हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा haryanatet.in
HTET 2021 अप्लाई ऑनलाइन हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा अप्लाई करें
हरियाणा विद्यालय बोर्ड भिवानी द्वारा अध्यापक पात्रता परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गई है
फार्म भरने start 10 नवंबर 2021 से
Last Date 10 दिसंबर 2021
Written Test Exam Date 18 & 19 December 2021
HTET के लिए सिलेबस, आयु और योग्यता
आयु 18 से 42 वर्ष
Level Of HTET
PRT – Primary Teacher for Class 1 to 5
TGT- Trained Graduate Teacher for Class 6 to 10
PGT- Post Graduate Teacher for Class 9 to 12
Application Fee for HTET
General 1000 1800 2400
SC/PH 500 900 1200
Out of Haryana 1000 1800 2400
Educational Qualifications for HTET
PRT/JBT Level-1 - 12th pass with 50% marks or Graduate with pass or Appearing in D.Ed/B.EI.Ed.
Hindi/Sanskrit as a Subject in Matric Class.
TGT Level-2 - Graduate with 50% marks in related subject with B.ed
PGT Level-3 - Post Graduate with 50% marks in relevent Subject and with B.Ed
HTET 2021 ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
Haryana Teacher Eligibility Test (HTET) 2021 Apply Online November 2021
HBSE द्वारा लिए जाने वाले HTET अप्लाई करने के लिए डेट बढ़ गई है अब 10 दिसंबर 2021 तक कर सकेंगे अप्लाई htet 2021 online apply
एचटैट 2021 ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
मोबाइल नंबर
ईमेल आईडी
ताजा पासपोर्ट साइज फोटो
शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज
कैटेगरी सर्टिफिकेट जाति प्रमाण पत्र
बाल विकास और शिक्षाशास्त्र
मात्रात्मक योग्यता, तर्क और सामान्य जागरूकता
गणित और पर्यावरण अध्ययन
उम्मीदवारों द्वारा चुना गया विषय (सामाजिक अध्ययन / विज्ञान / गणित / अन्य)
HTET STET Exam Syllabus
Child Development and Pedagogy
Quantitative Aptitude, Reasoning and General Awareness
Mathematics and Environmental Studies
Subject Opted by the Candidates (Social Studies/ Science/ Mathematics/ Others)
अप्लाई करने के लिए कुछ विशेष बातें ध्यान रखना आवश्यक है जैसे कि फोटो ताजा होना चाहिए और उसकी बैकग्राउंड सफेद होनी चाहिए हस्ताक्षर साफ होने चाहिए और बाएं हाथ का अंगूठा भी साफ अपलोड करना है
Before proceeding to fill the Application form, please ensure that you have the following information ready at hand:
Valid E-mail ID and Mobile/Phone number (These are essential for registration and subsequent communication).
Credit Card/Debit Card/Netbanking facility.
Personal details
Valid Photo ID (as mentioned in the Prospectus): This ID (in original) is required to be produced on the day of examination. (Only Aadhar Card)
Scanned/digital image of recent colour size photograph with white background (Click here for Instructions)
Image of signature (Click here for Instructions)
If applicable,
Category Certificate
Required Qualification/Experience Certificate
11 दिसंबर 2020 से 13 दिसंबर 2020 के बीच त्रुटियों को ठीक किया जा सकता है यानी कि सुधार किया जा सकता है यदि कोई गलती हो जाए तो उसके बाद सुधार की कोई अनुमति नहीं होगी और एचटेट का पेपर 1 व 2 जनवरी 2021 को होगा
Haryana Teacher Eligibility Test
HTET date has increased to apply, now you can apply till December, apply htet 2020 online
To apply, there are some special things to keep in mind, such as the photo must be fresh and its background should be white, the signature must be clean and the thumb of the left hand is also uploaded cleanly.
हरियाणा की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं उनसे सी हरियाणा पुलिस ग्रुप डी का धारक हरियाणा पुलिस कांस्टेबल एस ग्राम शिव पटवारी तथा HTET CTET HSSC आदि परीक्षाओं में पूछे जा सकने वाले हिंदी भाषा के अलंकार
अलंकार के मुख्य भाग
अर्थालंकार
शब्दालंकार
उभयालंकार
अर्थालंकार
1- उपमा - जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है। जैसे -
हरिपद कोमल कमल से ।
हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !
2- रूपक - जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है ! जैसे -
अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी ।
आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !
3- उत्प्रेक्षा - उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ! जैसे -
मुख मानो चन्द्रमा है ।
यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !
इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !
4- विभावना - जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !जैसे -
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।
वह ( भगवान ) बिना पैरों के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !
5- भ्रान्तिमान - उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है ! जैसे -
नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?
यहां नाक में तोते का और दन्त पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !
6- सन्देह - जहां उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे -
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।
7- व्यतिरेक - जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !जैसे -
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !
8- असंगति - कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ! जैसे -
हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !
9- प्रतीप - प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है ! जैसे -
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।
सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !
शब्दालंकार
1- अनुप्रास - जहां पर शब्दों के बार-बार आवृत्ति होने के कारण चमत्कार उत्पन्न हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है
2- यमक अलंकार - जहां पर किसी शब्द के दो बार आवृत्ति हो और दोनों ही बार शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न हो वहां पर यमक अलंकार होता है जैसे
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय
या पाय बोराए जग या खाए बोराए
उभयालंकार
1- श्लेष - श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपकना जहां पर 1 शब्द का 7 कई अर्थ चिप के हों यानि कि एक शब्द के दो या अधिक अर्थ निकले वहां पर श्लेष अलंकार होता है जैसे
अलंकार के मुख्य भाग
अर्थालंकार
शब्दालंकार
उभयालंकार
अर्थालंकार
1- उपमा - जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है। जैसे -
हरिपद कोमल कमल से ।
हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !
2- रूपक - जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है ! जैसे -
अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी ।
आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !
3- उत्प्रेक्षा - उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ! जैसे -
मुख मानो चन्द्रमा है ।
यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !
इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !
4- विभावना - जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !जैसे -
बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।
वह ( भगवान ) बिना पैरों के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !
5- भ्रान्तिमान - उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है ! जैसे -
नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है, सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?
यहां नाक में तोते का और दन्त पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !
6- सन्देह - जहां उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे -
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।
7- व्यतिरेक - जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !जैसे -
का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !
8- असंगति - कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ! जैसे -
हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !
9- प्रतीप - प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है ! जैसे -
सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।
सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !
शब्दालंकार
1- अनुप्रास - जहां पर शब्दों के बार-बार आवृत्ति होने के कारण चमत्कार उत्पन्न हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है
2- यमक अलंकार - जहां पर किसी शब्द के दो बार आवृत्ति हो और दोनों ही बार शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न हो वहां पर यमक अलंकार होता है जैसे
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय
या पाय बोराए जग या खाए बोराए
उभयालंकार
1- श्लेष - श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपकना जहां पर 1 शब्द का 7 कई अर्थ चिप के हों यानि कि एक शब्द के दो या अधिक अर्थ निकले वहां पर श्लेष अलंकार होता है जैसे