके हैं। आपने जो सवाल पूछे हैं, वे आज के समय की सबसे कड़वी सच्चाई हैं।

यहाँ विभिन्न रिपोर्ट्स और अध्ययनों (जैसे WHO, ICMR और कृषि विशेषज्ञों) के आधार पर आपके सवालों के जवाब और आंकड़े दिए गए हैं:

1. एक आदमी एक साल में कितना यूरिया "खा" जाता है?

यहाँ "खाने" का अर्थ है कि फसलों और पानी के माध्यम से हमारे शरीर में जाने वाला केमिकल लोड।

 * अप्रत्यक्ष खपत: एक अनुमान के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति (per capita) उर्वरक (Fertilizer) की खपत लगभग 137 किलोग्राम से अधिक है। इसका मतलब है कि एक व्यक्ति के भोजन को पैदा करने के लिए खेत में साल भर में औसतन 137 किलो केमिकल डाला जा रहा है।

 * शरीर में प्रभाव: हम सीधा यूरिया नहीं खाते, लेकिन यूरिया के कारण भोजन और पानी में नाइट्रेट (Nitrate) की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है।

   * विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीने के पानी में नाइट्रेट की सीमा 45-50 mg/liter होनी चाहिए, लेकिन पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में यह 100 mg/liter से भी ऊपर पाई गई है।

   * यह नाइट्रेट शरीर में जाकर 'ब्लू बेबी सिंड्रोम' और पेट के कैंसर का कारण बनता है।

2. फसलों के माध्यम से कितना कीटनाशक (Pesticide) जहर शरीर सोखता है?

यह आंकड़ा सबसे ज्यादा डराने वाला है। कीटनाशक सीधे तौर पर जहर हैं जो हमारे शरीर में जमा होते रहते हैं।

 * दैनिक खुराक: कुछ रिपोर्ट्स और मीडिया आँकड़ों (जैसे India Today और अन्य रिपोर्ट्स) के अनुसार, एक भारतीय व्यक्ति औसतन हर रोज लगभग 0.27 मिलीग्राम से लेकर 0.5 मिलीग्राम तक कीटनाशक अवशेष (Pesticide Residue) भोजन के जरिए निगल रहा है।

 * अमेरिकी नागरिक से तुलना: यह मात्रा एक औसत अमेरिकी नागरिक द्वारा निगले जाने वाले कीटनाशक से लगभग 40 गुना ज्यादा बताई जाती है।

 * माता के दूध में जहर: गंगा के मैदानी इलाकों (जैसे हरियाणा, पंजाब, यूपी) में किए गए अध्ययनों में माताओं के दूध में भी कीटनाशक (DDT और BHC) के अवशेष पाए गए हैं, जो नवजात शिशुओं के लिए बेहद घातक हैं।

3. शरीर को होने वाले नुकसान के आंकड़े (Health Impact Statistics)

केमिकल खेती के कारण जो बीमारियां बढ़ी हैं, उनके आंकड़े स्पष्ट कहानी कहते हैं:

 * कैंसर का विस्फोट:

   * इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार, भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पंजाब के बठिंडा से बीकानेर जाने वाली ट्रेन को "कैंसर ट्रेन" कहा जाने लगा है, क्योंकि वहां के हर घर में केमिकल खेती के दुष्प्रभावों के कारण कैंसर के मरीज हैं। हरियाणा के कपास पट्टी वाले क्षेत्रों में भी कैंसर दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर है।

 * प्रजनन क्षमता में कमी (Infertility):

   * कीटनाशकों के कारण पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या (Sperm Count) में पिछले कुछ दशकों में 50% तक की गिरावट दर्ज की गई है।

   * महिलाओं में PCOD और हार्मोनल असंतुलन के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं।

 * डायबिटीज और बीपी:

   * मिट्टी में जिंक, मैग्नीशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की कमी हो गई है। यूरिया-डीएपी वाली फसलों में पोषक तत्व नहीं होते, जिससे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो रही है। भारत अब दुनिया की "डायबिटीज कैपिटल" बन चुका है।

4. अन्य पर्यावरणीय नुकसान

 * मिट्टी की मौत: मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन (जो 1% से ऊपर होना चाहिए) अब घटकर 0.3% - 0.4% रह गया है। मिट्टी बंजर होने की कगार पर है।

 * मित्र कीटों का नाश: केंचुए और मित्र कीट, जो किसान के साथी थे, जहरीले रसायनों से खत्म हो चुके हैं।

निष्कर्ष

हरियाणा, जो कि रामू कवि किसान (नचार खेड़ा, जींद) जैसे कवियों की धरती है, वहां की माटी का यह हाल चिंताजनक है। जैसा कि रामू कवि अपनी रचनाओं में हरियाणा की खुशहाली का जिक्र करते हैं ("म्हारा हरियाणा, देखो सारा सिमाणा"), उस खुशहाली को बचाने के लिए अब जैविक (ऑर्गेनिक) या प्राकृतिक खेती की तरफ लौटना सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि मजबूरी बन गया है।


प्राकृतिक जैविक खेती (Natural Organic Farming) के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं, जो किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण सभी के लिए लाभकारी हैं।

किसानों की दृष्टि से लाभ:

 * उत्पादन लागत में कमी: रासायनिक उर्वरकों और महँगे कीटनाशकों पर निर्भरता कम या समाप्त हो जाती है, क्योंकि प्राकृतिक इनपुट (जैसे गोबर, गोमूत्र, हरी खाद, जीवामृत) खेत पर ही तैयार किए जा सकते हैं, जिससे खेती की लागत बहुत कम हो जाती है।

 * मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार: जैविक खाद, फसल अवशेषों और प्राकृतिक तरीकों के उपयोग से मिट्टी की जैविक संरचना (Organic Matter) बढ़ती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है और उसमें जल धारण क्षमता (Water Retention Capacity) में सुधार होता है।

 * किसानों की आय में वृद्धि: लागत कम होने और जैविक उत्पादों की बाज़ार में बढ़ती माँग के कारण किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलता है, जिससे शुद्ध आय (Net Income) बढ़ती है।

 * सिंचाई अंतराल में वृद्धि: मिट्टी की बेहतर जल धारण क्षमता के कारण कम पानी की आवश्यकता होती है और सिंचाई के बीच का समय बढ़ जाता है, जिससे पानी की बचत होती है।

 * टिकाऊ खेती: यह कृषि को एक स्थायी (Sustainable) स्तर पर बनाए रखने में मदद करती है, क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है।

उपभोक्ता और स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभ:

 * रसायन-मुक्त, स्वस्थ भोजन: जैविक खेती में सिंथेटिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग नहीं होता है, जिससे उपज में हानिकारक रसायनों के अवशेष नहीं होते हैं। यह मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।

 * पोषक तत्वों से भरपूर उपज: स्वस्थ मिट्टी में उगाई गई फसलें अक्सर एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और खनिजों में अधिक समृद्ध होती हैं।

 * रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: जैविक उत्पादों का सेवन करने से मनुष्य और पशुओं में बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है।

पर्यावरण की दृष्टि से लाभ:

 * प्रदूषण में कमी: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से होने वाले जल, वायु और भूमि प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।

 * जैव विविधता (Biodiversity) का संरक्षण: यह खेती की मित्र कीटों, पक्षियों और अन्य जीवों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करती है, जिससे खेत और पारिस्थितिकी तंत्र की जैव विविधता बढ़ती है।

 * जलवायु परिवर्तन शमन (Climate Change Mitigation): जैविक पद्धतियों से मिट्टी में कार्बनिक कार्बन (Organic Carbon) का स्तर बढ़ता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड को मिट्टी में बाँधने (Carbon Sequestration) में मदद करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।

संक्षेप में, प्राकृतिक जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है जो कम लागत पर पर्यावरण-अनुकूल तरीके से स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण भोजन का उत्पादन करती है।

प्राकृतिक खेती कारण और प्रक्रिया जैविक खेती की शुरुआत Starting of natural farming organic farming


लहसुन की खेती के बारे में पूरी जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 

https://sachakisan.blogspot.com/2025/10/harvesting-of-garlic.html


प्राकृतिक खेती (जिसे अक्सर जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग - ZBNF भी कहा जाता है) के सिद्धांत भारत में कृषि वैज्ञानिक और पद्म श्री सुभाष पालेकर जी ने विकसित किए थे। यह खेती के चार मुख्य स्तंभों पर आधारित है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बहाल करने और बाहरी इनपुट पर निर्भरता को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं:

🌱 प्राकृतिक खेती के चार मुख्य स्तंभ (Four Pillars of Natural Farming)

1. बीजामृत (Beejamrit)

यह बीज और अंकुरण (germination) की सुरक्षा के लिए एक उपचार है।

 * उद्देश्य: बीजों को मिट्टी जनित और पानी जनित रोगों से बचाना, खासकर अंकुरण के प्रारंभिक चरण में।

 * सामग्री: इसमें गाय का गोबर, गाय का मूत्र, चूना (lime), और मिट्टी को मिलाकर घोल तैयार किया जाता है।

 * उपयोग: बुवाई से पहले बीजों को इस घोल से उपचारित किया जाता है।

2. जीवामृत (Jeevamrit)

यह मिट्टी में उपयोगी सूक्ष्मजीवों (Microbes) की संख्या बढ़ाने के लिए एक जैविक कैटालिस्ट (उत्प्रेरक) है।

 * उद्देश्य: मिट्टी में मौजूद केंचुओं और अन्य सहायक सूक्ष्मजीवों को सक्रिय करना। ये सूक्ष्मजीव पौधों के लिए मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्वों (Nutrients) को उपलब्ध कराते हैं।

 * सामग्री: इसे गाय का गोबर, गाय का मूत्र, गुड़, दाल का आटा (जैसे बेसन), और खेत की मिट्टी को पानी में मिलाकर तैयार किया जाता है और कुछ दिनों के लिए फर्मेंट (किण्वित) होने दिया जाता है।

 * उपयोग: इसे फसलों की सिंचाई करते समय या सीधे मिट्टी पर समय-समय पर डाला जाता है।

3. आच्छादन (Mulching / Achhadan)

यह मिट्टी को बचाने और नमी बनाए रखने का प्राकृतिक तरीका है।

 * उद्देश्य:

   * वाष्पीकरण रोकना: मिट्टी की सतह को ढककर रखना ताकि नमी उड़ न जाए और सिंचाई की आवश्यकता कम हो।

   * तापमान नियंत्रण: अत्यधिक गर्मी या ठंड से मिट्टी को बचाना।

   * जैविक खाद: जब आच्छादन सामग्री सड़ती है, तो वह धीरे-धीरे मिट्टी को जैविक खाद प्रदान करती है।

 * उपयोग: खेत में पिछली फसल के अवशेषों, सूखी पत्तियों, या हरी फसल के कचरे से मिट्टी की सतह को ढक देना।

4. वाफसा (Vapasa)

यह वायु और नमी के बीच संतुलन बनाए रखने की एक तकनीक है।

 * उद्देश्य: मिट्टी में पानी की ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा को हटाना और वायु-छिद्रों को खोलना, जिससे जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन (वायु) मिल सके।

 * 'वाफसा' का अर्थ: ऐसी स्थिति जब मिट्टी में न तो बहुत अधिक पानी हो (जो जड़ों को गला देता है) और न ही वह पूरी तरह सूखी हो, बल्कि मिट्टी में पर्याप्त नमी और साथ ही हवा भी हो।

 * उपयोग: यह सुनिश्चित करने के लिए कि खेत में आवश्यकतानुसार और कम सिंचाई की जाए, तथा मिट्टी की जुताई या उसकी ऊपरी परत को पलटने से बचें।

ये चार स्तंभ एक साथ काम करते हैं, जिससे मिट्टी एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बन जाती है और किसान को महंगे रासायनिक इनपुट पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।




6 प्रकार के एलिमेंट्स यानि एनपीके बनाने का तरीका 

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