सारा हरियाणा यहां समाणा by रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद
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- हरियाणा का इतिहास, प्राचीन काल मध्य काल
- हरियाणा पुरातात्विक स्थल, संरक्षित स्मारक और संग्रहालय किले
- हरियाणा की शरुआत, गठन अलग राज्य, प्रशासनिक व्यवस्था जिले तहसील, गांव
- स्थानीय स्वशासन ग्राम पंचायत नगरीय व्यवस्था ब्लॉक समिति नगर परिषद जिला परिषद नगर निगम
- हरियाणा की भगोलिक स्थिति और विस्तार, हरियाणा का मौसम जलवायु ऋतु और तापमान
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- हरियाणा का प्रत्येक जिला संक्षिप्त अध्ययन
- हरियाणा के प्रसिद्ध व्यक्ति ऐतिहासिक राजनीतिज्ञ समाजसेवी सैनिक फौजी
24. हरियाणा के प्रमुख अनुसंधान संस्थान
25. हरियाणा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं महिला एवं बाल विकास से संबंधित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय स्वास्थ्य से संबंधित, छात्रों से संबंधित छात्रवृत्ति, रोजगार संबंधित, खेती बाड़ी व कृषि किसान कल्याण योजना
26. हरियाणा की न्याय व्यवस्था, कल्याणकारी समाधान आयोग, पुलिस प्रशासन, जिला जेल पुलिस थाने, कानून व्यवस्था अपराध रोकथाम
27.
28. हरियाणा की करंट अफेयर्स ताजा आंकड़े और जानकारी
1. हरियाणा का इतिहास History of Haryana
Haryana ka itihaas prachin rig Vaidik itihaas madhyakalin British kalin swatantrata purv
हरियाणा का इतिहास बहुत प्राचीन और गौरवपूर्ण है, जो वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक कई महत्वपूर्ण घटनाओं और परिवर्तनों का गवाह रहा है।
हरियाणा का शाब्दिक अर्थ है विष्णु भगवान का निवास, भगवान श्रीकृष्ण की क्रीडा स्थली
हरि+आना
संस्कृत भाषा में हरियाणाका अर्थ है हर+आयणा हर हर महादेव भगवान शिव का निवास
1. प्राचीन काल (वैदिक और सिंधु घाटी सभ्यता)
सीसवाल सभ्यता हरियाणा की एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक सभ्यता है। यह हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित है। यह सभ्यता हड़प्पा सभ्यता से भी पुरानी मानी जाती है। यहां से मिले अवशेष बताते हैं कि यह एक ग्रामीण सभ्यता थी, जिसमें लोग खेती और पशुपालन करते थे। इस काल के अवशेष लगभग 3800 ईसा पूर्व के आसपास के हैं। यहां से मिट्टी के बर्तन, औजार और मनके मिले हैं, जो उस समय के जीवन को दर्शाते हैं।
* वैदिक काल हरियाणा में
- ऋग्वेद: इस प्राचीन ग्रंथ में हरियाणा को "रज हरियाणे" या "राजन्त हरियाणा" कहा गया है।
- मनुस्मृति: इसमें हरियाणा को "ब्रह्मावर्त" कहा गया है। जिसका अर्थ है ब्रह्म ऋषि का प्रदेश या ब्रह्मा की उत्तर वेदी।
- महाभारत: महाभारत में हरियाणा को "बहुधान्यक" कहा गया है, जिसका अर्थ है "अनाज की भूमि" या "समृद्ध भूमि"। यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध था। इसीलिए महाभारत युद्ध के साथ ही कृषि योग्य की शुरुआत भी मानी जाती है। महाभारत का दूसरा नाम जय संहिता भी है। महर्षि वेदव्यास ने लिखा था और इसमें एक लाख श्लोक है। भारत का युद्ध 900 ईसा पूर्व लड़ा गया था जो की 18 दिन चला था, ज्योतिसर के पास, वट वृक्ष के नीचे भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था। महाभारत युद्ध के 13वें दिन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को आमीन गांव में चक्रव्यूह में फंसाया गया था और जयद्रथ के द्वारा वध कर दिया गया था।
- वामन पुराण: इस ग्रंथ में हरियाणा को "कुरु जंगल" के रूप में वर्णित किया गया है और इसमें यहाँ के सात जंगलों का उल्लेख है।
- पंचविश ब्राह्मण: इसमें इस प्रदेश को "ब्रह्मवेदी" के नाम से संबोधित किया गया है।
- शतपथ ब्राह्मण और ऐतरेय ब्राह्मण: इन ग्रंथों में इस क्षेत्र को "कुरु-प्रदेश" कहा गया है।
* सिंधु घाटी सभ्यता: हरियाणा सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र था जोकि लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैली थी। पहले HSSC के अनुसार 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व इसका काल माना गया है। राखीगढ़ी और बनावली जैसे पुरातात्विक स्थल इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहाँ लगभग 5000 साल पहले भी एक उन्नत सभ्यता थी। सर्वप्रथम सन 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा की खोज की थी।
1. राखीगढ़ी (हिसार)
राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है, जो हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। यह स्थल दृशद्वती यानी चेतांग नदी के किनारे बसा हुआ था। इसकी खोज 1963 में हुई थी, लेकिन बड़े पैमाने पर उत्खनन 1997-1999 के दौरान अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया। यहाँ पर एक नियोजित शहर के अवशेष मिले हैं, जिसमें पक्की ईंटों के घर, सड़कों का जाल और एक उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली शामिल है।
कंकाल: यहाँ से दो महिलाओं के कंकाल मिले हैं, जिनके हाथों में शंख की चूड़ियाँ थीं।
आभूषण: एक 5000 साल पुरानी ज्वेलरी बनाने की फैक्ट्री और सोने के आभूषण बनाने के प्रमाण मिले हैं।
अन्य अवशेष: टेराकोटा की मूर्तियाँ, मोहरें, मिट्टी के बर्तन और तांबे के उपकरण भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं।
2. बनावली (फतेहाबाद)
बनावली फतेहाबाद जिले में स्थित है और यह एक परिपक्व-हड़प्पा कालीन स्थल है। यह प्राचीन सरस्वती नदी के किनारे स्थित था। इसकी खोज 1974 में आर.एस. बिष्ट ने की थी।
हल की प्रतिकृति: यहाँ से पक्की मिट्टी (टेराकोटा) से बना हुआ एक खिलौना हल मिला है, जो कृषि के महत्व को दर्शाता है।
जौ के अवशेष: उत्तम किस्म के जौ के दाने यहाँ से प्राप्त हुए हैं, जो उस समय की उन्नत कृषि का प्रमाण है।
सड़कें और जल निकासी: यहाँ पर भी सड़कों और नालियों के अवशेष मिले हैं, लेकिन राखीगढ़ी की तरह यह उतना सुव्यवस्थित नहीं था।
हरियाणा में सिंधु घाटी सभ्यता के कई अन्य छोटे-बड़े स्थल भी हैं, जिनमें मित्ताथल भिवानी, कुणाल (फतेहाबाद), भगवानपुर (कुरुक्षेत्र) और फरमाना खास (रोहतक) शामिल हैं। कुणाल से सोने के आभूषण और चांदी की वस्तुएं मिली हैं, जबकि फरमाना खास से एक कब्रगाह के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
बौद्ध काल छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में हरियाना का क्षेत्र दो प्रमुख महाजनपदों, कुरु और पांचाल, के अधीन था।
- कुरु महाजनपद: इसमें आधुनिक हरियाणा (कुरुक्षेत्र का क्षेत्र) और दिल्ली के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा शामिल था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ (आधुनिक दिल्ली) थी।
- पांचाल महाजनपद: यह महाजनपद मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बरेली, बदायूँ और फर्रुखाबाद जिलों के आसपास स्थित था, लेकिन इसका प्रभाव हरियाणा के कुछ हिस्सों तक भी था। इसकी दो राजधानियाँ थीं - उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र (आधुनिक बरेली के पास) और दक्षिणी पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी।
मौर्य काल में हरियाणा क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था।
चन्द्रगुप्त मौर्य (322-298 ईसा पूर्व): चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इस विस्तार में उत्तरी भारत का अधिकांश भाग शामिल था, जिसमें हरियाणा भी आता था।
अशोक (268-232 ईसा पूर्व): सम्राट अशोक के शासनकाल के सबसे स्पष्ट प्रमाण हरियाणा में मिलते हैं। यमुनानगर जिले के टोपरा कलां गाँव से अशोक का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मिला था, जिसे बाद में फिरोज शाह तुगलक दिल्ली ले गया था। इसके अलावा, सुघ (यमुनानगर) और हिसार-फतेहाबाद जैसे स्थानों से मौर्यकालीन स्तूपों और बौद्ध धर्म से संबंधित अवशेषों की खोज हुई है, जो दर्शाती है कि अशोक के शासनकाल में हरियाणा में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रभाव था।
बिन्दुसार का शासनकाल लगभग 298 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक था। इस दौरान, उन्होंने अपने पिता द्वारा स्थापित साम्राज्य को बनाए रखा और उसका विस्तार किया।
बृहद्रथ (187-185 ईसा पूर्व): बृहद्रथ मौर्य वंश के अंतिम शासक थे। उनकी हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थी, जिसके बाद शुंग वंश का उदय हुआ। हरियाणा के सुध (यमुनानगर-जगाधरी) से शुंगकालीन मूर्तियाँ मिली हैं, जो मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद इस क्षेत्र में शुंगों के प्रभाव को दर्शाती हैं।
कुषाण काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग था, जो ईसा की पहली शताब्दी से तीसरी शताब्दी तक चला। यहाँ मितातल (भिवानी) की खुदाई में कुषाण काल के सोने व तांबे के सिक्के प्राप्त हुए हैं, जो यहाँ के पहली सदी से तीसरी सदी तक हरियाणा के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।
गुप्त साम्राज्य का शासनकाल भारत में 319 ईस्वी से 550 ईस्वी तक था। हरियाणा में गुप्तों का प्रत्यक्ष नियंत्रण समुद्रगुप्त के शासनकाल (335-375 ईस्वी) के दौरान शुरू हुआ, जब उन्होंने यौधेय गणराज्य को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। हरियाणा में गुप्तकालीन मुद्रा (सिक्के) मुख्य रूप से दो स्थानों से मिली हैं:
* मितातल (भिवानी): यहाँ की खुदाई में समुद्रगुप्त काल के सोने के सिक्के मिले हैं।
* जगाधरी (यमुनानगर): इस स्थान से भी समुद्रगुप्त के काल के सोने के सिक्कों का एक बड़ा भंडार मिला है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यहाँ से 60 से अधिक सोने के सिक्के प्राप्त हुए थे।
पुष्यभूति वंश, जिसे वर्धन वंश के नाम से भी जाना जाता है, इस वंश की स्थापना छठी शताब्दी ईस्वी में गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद हुई थी।
वंश का इतिहास और प्रमुख शासक:
* संस्थापक: इस वंश की स्थापना पुष्यभूति ने हरियाणा के थानेश्वर (आधुनिक थानेसर) नामक स्थान पर की थी।
* प्रभाकरवर्धन: प्रभाकरवर्धन इस वंश का पहला महत्वपूर्ण और शक्तिशाली शासक था, जिसने 'परमभट्टारक' और 'महाराजाधिराज' जैसी उपाधियाँ धारण की थीं।
* राज्यवर्धन: प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद उनका बड़ा पुत्र राज्यवर्धन शासक बना, लेकिन उसकी हत्या बंगाल के शासक शशांक ने कर दी थी।
* हर्षवर्धन: राज्यवर्धन की मृत्यु के बाद, उसका छोटा भाई हर्षवर्धन (606-647 ईस्वी) मात्र 16 वर्ष की आयु में सिंहासन पर बैठा। हर्षवर्धन इस वंश का सबसे महान शासक था। उसने अपनी बहन राज्यश्री को मालवा के शासकों से मुक्त कराया और कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। हर्षवर्धन के शासनकाल में ही चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत (629 से 645) आया था। ह्वेनसांग हरियाणा में 635 से 642 ई तक रहा ने अपनी पुस्तक सी यू की में भारत की तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत वर्णन किया है।
2. मध्यकाल
* हर्षवर्धन का शासन: 606 ईस्वी में, थानेसर (कुरुक्षेत्र) के राजा हर्षवर्धन ने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर अपना शासन स्थापित किया। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद, यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र बन गया।
* दिल्ली सल्तनत और मुग़ल काल: 12वीं शताब्दी में, तराइन (तरावड़ी) के युद्ध हरियाणा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थे। यहाँ पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी के बीच युद्ध हुए। इन युद्धों के बाद, दिल्ली सल्तनत और बाद में मुग़ल शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। दिल्ली पर अधिकार के लिए कई निर्णायक लड़ाइयाँ हरियाणा की धरती पर लड़ी गईं।
* पानीपत के युद्ध: पानीपत का मैदान तीन महत्वपूर्ण युद्धों का गवाह बना:
* पहला युद्ध (1526): बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, जिसने भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी।
* दूसरा युद्ध (1556): अकबर और हेमू के बीच।
* तीसरा युद्ध (1761): मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच।
3. ब्रिटिश काल और 1857 का विद्रोह
* ब्रिटिश शासन: 1803 में, हरियाणा का क्षेत्र ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में, हरियाणा के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
* पंजाब प्रांत का हिस्सा: 1857 के विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने हरियाणा को पंजाब प्रांत में मिला दिया। यह कदम हरियाणा की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को दबाने के लिए उठाया गया था, और यह 1966 तक पंजाब का हिस्सा बना रहा।
4. आधुनिक काल और हरियाणा का गठन
* पंजाब से अलगाव की मांग: 1947 में भारत की आजादी के बाद, हरियाणा को एक अलग राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी। यह मांग भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर थी।
* राज्य का गठन: एक लंबे संघर्ष के बाद, 1 नवंबर, 1966 को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत हरियाणा को एक अलग राज्य का दर्जा मिला। जब हरियाणा का गठन हुआ, तब इसमें केवल 7 जिले थे।
हरियाणा का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यहाँ की मिट्टी ने वैदिक ऋषियों के ज्ञान, महाभारत के शौर्य और कई निर्णायक युद्धों के रक्त को अपने अंदर समाहित किया है।
2. हरियाणा पुरातात्विक स्थल, संरक्षित स्मारक और संग्रहालय किले
भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय कौन सा है - इंडियन म्यूजियम कोलकाता में
हरियाणा पुरातात्विक स्थलों, संरक्षित स्मारकों, संग्रहालयों और किलों के लिए एक समृद्ध इतिहास रखता है। यहाँ कुछ प्रमुख स्थानों की सूची दी गई है:
प्रमुख पुरातात्विक स्थल
* राखीगढ़ी (हिसार): यह सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल माना जाता है और लगभग 6500 ईसा पूर्व की पूर्व-हड़प्पा बस्ती का स्थल है। यहाँ से शहरी नियोजन, वास्तुकला और शिल्प कला के प्रमाण मिले हैं।
* मिताथल (भिवानी): यह भी एक हड़प्पा सभ्यता का स्थल है जहाँ खुदाई से अच्छी तरह से जले हुए मिट्टी के बर्तन, ज्यामितीय डिजाइन और अन्य कलाकृतियां मिली हैं।
* हर्ष का टीला (कुरुक्षेत्र): यह कुरुक्षेत्र का एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है।
संरक्षित स्मारक
* बू-अली शाह कलंदर का मकबरा (पानीपत): यह चिश्ती संप्रदाय के संत शेख शराफुद्दीन बू अली कलंदर को समर्पित एक 700 साल पुराना मकबरा है।
* जल महल (नारनौल): इसका निर्माण 1591 में अकबर के जागीरदार शाह कुली खान ने करवाया था। यह एक जल निकाय के बीच में बना एक सुंदर स्मारक है।
* इब्राहिम लोदी का मकबरा (पानीपत): यह पानीपत के पहले युद्ध में मारे गए इब्राहिम लोदी का मकबरा है।
* शेरशाह सूरी के दादा का मकबरा (नारनौल): यह इब्राहिम सूरी का मकबरा है, जिसे शेरशाह सूरी ने बनवाया था।
हरियाणा के ऐतिहासिक संग्रहालय
* राजकीय पुरातात्विक संग्रहालय राखीगढ़ी में स्थित है।
* गुरुकुल झज्जर संग्रहालय- पुरातत्व संग्रहालय हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1959 में स्वामी ओमानंद सरस्वती ने की थी और यह हरियाणा का सबसे प्राचीन एवं सबसे बड़ा पुरातत्व संग्रहालय माना जाता है।
इस संग्रहालय में देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई प्राचीन मूर्तियों और सिक्कों का एक बड़ा संग्रह है। यहाँ पर विशेष रूप से भगवान विष्णु, पंचवटी के हिरण की प्राचीन मूर्ति और भगवान गणेश की मूर्तियां प्रमुख आकर्षण हैं। इसके अलावा, बिना जोड़ वाली लकड़ी की चेन और एक "लचीला" पत्थर जैसी अनोखी कलाकृतियां भी देखने लायक हैं।
* धरोहर संग्रहालय (कुरुक्षेत्र): यह हरियाणा के सबसे बड़े संग्रहालयों में से एक है।
* श्रीकृष्ण संग्रहालय (कुरुक्षेत्र): 1987 में स्थापित यहां भगवान कृष्ण और महाभारत से संबंधित कलाकृतियाँ और पांडुलिपियाँ हैं।
* गुलजारी लाल संग्रहालय कुरुक्षेत्र - यह हरियाणा का पहला व्यक्तिगत संग्रहालय है जो गुलजारी लाल नंदा हरियाणा के भूतपूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे हैं।
* पैनोरमा एवं विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र विज्ञान और संस्कृति का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं जिसमें
* महाभारत पैनोरमा: यह 3D मॉडलिंग और कलाकृतियों के माध्यम से महाभारत के युद्ध के 18 दिनों के दृश्यों को दिखाता है, जो दर्शकों को उस ऐतिहासिक घटना का अनुभव करने का अवसर देता है।
* विज्ञान केंद्र: यह केंद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों को प्रदर्शित करता है। यहाँ पर कई इंटरैक्टिव (संवादात्मक) प्रदर्शन और काम करने वाले मॉडल हैं जो बच्चों को भौतिकी, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान और गणित जैसे विषयों को खेलने और समझने में मदद करते हैं।
* विज्ञान पार्क: इमारत के बाहर एक विज्ञान पार्क भी है, जहाँ खुले में वैज्ञानिक उपकरण और खेल उपलब्ध हैं। यह बच्चों को विज्ञान को अनौपचारिक और मनोरंजक तरीके से सीखने का मौका देता है।
यह केंद्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित और संचालित है, और यह विज्ञान और धर्म के बीच एक सेतु का काम करता है, जो हमारी प्राचीन वैज्ञानिक विरासत को आधुनिक तरीकों से प्रस्तुत करता है।
* पुरातात्विक संग्रहालय (थानेसर): यह कुरुक्षेत्र के पास स्थित है और यहाँ विभिन्न पुरातात्विक कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। शेखचिल्ली के मकबरे के अंदर स्थित है।
* पानीपत सग्रहालय जिसकी स्थापना सन 2000 में की गई थी और इसमें पानीपत में हुए तीन युद्ध उनमें इस्तेमाल की गई वस्तुओं संजोकर रखी गई हैं।
* आध्यात्मिक संग्रहालय पानीपत - पानीपत शहर में आश्रम रोड़ पर प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का 3 मंजिला आध्यात्मिक संग्रहालय 1984 में स्थापित किया था जिसे पांच मूर्तियां वाले आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
* जहाज कोठी आंचलिक संग्रहालय (हिसार): यह मूल रूप से एक 18वीं शताब्दी का जैन मंदिर था, जो अब एक संग्रहालय है। जहाज कोठी क्षेत्रीय संग्रहालय हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। यह मूल रूप से आयरलैंड के जॉर्ज थॉमस द्वारा 18वीं शताब्दी में अपने निवास के रूप में बनवाया गया था। इसका नाम "जॉर्ज कोठी" था, लेकिन समय के साथ स्थानीय लोग इसे "जहाज कोठी" कहने लगे, क्योंकि यह एक जहाज की तरह दिखता था।
यह स्मारक अब एक क्षेत्रीय पुरातात्विक संग्रहालय में बदल दिया गया है। इसमें हड़प्पा सभ्यता के स्थलों जैसे बनावली, कुणाल और राखीगढ़ी से खुदाई में मिली प्राचीन कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। यह संग्रहालय हरियाणा के समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
* लीलाधर दुःखी स्मारक सरस्वती संग्रहालय (यमुनानगर): यह सरस्वती नदी और उसके इतिहास पर केंद्रित है।
* क्षेत्रीय संग्रहालय पंचकूला - पंचकूला में एक अत्याधुनिक राज्य स्तरीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पुरातत्व संग्रहालय (state archaeological museum) बनाने की योजना है। यह संग्रहालय 60 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा और इसमें हरियाणा की समृद्ध विरासत और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
* भीमा देवी मंदिर साइट संग्रहालय (Bhima Devi Temple Site Museum) पंचकूला के पिंजौर में स्थित है। इसे "उत्तरी भारत का खजुराहो" भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें 8वीं से 11वीं शताब्दी के प्राचीन हिंदू मंदिर के पुन: स्थापित अवशेष और कामुक मूर्तियों का संग्रह है। समय: यह मंगलवार से रविवार तक सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है और सोमवार को बंद रहता है। नामकरण: इस मंदिर का नाम महाभारत की देवी भीमा के नाम पर रखा गया है।
जयंती देवी मंदिर और संग्रहालय (Shri Jayanti Devi Temple And Museum) जींद, हरियाणा में स्थित है। इसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ, ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने कौरवों के खिलाफ जीत के लिए यहाँ जयन्ती देवी (विजय की देवी) के सम्मान में एक मंदिर बनवाया था। मंदिर परिसर में एक पुरातत्व संग्रहालय भी है, जिसमें टेराकोटा, पत्थर की मूर्तियाँ, सिक्के, मिट्टी के बर्तन, और पांडुलिपियां जैसी कलाकृतियाँ हैं। समय: यह मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 8:30 बजे तक खुला रहता है।
लोक कलाओं का घर संग्रहालय Home of folk arts sangrhalay: लोक एवं जनजातीय कला संग्रहालय (Museum of Folk and Tribal Arts): यह गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना का श्रेय के सी आर्यन को दिया जाता है, जिन्होंने अपने घर में 1984 में इसकी शुरुआत की। यह भारतीय लोक और जनजातीय कला के एक विशिष्ट संग्रह के लिए जाना जाता है। इसमें प्राचीन भारतीय मूर्तियां विभिन्न प्रकार के बर्तन धातु एवं शीशे से निर्मित वस्तुओं को संग्रहित किया गया है।
रेवाड़ी रेलवे हेरिटेज संग्रहालय हरियाणा के रेवाड़ी में स्थित है। यह भारत का एकमात्र बचा हुआ भाप इंजन शेड है और देश के अंतिम कुछ चालू भाप इंजनों का घर है। रेवाड़ी रेलवे जंक्शन 1873 में बना था जो हरियाणा का सबसे पहला रेलवे स्टेशन भी है।
* ऐतिहासिक महत्व: इसकी स्थापना 1893 में हुई थी। इसे पहले "रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव शेड" के नाम से जाना जाता था। 2002 में इसे एक हेरिटेज संग्रहालय के रूप में बहाल किया गया।
* फेयरी क्वीन इंजन: यहाँ दुनिया का सबसे पुराना चालू हालत में मौजूद भाप इंजन "फेयरी क्वीन" रखा गया है, जिसका निर्माण 1855 में हुआ था। यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
* विभिन्न इंजन: यहाँ "आजाद," "अंगद," और "सुल्तान" जैसे कई ऐतिहासिक भाप इंजन मौजूद हैं, जिन्हें देखकर आप भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास को महसूस कर सकते हैं।
* कलाकृतियां और फिल्में: संग्रहालय में पुरानी सिग्नल प्रणाली, ग्रामोफोन और पुराने रेलवे कोचों की सीटों जैसी विक्टोरियन-युग की कलाकृतियां भी प्रदर्शित हैं। यहाँ रेलवे के इतिहास पर आधारित वृत्तचित्र भी दिखाए जाते हैं।
* फिल्मों की शूटिंग: इस संग्रहालय में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, जिनमें "गदर: एक प्रेम कथा" और "सुल्तान" जैसी फिल्में शामिल हैं।
हरियाणा का सबसे बड़ा पुरातात्विक संग्रहालय कौन सा है गुरुकुल संग्रहालय झज्जर
प्रमुख किले
* असीरगढ़ का किला (हांसी): इसे 'तलवारों का किला' भी कहा जाता है और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान द्वारा करवाया गया था।
* गोहाना का किला (सोनीपत): यह 12वीं शताब्दी में बना था।
* काबुली बाग मस्जिद (पानीपत): इसे काबुली बाग का किला भी कहा जाता है और इसका निर्माण बाबर ने करवाया था।
* जींद का किला (जींद): इसका निर्माण राजा गजपत सिंह ने 1775 में करवाया था।
* तावडू का किला (गुरुग्राम): यह गुरुग्राम में स्थित एक ऐतिहासिक किला है।
3. हरियाणा की शुरुआत, गठन अलग राज्य, प्रशासनिक व्यवस्था, कुल जिले, तहसील शहर और गांव
हरियाणा राज्य का गठन शुरुआत प्रशासनिक व्यवस्था पंचायती राज नगर व्यवस्था
ब्रिटिश सरकार ने सन 1857 के विद्रोह के बाद हरियाणा का भाग पंजाब प्रांत में मिला दिया था।
हरियाणा को अलग राज्य बनाने के लिए मांग 1907 से ही आरंभ हो गई थी, जब भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के नेता लाला लाजपतराय अरुणा आसफ अली ने इस मांग का समर्थन किया।
रिसीवर एक अलग हरियाणाराके गठन के लिए श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में हरियाणा विकास समिति का गठन किया गया जो सफल नहीं हुआ
हरियाणा को पंजाब से अलग कर दिल्ली में मिलाने की मांग पहली बार वर्ष 1926 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के दिल्ली अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष पीरजादा मोहम्मद हुसैन ने की थी।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी 1928 में दिल्ली में हुए सर्वदलीय सम्मेलन में यह मांग दोहराई।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भी जोफ्री कॉर्बेट ने अंबाला डिविजन हरियाणा को पंजाब से अलग करने की बात कही जिसका गांधी जी ने भी समर्थन किया था।
दीनबंधु गुप्ता ने 9 दिसंबर 1932 को पंजाब प्रांत से पृथक हरियाणा राज्य बनाने की मांग की।
कांग्रेस नेता डॉक्टर पट्टाभि सितारमैया ने वर्ष 1946 में हुए दिल्ली अखिल भारतीय भाषाएं कॉन्फ्रेंस में दीनबंधु गुप्ता की मांग का समर्थन किया।
स्वतंत्रता के समय हरियाणा PEPSU (Patiala and East Punjab States union) पटियाला व पंजाब स्टेटस यूनियन का हिस्सा था। वर्ष 1948 में मास्टर तारा सिंह ने अपने पत्र अजीत में सिख राज्य की मांग की।
* पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966: इस मांग को देखते हुए, भारत सरकार ने जस्टिस जे.सी. शाह की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर, संसद ने 18 सितंबर 1966 को "पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966" पारित किया।
अनुच्छेद 21 के तहत पंजाब एवं हरियाणा लिए संयुक्त उच्च न्यायालय का प्रावधान किया गया।
* नए राज्य का गठन: भारतीय संविधान के 18वेंसशोधन के तहत, 1 नवंबर 1966 को पंजाब को दो हिस्सों में बाँट दिया गया। हिंदी भाषी क्षेत्रों को मिलाकर हरियाणा को देश का 17वां राज्य बनाया गया, जबकि पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब राज्य के रूप में ही रहा। चंडीगढ़ को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बनाया गया।
जब हरियाणा का गठन हुआ था, तब इसमें केवल 7 जिले थे - हरियाणा के 7 जिलों को याद रखने की ट्रिक है का ग़ ज अ म र ह
अंबाला, करनाल, रोहतक, हिसार, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम और जींद। हरियाणा जब अलग राज्य बना तो सबसे बड़ा जिला हसार और सबसे छोटा जिला जींद थे।
हरियाणा भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.34% हरियाणा का कुल क्षेत्रफल 4212 वर्ग किलोमीटर
हरियाणा का भारत में स्थान कौन सा है 21वा लद्दाख हरियाणा से बड़ा है
भारत के राज्यों में हरियाणा का स्थान 20 वा
आठ राज्य जिनका क्षेत्रफल हरियाणा राज्य से कम है गोवा सिक्किम त्रिपुरा नागालैंड मिजोरम मणिपुर मेघालय केरल
वर्तमान में हरियाणा में कुल 22 जिले है
जिले: 22
तहसील: 93
उप-मंडल (Sub-Divisions): 73
नगर (शहर और कस्बे): 154
गाँव: 6,841
यहाँ हरियाणा के राजकीय प्रतीकों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है संक्षेप में (In Short)
* राजकीय वृक्ष: पीपल (Peepal)
* राजकीय फूल: कमल (Lotus)
* राजकीय पक्षी: काला तीतर (Black Francolin)
* राजकीय पशु: काला हिरण (Black
buck)
हरियाणा में परिसीमन आयोग
परिसीमन आयोग क्या है?
परिसीमन आयोग एक स्वतंत्र निकाय है जिसका मुख्य कार्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना है। यह कार्य प्रत्येक जनगणना के बाद किया जाता है ताकि:
"एक वोट, एक मूल्य" के सिद्धांत को बनाए रखा जा सके।
जनसंख्या में हुए बदलावों के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
अनुसूचित जातियों (SCs) और अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए सीटों का आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में तय किया जा सके।
आयोग के आदेशों को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
हरियाणा में परिसीमन का इतिहास
हरियाणा के गठन के बाद, विधानसभा सीटों की संख्या को कई बार बदला गया है।
1966: राज्य के गठन के समय, हरियाणा विधानसभा में 54 सीटें थीं।
1967: पहली बार परिसीमन के बाद सीटों की संख्या बढ़कर 81 हो गई।
1977: आखिरी बार परिसीमन किया गया, जिसके बाद सीटों की संख्या 90 हो गई। तब से लेकर आज तक हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें ही हैं, जिनमें से 17 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं।
हरियाणा विधानसभा
हरियाणा विधानसभा राज्य की एकसदनीय विधायिका है, जो राज्य के लिए कानून बनाती है।
कुल सीटें: हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं।
आरक्षित सीटें: इन 90 सीटों में से 17 सीटें अनुच्छेद 332 के तहत अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes) के लिए आरक्षित हैं। ये आरक्षित सीटें निम्नलिखित हैं:
- अम्बाला जिले में: मुलाना (Mullana)
- यमुनानगर जिले में: सढौरा (Sadhaura)
- कुरुक्षेत्र जिले में: शाहाबाद (Shahbad)
- कैथल जिले में: गुहला (Guhla)
- करनाल जिले में: नीलोखेड़ी (Nilokheri)
- पानीपत जिले में: इसराना (Israna)
- सोनीपत जिले में: खरखौदा (Kharkhoda)
- जींद जिले में: नरवाना (Narwana)
- फतेहाबाद जिले में: रतिया (Ratia)
- सिरसा जिले में: कालांवाली (Kalanwali)
- हिसार जिले में: उकलाना (Uklana)
- भिवानी जिले में: भवानी खेड़ा (Bawani Khera)
- रोहतक जिले में: कलानौर (Kalanaur)
- झज्जर जिले में: झज्जर (Jhajjar)
- रेवाड़ी जिले में: बावल (Bawal)
- गुरुग्राम जिले में: पटौदी (Pataudi)
- पलवल जिले में: होडल (Hodal)
हरियाणा विधानसभा की प्रथम अध्यक्ष:
श्रीमती शन्नो देवी हरियाणा विधानसभा की पहली अध्यक्ष थीं। उन्होंने 6 दिसंबर 1966 से 17 मार्च 1967 तक इस पद पर कार्य किया। वह न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे भारत में किसी भी राज्य विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष थीं। राव वीरेंद्र सिंह हरियाणा राज्य विधानसभा के प्रथम पुरुष अध्यक्ष रहे।
सबसे अधिक बार अध्यक्ष:
हरमहेंद्र सिंह चड्ढा को सबसे अधिक बार हरियाणा विधानसभा का अध्यक्ष बनने का श्रेय प्राप्त है। वह तीन अलग-अलग कार्यकालों में इस पद पर रहे हैं:
1987 से 1991 तक
मार्च 2005 से जनवरी 2006 तक
अक्टूबर 2009 से जनवरी 2011 तक
वर्तमान में हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर निम्नलिखित व्यक्ति कार्यरत हैं:
* अध्यक्ष: श्री हरविंदर कल्याण (Harvinder Kalyan)
* उपाध्यक्ष: डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा (Dr. Krishan Lal Middha)
- चंद्ररावती हरियाणा की पहली महिला सांसद थीं, जिन्होंने 1977 में भिवानी लोकसभा सीट से चुनाव जीता था।
- वह 1990 में पुडुचेरी की उपराज्यपाल भी बनी थीं।
प्रसन्नी देवी हरियाणा में सबसे अधिक छह बार विधायक बनी।
मुख्यालय: हरियाणा विधानसभा का मुख्यालय चंडीगढ़ में स्थित है, जो पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है।
अवधि: विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है, जब तक कि इसे समय से पहले भंग न कर दिया जाए।
स्थानीय स्वशासन ग्राम पंचायत नगरीय व्यवस्था ब्लॉक समिति नगर परिषद जिला परिषद नगर निगम
73वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992, भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव था जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया। इस अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देना था।
73वें संशोधन अधिनियम के प्रमुख प्रावधान:
1. संवैधानिक दर्जा (Constitutional Status)
इस अधिनियम ने संविधान में एक नया भाग IX और 11वीं अनुसूची जोड़ी। इस भाग का शीर्षक "पंचायतें" है और इसमें अनुच्छेद 243 से 243O तक के प्रावधान शामिल हैं। 11वीं अनुसूची में पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है।
2. त्रिस्तरीय संरचना (Three-Tier System)
यह संशोधन सभी राज्यों में पंचायती राज का एक त्रिस्तरीय ढाँचा स्थापित करता है:
* ग्राम स्तर पर: ग्राम पंचायत (Gram Panchayat)
* मध्यवर्ती (ब्लॉक) स्तर पर: पंचायत समिति (Panchayat Samiti)
* जिला स्तर पर: जिला परिषद (Zila Parishad)
जिन राज्यों की आबादी 20 लाख से कम है, उन्हें मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत समिति का गठन करने की छूट दी गई है।
3. नियमित चुनाव (Regular Elections)
संविधान में यह प्रावधान किया गया कि पंचायतों का कार्यकाल 5 साल का होगा और इन संस्थाओं के लिए नियमित चुनाव कराना अनिवार्य होगा। यदि किसी पंचायत को 5 साल की अवधि पूरी होने से पहले भंग कर दिया जाता है, तो विघटन की तारीख से 6 महीने के भीतर नए चुनाव कराना अनिवार्य है।
4. सीटों का आरक्षण (Reservation of Seats)
यह अधिनियम समाज के कमजोर वर्गों और महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करता है:
* अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST): इनकी आबादी के अनुपात में सीटें आरक्षित होंगी।
* महिलाएँ: कुल सीटों में से कम से कम एक-तिहाई (1/3) सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह आरक्षण SC और ST महिलाओं पर भी लागू होता है।
5. वित्तीय प्रावधान (Financial Provisions)
* राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission): प्रत्येक राज्य का राज्यपाल हर 5 साल में एक वित्त आयोग का गठन करेगा, जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करेगा और उन्हें मजबूत करने के लिए सिफारिशें देगा।
* कराधान का अधिकार (Power to Levy Taxes): राज्य विधायिका को यह अधिकार दिया गया कि वह पंचायतों को कर, शुल्क और टोल लगाने, इकट्ठा करने और रखने की शक्तियाँ दे।
6. राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission)
इस अधिनियम के तहत पंचायतों के चुनाव कराने, मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव के संचालन का काम एक स्वतंत्र निकाय राज्य चुनाव आयोग को सौंपा गया।
इस अधिनियम ने पंचायतों को सिर्फ एक प्रशासनिक निकाय के बजाय एक लोकतांत्रिक स्वशासी निकाय बना दिया, जिससे ग्रामीण विकास और शासन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
हरियाणा में 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 के प्रावधानों को लागू करने के लिए, राज्य सरकार ने हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 जैसे कानून बनाए हैं। ये अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों की संरचना और कार्यों को परिभाषित करते हैं। 🗺️
हरियाणा में, 74वें संशोधन के आधार पर शहरी स्थानीय शासन की त्रिस्तरीय (Three-tier) संरचना इस प्रकार है:
1. नगर निगम (Municipal Corporation)
यह बड़े शहरी क्षेत्रों या महानगरों के लिए सर्वोच्च शहरी स्थानीय निकाय है। हरियाणा में, 3 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में नगर निगम स्थापित किए जाते हैं। 🌆
* उदाहरण: गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला, सोनीपत आदि।
* संरचना: इसमें सीधे चुने हुए पार्षद (councilors) और कुछ मनोनीत (nominated) सदस्य होते हैं।
* प्रमुख: इसका प्रमुख महापौर (Mayor) होता है, जिसका चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाता है। नगर निगम का प्रशासनिक प्रमुख नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) होता है, जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होता है।
* कार्य: नगर निगम शहरी योजना, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, पानी की आपूर्ति, सीवरेज, सड़कें, पुल, और शहरी गरीबी उन्मूलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है।
2. नगर परिषद (Municipal Council)
यह छोटे शहरी क्षेत्रों के लिए मध्यवर्ती निकाय है, जिसकी आबादी 50,000 से 3 लाख के बीच होती है।
* संरचना: इसमें भी सीधे चुने हुए पार्षद होते हैं।
* प्रमुख: इसका प्रमुख अध्यक्ष (President) होता है, जिसे सीधे मतदाताओं द्वारा चुना जाता है।
* कार्य: नगर परिषद अपने क्षेत्र में नागरिक सुविधाएं, जैसे स्ट्रीट लाइट, साफ-सफाई, पार्कों का रखरखाव और जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रदान करती है।
3. नगर समिति / नगर पंचायत (Municipal Committee / Nagar Panchayat)
यह उन क्षेत्रों के लिए है जो ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो रहे हैं और जिनकी आबादी 50,000 से कम है।
* संरचना: इसमें भी सीधे चुने हुए पार्षद होते हैं।
* प्रमुख: इसका प्रमुख अध्यक्ष (President) होता है।
* कार्य: यह निकाय अपने संक्रमणकालीन क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार बुनियादी नागरिक सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
74वें संशोधन के मुख्य प्रावधानों का हरियाणा में कार्यान्वयन
* नियमित चुनाव: हरियाणा राज्य चुनाव आयोग द्वारा इन सभी निकायों के लिए हर 5 साल में चुनाव करवाए जाते हैं।
* आरक्षण: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया जाता है, जिसमें महिलाओं के लिए कम से कम एक-तिहाई (1/3) सीटें आरक्षित हैं।
* वित्तीय स्वायत्तता: राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर इन निकायों को वित्तीय संसाधन आवंटित किए जाते हैं, जिससे वे अपनी जिम्मेदारियां प्रभावी ढंग से निभा सकें।
5. हरियाणा की भौगोलिक स्थिति और विस्तार, Haryana ka mausam jalvayu Ritu aur tapman हरियाणा का मौसम जलवायु ऋतु और तापमान
हरियाणा एक उत्तरी भारतीय राज्य है जो 27°39' से 30°35' उत्तरी अक्षांश और 74°28' से 77°36' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। यह मुख्य रूप से एक भू-आबद्ध (landlocked) राज्य है, जिसका कोई समुद्री तट नहीं है।
भौगोलिक विभाजन
हरियाणा को मुख्य रूप से तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:
* उत्तरी-पूर्वी हरियाणा:
* यह शिवालिक पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है।
* यहां की भूमि पथरीली और असमान है, और यहाँ वर्षा अधिक होती है।
* पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिले इस क्षेत्र में आते हैं।
* दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा:
* यह रेतीला और शुष्क क्षेत्र है।
* यहां की जलवायु गर्म और शुष्क होती है और वर्षा बहुत कम होती है।
* सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी जैसे जिले इस क्षेत्र में आते हैं।
* मध्य और पूर्वी हरियाणा:
* यह एक समतल और उपजाऊ मैदान है।
* यह क्षेत्र यमुना और घग्गर नदियों के बीच स्थित है, जो इसे कृषि के लिए बहुत उपयुक्त बनाता है।
* जींद, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, रोहतक और सोनीपत जैसे जिले इस क्षेत्र में आते हैं।
स्थलाकृति और प्रमुख नदियाँ
* मैदान: हरियाणा का अधिकांश भाग समतल मैदान है जो समुद्र तल से लगभग 200 से 300 मीटर की ऊंचाई पर है।
* पहाड़ियाँ: राज्य के उत्तर में शिवालिक पहाड़ियाँ और दक्षिण में अरावली पहाड़ियाँ स्थित हैं।
* नदियाँ: हरियाणा की प्रमुख नदियाँ यमुना (पूर्वी सीमा बनाती है) और घग्गर (उत्तर-पश्चिमी भाग से बहती है) हैं। इनके अलावा, मार्कंडा, सरस्वती और साहिबी जैसी मौसमी नदियाँ भी हैं।
राज्य की सीमाएँ
हरियाणा की सीमाएँ पाँच राज्यों से लगती हैं:
* उत्तर: पंजाब और हिमाचल प्रदेश
* पूर्व: उत्तर प्रदेश और दिल्ली
* दक्षिण और पश्चिम: राजस्थान
हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ है, जो पंजाब और हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी है।
यह राज्य अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण कृषि में बहुत समृद्ध है और इसे भारत का "गेहूं का कटोरा" भी कहा जाता है।
रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद
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| हरियाणा में पारंपरिक खेती नरमा की गुड़ाई बैल हल से |
6. हरियाणा का मौसम जलवायु रितु तापमान
हरियाणा की जलवायु तापमान ऋतुओं का वर्णन
डॉक्टर ब्लादिमीर कोपेन ने हरियाणा को जलवायु को दो भागों में बांटा था आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु(Caw) और स्टेपी कटिबंधीय जलवायु(Bsh)
डॉ ML भार्गव ने हरियाणा को तीन भागों में बांटा है
भटियाणा, हरियाणा और कुरुक्षेत्र
हरियाणा की जलवायु मुख्य रूप से उपोष्णकटिबंधीय शुष्क महाद्वीपीय प्रकार की है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि हरियाणा राज्य समुद्र से काफी दूर स्थित है। यहाँ गर्मियों में बहुत गर्मी और सर्दियों में बहुत ठंड पड़ती है।
यहाँ की जलवायु को विभिन्न मौसमों के आधार पर विस्तार से समझा जा सकता है, मौसम वैज्ञानिक ने हरियाणा राज्य में तीन ऋतुएं बताई है जो इस प्रकार हैं
1. ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून)
* तापमान: गर्मी के मौसम में तापमान बहुत अधिक होता है। मई और जून के महीने सबसे गर्म होते हैं, जब तापमान 45°C तक या उससे भी अधिक हो सकता है। हिसार जिला सबसे गर्म हैं।
* हवाएं: इस दौरान, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में "लू" नामक गर्म और शुष्क हवाएं चलती हैं।
* अर्ध-शुष्क से शुष्क जलवायु: राज्य का पश्चिमी और दक्षिणी भाग शुष्क या अर्ध-शुष्क जलवायु वाला है।
2. वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर के मध्य)
* मानसून: हरियाणा में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून से होती है। यह बरसात बंगाल की खाड़ी से आती है।
* वर्षा का वितरण: राज्य में वर्षा असमान होती है। उत्तरी और पूर्वी हिस्से (जैसे अंबाला, पंचकुला, यमुनानगर) में अधिक वर्षा होती है, जबकि पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से (जैसे सिरसा, भिवानी, महेंद्रगढ़) में कम वर्षा होती है। सबसे अधिक वर्षा छछरौली जिला यमुनानगर में होती है जिसके कारण छछरौली को हरियाणा का चेरापूंजी भी कहा जाता है। सिरसा जिले में सबसे कम वर्षा होती है।
* वार्षिक वर्षा: हरियाणा में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 40-60 सेमी होती है।
3. शीत ऋतु (दिसंबर से फरवरी)
* तापमान: सर्दियों में तापमान काफी गिर जाता है। दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं।
* न्यूनतम तापमान: न्यूनतम तापमान 4°C तक या कभी-कभी हिमांक बिंदु (जमाव बिंदु) के करीब भी पहुंच सकता है। हिसार हरियाणा का 16 दिसंबर 2024 को सबसे ठंडा जिला रहा है। अब सबसे अधिक ठंड हिसार जिले में होती है।
* पश्चिमी विक्षोभ: सर्दियों के दौरान कुछ वर्षा पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) के कारण होती है, जो कृषि, खासकर गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद होती है। यह वर्षा अरब सागर यानि फारस की खाड़ी से आती है।
इस प्रकार, हरियाणा की जलवायु को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है:
* आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु: यह राज्य के उत्तरी और पूर्वी भागों में पाई जाती है।
* उपोष्णकटिबंधीय स्टेपी जलवायु: यह राज्य के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में पाई जाती है, जो अर्ध-शुष्क प्रकृति की है।
6. हरियाणा की आधिकारिक भाषा और बोली जाने वाली भाषाएँ व बोलियां, राज्य कवि राज्य गीत
हरियाणावी का नामकरण: वी प्रत्यय के कारण हुआ है।
हरियाणावी की लिपि : देवनगरी है
हरियाणवी की उप भाषा: पश्चिमी हिंदी है
हरियाणवी का विकास: सौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है।
हरियाणा का मुख्य रूप : कोरवी या खड़ी बोली माना जाता है।
अधिकारिक भाषा: हरियाणा की आधिकारिक भाषा हिंदी है।
राज्य की दूसरी भाषा: हरियाणा में पंजाबी को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा जनवरी 2010 में दिया गया है।
इससे पहले तमिल हरियाणा की दूसरी राज्य भाषा थी।
यह एक बहुत ही रोचक ऐतिहासिक तथ्य है। हरियाणा में तमिल को दूसरी राजभाषा बनाने के पीछे
मुख्य कारण: पंजाब से अलग पहचान बनाना
जब 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा का गठन हुआ, तो दोनों राज्यों के बीच कई विवाद थे, खासकर भाषा को लेकर। पंजाब में पंजाबी भाषी लोग पंजाबी को प्रमुख भाषा बनाए रखना चाहते थे।
* बंसीलाल का निर्णय: 1969 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने पंजाब से हरियाणा की अलग पहचान स्थापित करने के लिए एक अप्रत्याशित कदम उठाया। उन्होंने पंजाबी को दूसरी भाषा बनाने के बजाय तमिल को दूसरी राजभाषा घोषित कर दिया।
* राजनीतिक संदेश: इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य पंजाब को यह संदेश देना था कि हरियाणा उनकी भाषा और संस्कृति के प्रभाव से स्वतंत्र है।
* हिंदी विरोधी आंदोलन: उस समय दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन चरम पर था। कुछ जानकारों का मानना है कि बंसीलाल सरकार ने तमिल को दूसरी भाषा बनाकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि अगर एक उत्तर भारतीय राज्य दक्षिण भारतीय भाषा को स्वीकार कर सकता है, तो दक्षिण भारतीय राज्यों को भी हिंदी को स्वीकार करना चाहिए।
बदलाव कब हुआ?
तमिल लगभग 40 सालों तक हरियाणा की दूसरी राजभाषा बनी रही। साल 2010 में, मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में, इस नीति को बदल दिया गया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तमिल को हटाकर पंजाबी को हरियाणा की दूसरी राजभाषा घोषित कर दिया, क्योंकि राज्य में पंजाबी बोलने वालों की संख्या काफी अधिक थी और यह एक व्यावहारिक निर्णय था।
हरियाणा की प्रमुख बोलियाँ इस प्रकार हैं:
हरियाणा में कई बोलियाँ बोली जाती हैं, जिनमें से हरियाणवी सबसे प्रमुख है। इसे स्थानीय लोग "जाटू" या "बाँगरू" भी कहते हैं। हरियाणवी पश्चिमी हिंदी की एक उप-भाषा है और इसकी 6 प्रमुख बोलियाँ क्षेत्र के अनुसार बदलती रहती हैं।
1. बांगरू (Bangru)
यह हरियाणवी की सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से बोली जाने वाली बोली है। इसे "ठेठ हरियाणवी" या देसी बोली भी कहा जाता है। डॉक्टर गियरसन ने कहा है कि हरियाणवी का मुख्य स्रोत बांगरू है।
* क्षेत्र: यह मुख्य रूप से रोहतक, सोनीपत, पानीपत, जींद, हिसार और कैथल जैसे मध्य हरियाणा के जिलों में बोली जाती है।
* विशेषताएँ: यह बोली अपनी मुखरता और सीधे-सादे लहजे के लिए जानी जाती है। इसमें "ओ" की मात्रा का अधिक प्रयोग होता है, जैसे "गयो" (गया), "आयो" (आया)। यह हरियाणा में सर्वाधिक बोले जाने वली बोली है।
2. मेवाती (Mewati)
यह बोली मेवात नूंह क्षेत्र की है, जो हरियाणा के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में स्थित है और राजस्थान से सटा हुआ है। पंडित ईश्वरी प्रसाद शर्मा ने 300 मेवाती शब्दों की पहचान की है। मेवाती की दो प्रमुख उप बोलियां भी हैं राठी और कसेरी।
क्षेत्र: यह नूंह (मेवात), फिरोजपुर झिरका, और आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
* विशेषताएँ: मेवाती की शब्दावली पर संस्कृत, अपभ्रंश और उर्दू का प्रभाव देखने को मिलता है। यह ब्रजभाषा और राजस्थानी बोलियों से भी मिलती-जुलती है।
3. अहीरवाटी (Ahirwati)
यह बोली मुख्य रूप से यादव समुदाय (अहीर) द्वारा बोली जाती है। पंडित श्यामसुंदर दास ने कुल 200 शब्दों को अहिरी कहा है।
* क्षेत्र: यह हरियाणा के दक्षिणी जिलों जैसे रेवाड़ी और महेंद्रगढ़, पटौदी में बोली जाती है।
* विशेषताएँ: अहीरवाटी को भी हरियाणवी की एक उप-बोली माना जाता है, जिसमें राजस्थानी का कुछ प्रभाव मिलता है।
4. बागड़ी (Bagri)
यह बोली राजस्थान से सटे हरियाणा के पश्चिमी और दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्रों में बोली जाती है। प्रोफेसर मथुरा प्रसाद अग्रवाल ने 81 शब्दों को बागड़ी कहा है।
* क्षेत्र: सिरसा का डबवाली, चौटाला, ऐलनाबाद, हिसार, भिवानी बहल सिवानी, फतेहाबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में यह प्रमुख है।
* विशेषताएँ: यह हरियाणवी और राजस्थानी बोलियों का मिश्रण है, जिसमें राजस्थानी का प्रभाव काफी स्पष्ट होता है।
5. कोरवी
जो हरियाणा के पूर्वी हिस्से में बोली जाती है, कौरवी बोली, जिसे खड़ी बोली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदी की एक प्रमुख उपभाषा है। यह पश्चिमी हिंदी की पाँच बोलियों में से एक है। कोरबी को यह नाम राहुल सांस्कृतायन ने कुरु जनपद के कारण दिया था और कोर्वी का हरियाणा में एक अन्य नाम अम्बालवी भी है। डॉक्टर कैलाश चंद्र सिघल ने कोरवी के 650 शब्दों की सूची बनाई है।
क्षेत्र: कोरवी मुख्यतः अंबाला मंडल में बोली जाती है जिसमें अंबाला पचकूला, यमुनानगर कुरुक्षेत्र जिले आते हैं।
6. ब्रज बोली
जिसका प्रभाव फरीदाबाद, पलवल और गुड़गांव जैसे जिलों में देखने को मिलता है।
सूरदास बृज बोली के एक महान कवि थे जिनका जन्म फरीदाबाद के सिही गांव में हुआ था। सूरदास मुगल सम्राट अकबर के समकालीन थे। सूरदास के आध्यात्मिक गुरु महाप्रभु वल्लभाचार्य थे। गऊघाट पर उनसे मिलने के बाद, वल्लभाचार्य ने ही सूरदास को कृष्ण भक्ति और भगवान की लीलाओं का गुणगान करने की प्रेरणा दी। वल्लभाचार्य पुष्टिमार्ग संप्रदाय के संस्थापक थे, और उनके मार्गदर्शन में ही सूरदास ने 'सूरसागर' जैसे महान ग्रंथ की रचना की।
संगीत की शिक्षा: सूरदास के पिता रामदास स्वयं एक गायक थे, इसलिए उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही मिली। उसके बाद स्वामी हरिदास से उन्होंने संगीत शिक्षा ली।
हरियाणा की प्रमुख साहित्य अकादमियाँ व साहित्यिक पुरस्कार
हरियाणा साहित्य अकादमी:
स्थापना: 9 जुलाई 1970
कार्य: यह हिंदी और हरियाणवी साहित्य के विकास के लिए कार्य करती है।
पत्रिका: 'हरिगंधा' नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करती है।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी:
स्थापना: 1970 (2010 में पुनर्गठन)
कार्य: यह विभिन्न विषयों पर पुस्तकों के प्रकाशन और पठन-पाठन को प्रोत्साहित करती है।
हरियाणा उर्दू साहित्य अकादमी:
स्थापना: 1985
कार्य: उर्दू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देती है।
पत्रिका: 'जमुना तट' नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित करती है।
हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी:
स्थापना: 1996
कार्य: पंजाबी भाषा और साहित्य के विकास के लिए कार्य करती है।
हरियाणा संस्कृत साहित्य अकादमी:
स्थापना: 8 अगस्त 2002
कार्य: संस्कृत भाषा और साहित्य को प्रोत्साहन देती है।
पत्रिका: 'हरिप्रभा' नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित करती है।
प्रमुख साहित्यिक पुरस्कार
ये अकादमियाँ हर वर्ष साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार प्रदान करती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा
आजीवन साहित्य साधना सम्मान: यह हरियाणा साहित्य का सबसे बड़ा सम्मान है, जिसमें ₹7 लाख की राशि दी जाती है।
महाकवि सूरदास सम्मान: हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है।
बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान: हिंदी गद्य के लिए दिया जाता है। जिसमें 2.5 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
पंडित माधव प्रसाद मिश्र सम्मान: उत्कृष्ट हिंदी साहित्य के लिए दिया जाता है। जिसमें 5 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है
पंडित माधव प्रसाद मिश्र सम्मान: उत्कृष्ट हरियाणवी साहित्य के लिए दिया जाता है। जिसमें 2.5 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
लाला देशबंधु गुप्त सम्मान पत्रकारिता में जिसमें 2.5 लाख रुपए राशि प्रदान करते हैं।
पंडित लखमीचंद सम्मान हरियाणवी में 2.5 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
जनकवि मेहर सिंह सम्मान: हरियाणवी कविता के क्षेत्र में दिया जाता है। जिसमें 2.5 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
हरियाणा साहित्य गौरव सम्मान जो हरियाणा में पैदा हुए परंतु वर्तमान में हरियाणा से बाहर रह रहे हो तो 2.5 लाख रुपये राशि प्रदान की जाती है।
आदित्य अल्हड़ हास्य व्यंग्य सम्मान: हास्य और व्यंग्य के लिए दिया जाता है। राशि 2.5 लाख रुपए
श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान राशि 2.5 लाख रुपए
हरियाणा उर्दू साहित्य अकादमी द्वारा
फख्र-ए-हरियाणा सम्मान: उर्दू साहित्य में सर्वोच्च सम्मान, जिसमें ₹5 लाख की राशि दी जाती है।
हाली सम्मान: उर्दू साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। जिसमें 3 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
हरियाणा संस्कृत साहित्य अकादमी द्वारा
संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान: संस्कृत साहित्य में सर्वोच्च सम्मान। जिसमें 7 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
हरियाणा संस्कृत गौरव 5 लाख रुपए राशि
महर्षि वेदव्यास सम्मान: संस्कृत शिक्षा और साहित्य के लिए दिया जाता है। महऋषि वेदव्यास में 3 लाख रुपए राशि प्रदान की जाती है।
महर्षि वाल्मीकि सम्मान: संस्कृत भाषा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है। राशि 3 लाख रुपए
महऋषि विश्वामित्र 2.5 लाख रुपए राशि
महाकवि बाणभट्ट 2.5 लाख रुपए राशि
साहित्यकार सम्मान में 25 लाख रुपए राशि
आचार्य सम्मान में राशि 8 लाख रुपए
हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा
भाई संतोख सिंह पुरस्कार: पंजाबी साहित्य में सर्वोच्च सम्मान जिसमें 2.5 लाख रुपए दिए जाते हैं।
हरियाणा पंजाबी गौरव सम्मान: पंजाबी साहित्य को बढ़ावा देने वाले लेखकों को दिया जाता है। इसमें 2.5 लाख राशि दी जाती है।
संत तरण सिंह सम्मान में एक लाख रुपए दिए जाते हैं।
प्रीवियस ईयर क्वेश्चन हरियाणवी बोली के
कौन सी बोली खड़ी बोली से मिलते जुलती है खादर
मेवाती बोली पर किस भाषा का प्रभाव नहीं है पंजाबी का जबकि बंगारू ब्रज और राजस्थानी प्रभाव है
हरियाणवी साहित्य से संबंधित पिछले पेपरो में आए हुए महत्वपूर्ण प्रश्न
हरियाणवी बोली की सबसे पहले कहानी कौन सी है?
लड़की की बहादुरी
यह कहानी 1904 में प्रकाशित हुई, जिस के लेखक हैं पंडित माधव प्रसाद मिश्र इनका जन्म भिवानी जिले के कुंगड़ नामक गांव पर हुआ था और यह हिंदी और हरियाणवी दोनों के प्रथम कहानीकार माने जाते हैं।
पंडित माधव प्रसाद मिश्र ने सुदर्शन और वैश्योपकारक नामक पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
इनकी अन्य रचनाएं थी मन की चंचलता कहानी
वेबर का भ्रम': यह निबंध उनके भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को दर्शाता है।
'धृति': यह निबंध स्थायी और लोकोपयोगी विषयों पर आधारित है।
'क्षमा': यह भी एक महत्वपूर्ण भावात्मक निबंध है।
'सब मिट्टी हो गया': यह भी उनका एक प्रसिद्ध निबंध है।
2. कहानी
'विश्वास का फल': यह हिंदी की आरंभिक कहानियों में से एक मानी जाती है।
3. संपादन
उन्होंने दो महत्वपूर्ण हिंदी पत्रिकाओं का संपादन किया:
'वैश्योपकारक': यह पत्रिका समाज सुधार और नैतिक मूल्यों पर केंद्रित थी।
'सुदर्शन': इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य को बढ़ावा दिया।
हरियाणवी भाषा की दूसरी महत्वपूर्ण कहानी कौन सी है डाकी डाबखाना जिसकी रचना नानक चंद शर्मा ने की थी
शिव शंभू के चिट्ठे किसके द्वारा लिखे गए थे?
बालमुकुंद गप्त
जन्म: उनका जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के गुड़ियानी गाँव में हुआ था।
पत्रकारिता: गुप्त जी ने 'अखबारे-चुनार' और 'कोहेनूर' जैसे उर्दू पत्रों में काम किया। बाद में वे हिंदी पत्रकारिता से जुड़ गए और 'हिंदी बंगवासी' तथा 'भारतमित्र' जैसे पत्रों के संपादक बने।
दाहिने हाथ का शंख के लेखक कौन है सैयद गुलाम हुसैन शाह
टूटा हुआ आदमी उपन्यास के रचयिता कौन है मोहन चोपड़ा
माटी का मोल किसकी रचना है जय नारायण कौशिक
हरियाणा का प्रसिद्ध जैन कवि कौन है पष्प दंत
हरियाणा का प्रथम संत कवि किसे माना जाता है लाल दास
हरियाणवी रामायण की रचना किसने की रामेश्वर दयाल शास्त्री ने
थानश्वरी रामायण की रचना किसने की खुदा बख्श अहमद ने
मेवाती में महाभारत का अनुवाद किसने किया साधुउल्लाह
हरियाणा में भाषा में 12 खड़ी किसने लिखी संत नित्यानंद ने
किस गांव को कवियों का गांव कहा जाता है बंचारी गांव को जो की फरीदाबाद में है क्योंकि सूरजकुंड मेले में सबसे अधिक कवि इसी गांव से जाते हैं।
हरियाणवी भाषा में गीतांजलि किसने लिखी है प्रोफेसर हरिसिंह ने
हरियाणा में भाषा में मेघदूत की रचना किसने की रामेश्वर दयाल शास्त्री
झंडू फिरी, हरियाणा में लिखा गया पहला उपन्यास है। इसका प्रकाशन 1957 में हुआ था और इसके लेखक राजा राम शास्त्री हैं।
राजा राम शास्त्री (1907-1991) हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार थे। उन्हें मुख्य रूप से हरियाणवी लोक साहित्य और संस्कृति को हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान दिलाने के लिए जाना जाता है।
* उपन्यास: 'झोंपड़ी से राजभवन' के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है।
* नाटक: 'अंधा युग', 'पर्दे के पीछे'
* कहानी संग्रह: 'अहिल्या बाई'
तीरिया के मजमून किसकी रचना है
ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली (1837-1914) उर्दू साहित्य के एक महान शायर, आलोचक और जीवनी लेखक थे। उनका जन्म हरियाणा के पानीपत शहर में हुआ था और वे उर्दू गद्य और कविता दोनों के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति माने जाते हैं।
हाली ने उर्दू साहित्य में एक नई दिशा दी। उन्होंने अपनी रचनाओं में पारंपरिक प्रेम कविताओं (ग़ज़लों) से हटकर सामाजिक सुधार, देशभक्ति और नैतिकता जैसे विषयों पर भी लिखा।
उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:
* मुसद्दस-ए-हाली (मद्दो-जज़्र-ए-इस्लाम): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली कृति है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने मुसलमानों के गौरवशाली अतीत को याद करते हुए उन्हें वर्तमान की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
* हयात-ए-जावेद: यह सर सैयद अहमद खान की जीवनी है, जिसे उन्होंने बहुत ही विस्तार से लिखा है। यह जीवनी लेखन की एक उत्कृष्ट मिसाल मानी जाती है।
* यादगार-ए-ग़ालिब: यह महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जीवनी है।
* मुकद्दमा-ए-शेर-ओ-शायरी: यह उर्दू में आलोचना (Literary Criticism) पर लिखी गई पहली महत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है।
हाली ने दिल्ली में मिर्ज़ा ग़ालिब और सर सैयद अहमद खान जैसे विद्वानों से शिक्षा ली। वे सर सैयद अहमद खान के अलीगढ़ आंदोलन से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से उनके विचारों का समर्थन किया।
उर्दू साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए, हरियाणा सरकार ने उनकी स्मृति में हरियाणा उर्दू साहित्य अकादमी द्वारा हाली पुरस्कार की शुरुआत की है। यह पुरस्कार उर्दू साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
हरियाणा के एकमात्र कवि जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कवि का दर्जा प्राप्त है दयाचंद मायना
दयाचंद मायना (1915-1993) हरियाणवी भाषा के एक प्रमुख कवि, लोकगीत कलाकार और रागनियों के रचयिता थे। उनका जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के मायना गाँव में हुआ था। राष्ट्रकवि की उपाधि: कई लोग उन्हें हरियाणा के "जॉन मिल्टन" और "राष्ट्रकवि" के रूप में भी जानते हैं, उन्होंने 21 से अधिक सांग (नाटक) और 150 से अधिक रागनियों की रचना की।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर सांग: उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर आधारित एक बहुत प्रसिद्ध सांग (नाटक) भी लिखा, जो उनकी देशभक्ति को दर्शाता है। जिसकी गूंज पश्चिम बंगाल तक गई थी।
उनके सम्मान में हरियाणा सरकार द्वारा लोक कवि दयाचंद मायना पुरस्कार दिया जाता है जिसकी राशि ढाई लाख रुपए है।
हरियाणा के प्रथम राज्य कवि उदय भानु हंस थे। उन्हें 1966 में हरियाणा राज्य बनने पर यह सम्मान 1967 में दिया गया था। हरियाणा के प्रथम राज्य कवि उदय भानु हंस का जन्म 2 अगस्त 1926 को डेरा दिन पनाह, मुजफ्फरगढ़, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। भारत के विभाजन (1947) के बाद उनका परिवार हिसार आ गया था।
रचनाएं_ उन्हें 'रुबाई सम्राट' भी कहा जाता है और उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं हैं:
देशां में देस हरियाणा, हंस मुक्तावली, संत सिपाही, भेड़ियों के ढंग, शंख व शहनाई
संत सिपाही सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन पर आधारित थी जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें निराला पुरस्कार से सम्मानित किया
मृत्यु- उदय भानु हंस का निधन 26 फरवरी 2019 को 92 वर्ष की आयु में हिसार, हरियाणा में हुआ।
हरियाणा के दूसरे राज्य कवि ख़ुशी राम शर्मा को माना जाता है, जिन्हें यह उपाधि 1968 में मिली थी।
उपनाम: 'हरियाणा का वाल्मीकि'
प्रमुख रचनाएं: रण निमंत्रण, युद्ध चरित्र, प्रेमोपहार, गुरु गोविंद सिंह
हरियाणा के प्रथम और अंतिम उर्दू राज्य कवि अनूपचंद आफताब थे।
उन्हें यह उपाधि हरियाणा के गठन के बाद 1967 में हिंदी के राज्य कवि उदय भानु हंस के साथ ही दी गई थी। उनका संबंध हरियाणा के पानीपत जिले से था। अनूपचंद आफताब की कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:
जज़्बात-ए-आफताब (Jazbat-e-Aftab)
ग़म-ए-रौशन (Gham-e-Raushan)
क़ौमी आन (Qaumi Aan)
जोश-ए-वतन (Josh-e-Watan)
तस्वीर-ए-हक़ीक़त (Tasveer-e-Haqeeqat)
भाई परमानंद हरियाणा के ऐसे राज्य कवि थे जिन्होंने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
7. हरियाणा की मिट्टी हरियाणा में मृदा हरियाणे की माटी, मृदा अपरदन हरियाणा में मिट्टी के प्रकार
हरियाणा में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है और कहां पर पाई जाती है मिट्टी के शोध संस्थान कौन से है
डॉ. जसबीर राठी के अनुसार, हरियाणा की मिट्टी को छह भागों में बांटा गया है। ये छह प्रकार की मिट्टियाँ उनके गुणों और वितरण के आधार पर वर्गीकृत की गई हैं। डॉ. जसबीर ने 'एग्रीकल्चर ज्योग्राफी ऑफ हरियाणा' नामक पुस्तक लिखी है, जिसमें उन्होंने हरियाणा की मिट्टी और भूगोल का विस्तृत वर्णन किया है।
केंद्रीय मिट्टी लवणता अनुसंधान केंद्र करनाल में है जिसकी स्थापना 1969 में की गई थी
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (ICAR-CSSRI), करनाल: यह संस्थान खारी और क्षारीय भूमि के प्रबंधन और सुधार के लिए अनुसंधान करता है।
मिट्टी के अध्ययन को पेडोलॉजी कहा जाता है
विश्व मृदा दिवस कब मनाया जाता है 5 दिसंबर को और इसे मानने की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी।
मृदा का निर्माण कैसे होता है
चट्टानों के टूटने से मिट्टी का निर्माण होता है और मिट्टी का निर्माण एक जटील प्रक्रिया है।
ICAR full form Indian Council of Agricultural Research (ICAR)
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की स्थापना 16 जुलाई 1929 को हुई थी।
इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
भारत में मिट्टी को आठ भागों में भाग बांटा गया है परंतु डॉक्टर जसवीर के अनुसार हरियाणा में मिट्टी को 6 भागों में बांटा गया है।
1. अत्यंत हल्की मिट्टी (Very Light Soil)
विवरण: यह मिट्टी रेतीली और बलुई दोमट प्रकार की होती है, जिसमें रेत की मात्रा बहुत अधिक होती है।
इसे बालू मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है
स्थान: यह हरियाणा के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में पाई जाती है, जैसे- सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी और महेंद्रगढ़ जोकि राजस्थान से लगते हैं।
विशेषता: इस मिट्टी की जल धारण क्षमता बहुत कम होती है, जिस कारण यहाँ खेती करना कठिन होता है।
इसमें मोटे अनाज बाजरा सरसों चना दाल आदि की खेती ज्यादा होती है।
नोट: हरियाणा में किस प्रकार की मिट्टी नहीं पाई जाती?
काली मिट्टी जिसकी जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है।
हरियाणा की मृदा की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
मृदा अपरदन है और मृदा अपरदन का दूसरा नाम रेंगती हुई मृत्यु या कृषि का निर्दयी शत्रु है। अति हल्की मिट्टी में मृदा अपरदन सबसे अधिक होता है, यह वायु अपरदन और जल अपरदन के माध्यम से होता है।
वायु अपरदन से हिसार सिरसा भिवानी महेंद्रगढ़ रेवाड़ी और गुरुग्राम में तथा जल अपरदन द्वारा यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला में मृदा अपरदन होता है।
2. हल्की मिट्टी (Light Soil)
विवरण: हल्की मिट्टी को दो भागों में बांटा गया है
I अपेक्षाकृत बलुई दोमट मिट्टी शामिल है, जिसे स्थानीय भाषा में रौसली मिट्टी भी कहा जाता है।
स्थान: यह मुख्य रूप से हिसार, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम और रेवाड़ी जिलों में मिलती है।
विशेषता: यह मिट्टी अपेक्षाकृत हल्की होती है और खेती के लिए मध्यम रूप से उपयुक्त मानी जाती है।
II बलुई दोमट मिट्टी जो घग्गर नदी के आसपास के क्षेत्र में पाई जाती है
स्थान सिरसा जिले में डबवाली के क्षेत्र में पाई जाती है
3. मध्यम मिट्टी (Medium Soil)
विवरण: इस श्रेणी में मध्यम दोमट मिट्टी आती है, जो काफी उपजाऊ होती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है
(I) हल्की दोमट मिट्टी
स्थान: फिरोजपुर झिरका जिला नूह में पाई जाती है
II मोटी दोमट मिट्टी
स्थान: अंबाला के नारायणगढ़ में मिलती है
III दोमट मिट्टी जो हरियाणा की सबसे बेहतरीन मिट्टी मानी जाती है।
स्थान: यह हरियाणा के उत्तरी और मध्य जिलों में पाई जाती है, जहां पर चावल की खेती ज्यादा होती है जैसे- अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद, कैथल और सोनीपत।
विशेषता: यह मिट्टी कृषि के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और इसमें जल धारण क्षमता भी बेहतर होती है।
4. सामान्य भारी मिट्टी (Heavy Soil)
विवरण: सिल्ट युक्त यह मृदा चिकनी और बहुत उपजाऊ होती है। प्रतिवर्ष बाढ़ के कारण इसका नाम खादर मृदा पड़ा और जो थोड़े ऊंचे भागों में पाई जाती है उसे मृदा को बांगर मृदा कहते हैं। खादर को नवीन जलोढ़ मृदा भी कहा जाता है जिसमें चूना पोटाश मैग्नीशियम तत्व पाए जाते हैं और बांगर पुरानी जलोद को कहा जाता है जो दो नदियों के बीच स्थित दोआब क्षेत्र में पाई जाती है, बांगर को उपहार मृदा, दोमट, मटियार दोमट आदि स्थानीय नाम से भी जाना जाता है।
स्थान: यह मिट्टी मुख्य रूप से यमुना नदी के पास के क्षेत्रों में पाई जाती है, जैसे- यमुनानगर कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत व फरीदाबाद।
विशेषता: यह खेती के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है, क्योंकि इसमें नमी को लंबे समय तक बनाए रखने की क्षमता होती है।
5. भारी एवं बहुत भारी मिट्टी
विवरण: यह मिट्टी मौसमी नदियों के आसपास पाई जाती है, जिसे सोलर कहा जाता है। इस कठोर चिका के नाम से भी जाना जाता है। खुद का सबसे अधिक प्रयोग भारी एवं बहुत भारी मिट्टी में किया जाता है और इसमें हल चलाना यानी जुताई करना बहुत मुश्किल होता है। इस प्रकार की मिट्टी को डाकर मिट्टी भी कहा जाता है।
स्थान: मौसमी नदी घग्गर नदी फतेहाबाद में और मारकंडा नदी थानेश्वर के आसपास ही यह मिट्टी पाई जाती है।
जगाधरी के निकट जो लोहायुक्त मिट्टी पाई जाती है उसे डाकर कहा जाता है।
6. शिवालिक, गिरिपादीय मिट्टी, चट्टानी (Piedmont Soil)
विवरण: शिवालिक मिट्टी में बलवा पत्थर और बजरी पाई जाती है
स्थान: यह कालका और नारायणगढ़ के क्षेत्र में पाई जाती है।
विवरण गिरी का मतलब होता है पहाड़ और पद का मतलब होता है पैर जो पहाड़ों के निचले हिस्से में मिले जोकि हरियाणा में शिवालिक की पहाड़ियों के निचले हिस्सों में पाई जाती है। इसमें मोटे कण, बजरी और रेत के कण होते हैं।
स्थान: यह पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिलों में पाई जाती है। कालका और नारायणगढ़ क्षेत्रों में इसे स्थानीय रूप से घर और यमुनानगर के जगाधरी में इसे कंधी के नाम से भी जाना जाता है।
विशेषता: यह मिट्टी बहुत उपजाऊ नहीं होती और इसमें जल निकासी की समस्या रहती है।
चट्टानी मिट्टी को पथरीली मिट्टी भी कहा जाता है।
स्थान: मुख्यतः अरावली की पहाड़ियों तलहटी में पाई जाती है। पंचकूला के मोरनी हिल्स पर चट्टानी मिट्टी पाई जाती है।
हरियाणा में कुछ अन्य प्रकार की मिट्टी भी पाई जाती है जैसे
'लाल चेस्टनट मिट्टी' एक प्रकार की मिट्टी है जो अपने लाल-भूरे या चेस्टनट रंग के लिए जानी जाती है। यह मिट्टी मुख्य रूप से मध्यम से कम वर्षा वाले शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है।
लाल चेस्टनट मिट्टी की विशेषताएँ:
* रंग: इस मिट्टी का रंग लाल-भूरा या चेस्टनट होता है। यह रंग लोहे के ऑक्साइड और ह्यूमस के मिश्रण के कारण होता है।
* पीएच मान: इसका पीएच मान आमतौर पर 6.5 से 7.5 के बीच होता है, जो इसे हल्की अम्लीय से उदासीन (neutral) बनाता है।
* पोषक तत्व: इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और ह्यूमस जैसे पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे इसकी उर्वरता कम होती है। हालांकि, उचित उर्वरकों और सिंचाई से इसे खेती के लिए उपजाऊ बनाया जा सकता है।
* संरचना: यह मिट्टी छिद्रयुक्त होती है और इसमें जल निकासी अच्छी होती है, लेकिन इसमें पानी को रोक कर रखने की क्षमता कम होती है।
भारत में लाल चेस्टनट मिट्टी:
भारत में, यह मिट्टी मुख्य रूप से हरियाणा के शिवालिक क्षेत्र में पाई जाती है।
* जिले: हरियाणा के यमुनानगर जिलों में यह मिट्टी प्रमुख रूप से मिलती है।
* फसलें: इस मिट्टी में सिंचाई और उर्वरकों के उचित उपयोग से गेहूं, मक्का, चावल, गन्ना और तिल जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं।
कांप मिट्टी यानि बाढ़ के मैदानों की मिट्टी (Flood Plain Soil)
विवरण: यह मिट्टी घग्गर, यमुना और अन्य नदियों के बाढ़ के मैदानों में पाई जाती है। इसे खादर और बांगर में विभाजित किया गया है।
खादर: यह नई जलोढ़ मिट्टी होती है, जो हर साल बाढ़ के कारण जमा होती है और बहुत न होती है।
बांगर: यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी होती है, जो बाढ़ के मैदानों से दूर ऊँचे इलाकों में पाई जाती है और खादर की तुलना में कम उपजाऊ होती है।
स्थान: यह मिट्टी हरियाणा के पूर्वी और उत्तरी जिलों में यमुना और घग्गर नदियों के आस-पास मिलती है। जैसे सिरसा में खादर, जींद क्षेत्र में बांगर ।
हरियाणा में अम्लीय (Acidic) और क्षारीय (Alkaline) मिट्टी एक महत्वपूर्ण कृषि समस्या है, जो राज्य के लगभग 32% क्षेत्र को प्रभावित करती है। इन मिट्टियों की वजह से फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अम्ल/लवण और क्षार से प्रभावित मृदा को कल्लर, रेह या थूर की समस्या भी कहा जाता है।
अम्लीय मिट्टी
* pH मान: अम्लीय मिट्टी का pH मान 6.5 से कम होता है।
* कारण:
* भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में मिट्टी से कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व बह जाते हैं।
* अमोनियम-आधारित रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग।
* जैविक पदार्थों के अपघटन से कार्बनिक अम्लों का निर्माण।
* प्रभाव:
* पोषक तत्वों की उपलब्धता कम हो जाती है, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है।
* यह मिट्टी आमतौर पर आयरन और एल्यूमीनियम से भरपूर होती है, लेकिन नाइट्रोजन, पोटाश, पोटेशियम, चूना और कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है।
* सुधार:
* अम्लीय मिट्टी में चूने (Lime) का उपयोग करके pH स्तर को बढ़ाया जा सकता है।
* मृदा परीक्षण के आधार पर ही चूने की मात्रा का निर्धारण करना चाहिए।
क्षारीय मिट्टी
* pH मान: क्षारीय मिट्टी का pH मान 7.5 से अधिक होता है।
* कारण:
* शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण मिट्टी में लवण और कैल्शियम कार्बोनेट जमा हो जाते हैं।
* सोडियम युक्त सिंचाई जल का अत्यधिक उपयोग।
* कुछ उर्वरकों के लंबे समय तक उपयोग से pH स्तर बढ़ जाता है।
* प्रभाव:
* क्षारीय मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है, विशेष रूप से नाइट्रोजन, कैल्शियम और जिंक।
* मिट्टी की संरचना खराब हो जाती है और जल निकासी में समस्या आती है।
* इस मिट्टी को हरियाणा में "रेह" और "कल्लर" के नाम से भी जाना जाता है।
* सुधार:
* क्षारीय मिट्टी के सुधार के लिए सबसे प्रभावी और सस्ता तरीका जिप्सम (Gypsum) का उपयोग है।
* जिप्सम को बारीक पीसकर मिट्टी में मिलाया जाता है और उसके बाद पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाता है, ताकि लवण घुल कर नीचे चले जाएं (लीचिंग)।
* नहरों और नालियों के माध्यम से मिट्टी से लवणों को बाहर निकाला जा सकता है।
* क्षार-सहिष्णु फसलों (Alkaline-tolerant crops) जैसे कि धान, ज्वार और बाजरा की खेती करना भी एक अच्छा उपाय है।
8. हरियाणा बोई जाने वाली फसलें कृषि और पशुपालन, डेयरी एवं पोल्ट्री व्यवस्था दूध उत्पादन
हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां की अर्थव्यवस्था में फसलों का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य में मुख्य रूप से दो प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं: रबी (सर्दियों की फसल) और खरीफ (गर्मियों की फसल)।
मुख्य फसलें और उनके बोने का समय
* रबी फसलें:
* फसलें: गेहूं 🌾, जौ, चना और सरसों।
* बुवाई का समय: अक्टूबर से नवंबर
* कटाई का समय: मार्च से अप्रैल
* खरीफ फसलें:
* फसलें: चावल (धान)🍚, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास और गन्ना।
* बुवाई का समय: जून से जुलाई
* कटाई का समय: सितंबर से अक्टूबर
किस जिले में कौन-सी फसल सबसे ज्यादा होती है
हरियाणा में अलग-अलग जिलों में विभिन्न फसलें प्रमुखता से उगाई जाती हैं:
* चावल (धान): करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल और जींद जिले चावल के उत्पादन में सबसे आगे हैं। इन जिलों को "धान का कटोरा" भी कहा जाता है।
* गेहूं: हरियाणा में गेहूं का उत्पादन लगभग सभी जिलों में होता है, लेकिन सिरसा और फतेहाबाद गेहूं उत्पादन में अग्रणी हैं।
* कपास: सिरसा जिला कपास उत्पादन में सबसे आगे है।
* बाजरा: भिवानी जिला बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
* सरसों: महेंद्रगढ़ जिले में सरसों का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।
* सब्जियाँ: सिरसा जिला सब्जी उत्पादन में अग्रणी है। इसके अलावा, आलू कुरुक्षेत्र में और गोभी और सीताफल सोनीपत में सबसे ज्यादा होते हैं।
* दालें: हरियाणा में चने का उत्पादन भिवानी और सिरसा में अधिक होता है, लेकिन दालों का एक विशेष जिले में अत्यधिक उत्पादन होने की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
हरियाणा में कृषि और फसलों से जुड़ी जानकारी Haryana में कृषि | प्रमुख फसलें | Agricultural Seasons in Haryana
नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों (2025 की 21वीं पशुधन गणना) के अनुसार, हरियाणा में पशुपालन की स्थिति इस प्रकार है:
पशुओं की संख्या/पशुधन की संख्या (2025 के आंकड़ों के अनुसार)
वर्ष 2025 की पशुधन गणना के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, हिसार जिले में पशुओं की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2019 में जिले में कुल 5,91,415 पशु थे, जो 2025 में बढ़कर 6,99,821 हो गए हैं। पूरे हरियाणा राज्य में पशुधन की कुल संख्या में भी वृद्धि का अनुमान है।
किस जिले में कौन से पशु सबसे अधिक और सबसे कम पाए जाते हैं (2025 के आंकड़े)
2025 के नवीनतम आधिकारिक और विस्तृत आंकड़े अभी पूरी तरह से जारी नहीं किए गए हैं। हालांकि, उपलब्ध प्रारंभिक जानकारी और हाल के रुझानों के आधार पर कुछ अनुमान इस प्रकार हैं:
* सबसे अधिक पशु: हिसार जिला हरियाणा में सबसे अधिक पशुधन वाला जिला बना हुआ है।
* सबसे कम पशु: पंचकुला और फरीदाबाद जिले में राज्य में सबसे कम पशुधन होने का अनुमान है।
प्रमुख नस्लें
हरियाणा अपनी उच्च गुणवत्ता वाली पशु नस्लों के लिए जाना जाता है, जिनमें सबसे प्रमुख हैं:
* मुर्रा भैंस: यह हरियाणा की सबसे प्रसिद्ध नस्ल है और इसे "काला सोना" (Black Gold) भी कहा जाता है क्योंकि यह भारत में सबसे अधिक दूध देने वाली भैंस की नस्ल है।
* हरियाणा गाय: यह एक दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है, जो दूध और कृषि कार्यों दोनों के लिए उपयोगी है।
किस जिले में कौन से पशु अधिक पाए जाते हैं
भैंस: हरियाणा में मुर्रा भैंस सबसे ज्यादा पाई जाती है। ये भैंसें मुख्य रूप से रोहतक, झज्जर, हिसार, करनाल और जींद जिलों में पाई जाती हैं।
गाय: हिसार, रोहतक, सोनीपत, गुरुग्राम, जींद और झज्जर जिले हरियाणा नस्ल की गायों के लिए प्रसिद्ध हैं।
भेड़: भेड़ पालन के लिए कोई विशेष जिला प्रमुख नहीं है, लेकिन पश्चिमी हरियाणा के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भेड़ें अधिक पाई जाती हैं।
बकरी: भिवानी और मेवात (नूह) जिलों में बकरी पालन अधिक होता है।
सूअर: सूअर पालन के लिए कोई विशेष जिला प्रमुख नहीं है।
घोड़े: गुरुग्राम और चरखी दादरी जिलों में घोड़ों की अधिक आबादी है।
गधे: पलवल जिले में गधों की संख्या सबसे अधिक होने का अनुमान है।
कुत्ते: डॉग बाइट्स के मामलों में रोहतक और फरीदाबाद जैसे जिलों में कुत्तों की संख्या काफी है।
बिल्ली: बिल्लियों की संख्या के लिए विशेष रूप से कोई जिला प्रसिद्ध नहीं है।
हरियाणा में 450 से अधिक पक्षी प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
पशुपालन विभाग द्वारा 2024 में शुरू की गई 21वीं पशुधन गणना में 16 प्रजातियों के 219 नस्लों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य पशुपालकों के लिए योजनाओं को बेहतर ढंग से तैयार करना है।
हरियाणा में 21वीं पशुधन गणना जल्द शुरू होगी
हरियाणा में 21वीं पशुधन गणना के महत्व को बताता है, जिसके आंकड़े 2025 में जारी किए जाएंगे।
हरियाणा को "भारत की दूध की बाल्टी" (Milk Pail of India) कहा जाता है, और यह देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में अग्रणी राज्यों में से एक है। यहाँ की डेयरी फार्मिंग और दुग्ध उत्पादन की सफलता में कई कारक महत्वपूर्ण हैं।
1. प्रमुख पशु नस्लें
हरियाणा अपनी उच्च गुणवत्ता वाली पशु नस्लों के लिए विश्वभर में जाना जाता है, जो यहाँ के दुग्ध उत्पादन का आधार हैं:
* मुर्राह भैंस (Murrah Buffalo): इसे "हरियाणा का काला सोना" कहा जाता है। मुर्राह नस्ल की भैंसें अपनी उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं, जो औसतन 20-28 लीटर तक दूध प्रतिदिन दे सकती हैं। इनके दूध में वसा (fat) की मात्रा भी अधिक (7-10%) होती है।
* हरियाणवी गाय (Hariana Cow): यह गाय की एक देसी नस्ल है जो दूध उत्पादन और कृषि कार्यों, दोनों के लिए जानी जाती है।
* साहिवाल गाय (Sahiwal Cow): यह एक और देसी नस्ल है जो अपने उच्च वसा वाले दूध के लिए प्रसिद्ध है।
2. सरकारी योजनाएं और सहायता
हरियाणा सरकार ने डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे किसानों और बेरोजगार युवाओं को मदद मिल रही है।
* मिनी और हाईटेक डेयरी योजनाएं:
* मिनी डेयरी: 10 दुधारू पशुओं तक की मिनी डेयरी स्थापित करने पर पशुओं की लागत पर 25% तक की सब्सिडी दी जाती है।
* अनुसूचित जाति के लिए विशेष प्रावधान: अनुसूचित जाति के परिवारों को 2 या 3 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने पर 50% तक का अनुदान मिलता है।
* डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना: इस योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने पर 25-33% तक की सब्सिडी दी जाती है।
* ब्याज में छूट: 20 या 50 दुधारू पशुओं की हाईटेक डेयरी स्थापित करने के लिए सरकार 5 साल तक बैंक लोन पर ब्याज में 75% तक की छूट देती है।
* पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना: इस योजना के तहत पशुपालकों को बिना किसी सिक्योरिटी के ₹1,60,000 तक का लोन मिल सकता है।
* नस्ल सुधार पर प्रोत्साहन:
* मुर्राह भैंस: जो भैंसें 18 किलो से अधिक दूध देती हैं, उनके मालिकों को ₹15,000 से ₹30,000 तक का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है।
* देसी गाय: हरियाणवी, साहिवाल जैसी देसी नस्लों की गायों के लिए भी उनके दुग्ध उत्पादन के आधार पर ₹5,000 से ₹20,000 तक का नकद प्रोत्साहन मिलता है।
* राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इस मिशन का उद्देश्य देसी नस्लों का आनुवंशिक सुधार करना है।
* प्राकृतिक खेती प्रोत्साहन: प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को देसी गाय पालने पर प्रति गाय ₹30,000 वार्षिक अनुदान दिया जाता है।
3. डेयरी फार्मिंग शुरू करने के लिए प्रक्रिया
* प्रशिक्षण: सरकार द्वारा 11 दिनों का डेयरी हसबेंड्री प्रशिक्षण दिया जाता है।
* स्थान का चयन: डेयरी फार्म के लिए पर्याप्त जगह, पानी और बिजली की सुविधा होनी चाहिए।
* पंजीकरण: संबंधित विभाग (पशुपालन और डेयरी विभाग) से संपर्क करके योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
* दस्तावेज़: आवेदन पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, शपथ पत्र, बैंक खाते का विवरण और सरपंच/पटवारी की रिपोर्ट जैसे दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
4. दुग्ध उत्पादन और अर्थव्यवस्था में योगदान
हरियाणा में दुग्ध उत्पादन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह लाखों लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए। राज्य का वार्षिक दुग्ध उत्पादन 10 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक है, जिसमें भैंस का दूध प्रमुख है।
हरियाणा दुग्ध उद्योग और बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने के लिए सहकारी समितियों का एक बड़ा नेटवर्क भी मौजूद है, जिसमें वीटा (Vita) जैसे प्रसिद्ध ब्रांड शामिल हैं, जो राज्य के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में भी दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करते हैं।
हरियाणा, भारत के पोल्ट्री उद्योग में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह राज्य न केवल पोल्ट्री उत्पादों, विशेषकर अंडों का एक बड़ा उत्पादक है, बल्कि पोल्ट्री फार्मिंग के लिए एक आदर्श स्थान भी माना जाता है।
हरियाणा में पोल्ट्री फार्मिंग का स्थान
* अंडा उत्पादन: हरियाणा अंडा उत्पादन में देश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। करनाल और कुरुक्षेत्र जैसे जिलों में प्रतिदिन करोड़ों अंडों का उत्पादन होता है। हरियाणा से उत्पादित कुल अंडों का लगभग 70% उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में भेजा जाता है।
* उपयुक्त राज्य: पोल्ट्री उत्पादों की समयबद्ध आपूर्ति, बेहतर कनेक्टिविटी, मजबूत लॉजिस्टिक्स और प्रभावी कोल्ड चेन नेटवर्क के कारण हरियाणा को इस उद्योग के लिए देश का सबसे उपयुक्त राज्य माना जाता है।
* रोजगार का स्रोत: यह उद्योग हरियाणा में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
पोल्ट्री फार्मिंग में पाले जाने वाले पक्षी
पोल्ट्री फार्मिंग में मुख्य रूप से उन पक्षियों को पाला जाता है जिनसे मांस, अंडे और पंख प्राप्त किए जा सकें। सबसे आम पक्षी हैं:
* मुर्गियाँ (Chickens): यह पोल्ट्री फार्मिंग का सबसे लोकप्रिय पक्षी है। इन्हें दो मुख्य श्रेणियों में पाला जाता है:
* ब्रायलर (Broilers): मांस के लिए।
* लेयर (Layers): अंडे के लिए।
* बत्तख (Ducks): मांस और अंडे दोनों के लिए पाली जाती हैं।
* बटेर (Quails): इनके मांस और अंडे की काफी मांग होती है। इनका आकार छोटा होने के कारण ये कम जगह में पाले जा सकते हैं।
* गिनी फाउल (Guinea Fowls): इन्हें भी मांस और अंडे के लिए पाला जाता है।
* टर्की (Turkeys): मुख्य रूप से मांस के लिए पाले जाते हैं।
* कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Chicken): यह एक देसी नस्ल है जो अपने काले मांस और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। हरियाणा के कई फार्मों में भी अब इसका पालन किया जा रहा है।
पोल्ट्री फार्मिंग में उपयोग होने वाली मशीनें
आधुनिक पोल्ट्री फार्मिंग में कई प्रकार की मशीनों का उपयोग किया जाता है ताकि काम को अधिक कुशल और स्वचालित बनाया जा सके। ये मशीनें श्रम और समय की बचत करती हैं और उत्पादन को बढ़ाती हैं।
* फीडर और ड्रिंकर (Feeder & Drinker): स्वचालित फीडर और पानी पीने के सिस्टम जो पक्षियों को लगातार भोजन और पानी उपलब्ध कराते हैं।
* वेंटिलेशन और कूलिंग सिस्टम (Ventilation & Cooling System): शेड के अंदर तापमान और हवा को नियंत्रित करने के लिए पंखे, कूलिंग पैड और वेंटिलेशन सिस्टम।
* इनक्यूबेटर और हैचरी (Incubator & Hatchery): अंडे से चूजे निकालने के लिए स्वचालित मशीनें।
* डीबिकिंग मशीन (Debeaking Machine): पक्षियों की चोंच काटने के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन, जिससे वे एक-दूसरे को चोट न पहुंचा सकें।
* फीड मिक्सर (Feed Mixer): विभिन्न सामग्री को मिलाकर पोल्ट्री फीड बनाने वाली मशीन।
* अंडे की ट्रे और कलेक्शन सिस्टम (Egg Trays & Collection System): अंडों को इकट्ठा करने और उन्हें सुरक्षित रूप से रखने के लिए।
हरियाणा में करनाल, कुरुक्षेत्र, हिसार, पानीपत और सोनीपत जैसे कई शहरों में पोल्ट्री फार्मिंग के उपकरण बनाने और बेचने वाली कंपनियां और डीलर्स मौजूद हैं।
9. हरियाणा की नदियां और उनकी सहायक नदियां, झीलें नहरें
हरियाणा की भौगोलिक स्थिति के कारण यहां की नदियां मुख्य रूप से दो प्रमुख अपवाह तंत्रों में विभाजित हैं: उत्तर-पूर्वी नदियाँ और दक्षिण-पश्चिम नदियाँ। इन नदियों में से केवल यमुना ही बारहमासी नदी है, जबकि अन्य नदियाँ मौसमी हैं।
यहाँ हरियाणा की प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. यमुना नदी
* उद्गम: यह उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय की बंदर पूछ चोटी पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है जिसकी ऊंचाई 6316 मीटर है।
* प्रवाह: यह हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच पूर्वी सीमा बनाती है। हरियाणा में, यह यमुनानगर के ताजेवाला के उत्तर में कलेसर से प्रवेश करती है और करनाल, पानीपत, सोनीपत जैसे जिलों से होकर गुजरती है।
* सहायक नदियाँ: हरियाणा में यमुना की कुछ सहायक नदियों में पथराला, थापना, बुढी गंगा और सोमबा शामिल हैं।
2. घग्गर नदी
* उद्गम: यह हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास दगशाई से निकलती है।
* प्रवाह: यह पंचकुला के कालका से हरियाणा में प्रवेश करती है। यह अंबाला, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जैसे जिलों से होकर बहती है और फिर राजस्थान में लुप्त हो जाती है। पाकिस्तान में इसे हकरा नदी के नाम से जाना जाता है।
* सहायक नदियाँ: कौशल्या नदी, मारकंडा, सरस्वती, टांगरी और चौटांग इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
3. मारकंडा नदी
* उद्गम: यह हिमाचल प्रदेश में नाहन के पास शिवालिक पहाड़ियों से निकलती है।
* प्रवाह: यह हरियाणा में अंबाला जिले से प्रवेश करती है। इसका प्राचीन नाम अरुणा है। यह कुरुक्षेत्र की सन्निहित झील में प्रवेश करती है और कैथल के पास घग्गर नदी में मिल जाती है।
* सहायक नदियाँ: रण, बेगना और नकटी इसकी सहायक नदियाँ हैं।
4. टांगरी नदी
* उद्गम: यह पंचकुला की मोरनी पहाड़ियों से निकलती है, जो हरियाणा में ही उद्गमित होने वाली कुछ नदियों में से एक है।
* प्रवाह: यह पंचकुला और अंबाला जिलों से होकर बहती है और अंबाला के मुलाना के पास मारकंडा नदी में मिल जाती है।
* सहायक नदियाँ: बलियारी और आमरी इसकी सहायक नदियाँ हैं।
5. साहिबी नदी
* उद्गम: यह राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों से निकलती है।
* प्रवाह: यह दक्षिण हरियाणा की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। यह रेवाड़ी और गुरुग्राम से होकर बहती है और दिल्ली के नजफगढ़ नाले में गिरती है, जो अंततः यमुना में मिल जाता है।
* सहायक नदियाँ: सोता, दोहन और कृष्णावती इसकी सहायक नदियाँ हैं।
6. दोहान नदी
* उद्गम: यह राजस्थान में नीम का थाना के पास अरावली की पहाड़ियों से निकलती है।
* प्रवाह: यह महेंद्रगढ़ जिले से होकर बहती है।
7. कृष्णावती नदी
* उद्गम: यह राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों से निकलती है।
* प्रवाह: यह रेवाड़ी जिले से होकर बहती है।
इसके अलावा, कुछ अन्य छोटी नदियाँ और जलधाराएँ भी हैं जो हरियाणा के नदी तंत्र का हिस्सा हैं, जैसे इंदौरी नदी और सरस्वती नदी।
इंदौरी नदी, जिसे प्राचीन काल में अंशुमती के नाम से जाना जाता था, हरियाणा की एक महत्वपूर्ण मौसमी नदी है। यह मुख्य रूप से दक्षिणी हरियाणा के नदी तंत्र का हिस्सा है।
यहाँ इंदौरी नदी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
* उद्गम: यह नदी हरियाणा के नूंह जिले (मेवात) की पहाड़ियों के पास स्थित प्राचीन इंदौरा किले से निकलती है। इसी किले के नाम पर इसका नाम इंदौरी पड़ा।
* प्रवाह: उद्गम स्थल से निकलने के बाद, यह नदी दो शाखाओं में बंट जाती है।
* एक शाखा रेवाड़ी जिले की ओर बहती है और अंत में साहिबी नदी में मिल जाती है।
* दूसरी शाखा पटौदी (गुरुग्राम) के पास बहते हुए साहिबी नदी में मिलती है।
* सहायक नदी: इंदौरी नदी स्वयं साहिबी नदी की एक महत्वपूर्ण और लंबी सहायक नदी है।
* विशेषता: यह एक वर्षा आधारित नदी है, जिसका प्रवाह केवल मानसून के मौसम में ही होता है। बारिश के अभाव में यह नदी सूख जाती है।
हाल ही में, हरियाणा सरकार द्वारा गुरुग्राम जिले में इस नदी के पुनरुद्धार की परियोजना को भी मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य इसके जल स्तर और प्रवाह को बढ़ाना है।
सरस्वती नदी भारतीय सभ्यता की एक पौराणिक और ऐतिहासिक नदी है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद सहित कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। आधुनिक हरियाणा के संदर्भ में, सरस्वती नदी का महत्व इस तथ्य से जुड़ा है कि माना जाता है कि यह नदी इसी क्षेत्र से होकर बहती थी।
यहाँ सरस्वती नदी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
* वैदिक काल: ऋग्वेद में सरस्वती को 'नदीतमा' (नदियों में श्रेष्ठ) कहा गया है। यह ज्ञान, कला और वाणी की देवी के रूप में भी पूजी जाती है।
* त्रिवेणी संगम: प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा और यमुना के साथ सरस्वती का एक अदृश्य संगम माना जाता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहते हैं।
हरियाणा में सरस्वती नदी
* उद्गम: माना जाता है कि सरस्वती नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में शिवालिक पहाड़ियों के पास आदि बद्री नामक स्थान से हुआ था।
* प्रवाह: ऐतिहासिक साक्ष्यों और भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि यह नदी हरियाणा के यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल और सिरसा जिलों से होकर बहती थी।
* पुनरुद्धार परियोजना: हरियाणा सरकार ने इस प्राचीन नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कई पहल की हैं।
* आदि बद्री में खुदाई: यमुनानगर के आदि बद्री में सरस्वती नदी के मार्ग को फिर से खोजने और उसका प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए खुदाई का काम किया गया है।
* सरस्वती हेरिटेज बोर्ड: हरियाणा सरकार ने सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड का गठन किया है, जिसका उद्देश्य इस नदी के पुनरुद्धार से संबंधित सभी कार्यों की देखरेख करना है।
* सरस्वती जलाशय: सरस्वती नदी के मार्ग पर जल भंडारण के लिए आदि बद्री में एक जलाशय का निर्माण किया गया है।
* सहायक नदियाँ: माना जाता है कि घग्गर, मारकंडा और टांगरी जैसी नदियाँ कभी सरस्वती नदी की सहायक नदियाँ थीं या इसके मार्ग से जुड़ी हुई थीं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्तमान में सरस्वती नदी एक मौसमी जलधारा के रूप में ही प्रवाहित होती है और इसका अस्तित्व पौराणिक और भूवैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित है। सरकार का प्रयास इस नदी के ऐतिहासिक महत्व को पुनर्जीवित करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।
हरियाणा की प्रमुख फैसले फासले फसल
धान का कटोरा किसे कहा जाता है तरावड़ी करनाल को
सबसे अधिक धान जीरी कहां पर होती है करनाल में
विश्व प्रसिद्ध बासमती चावल कहां पर होता है करनाल में
सबसे अधिक धान की किस्म कहां पाई जाती हैं कैथल में
10. हरियाणा में सिंचाई व्यवस्था, Nahar tubewell talab tabka sinchai fuhara sinchai water lifting
हरियाणा में सिंचाई व्यवस्था मुख्य रूप से नहरों, नलकूपों (ट्यूबवेल) और वर्षा पर आधारित है। राज्य की लगभग 86% कृषि योग्य भूमि सिंचित है, जो इसे भारत के सबसे अधिक सिंचित राज्यों में से एक बनाती है।
1. नहरें (Canals)
हरियाणा की सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत नहरें हैं। राज्य में लगभग 5.21 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहरों से होती है।
* पश्चिमी यमुना नहर (Western Yamuna Canal): यह हरियाणा की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी नहर है। यह यमुना नदी से ताजेवाला में निकलती है और अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, जींद और हिसार जैसे जिलों में सिंचाई करती है। इसकी कुल लंबाई 322 किलोमीटर है और इसकी कई उप-शाखाएं भी हैं।
* सतलुज-यमुना लिंक नहर (Sutlej-Yamuna Link Canal - SYL): यह नहर सतलुज और यमुना नदियों को जोड़ने के लिए बनाई गई थी। इसका उद्देश्य पंजाब से हरियाणा को रावी और ब्यास नदियों के पानी में से अपने हिस्से का पानी दिलवाना है। हालाँकि, यह अभी भी एक विवादित मुद्दा बना हुआ है।
* भाखड़ा नहर (Bhakra Canal): यह नहर सतलुज नदी से पंजाब के नांगल में निकलती है और हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी जिलों में सिंचाई करती है।
* गुड़गांव नहर (Gurgaon Canal): यह नहर ओखला बैराज से यमुना नदी पर निकलती है और हरियाणा के गुड़गांव (गुरुग्राम) और फरीदाबाद जिलों में सिंचाई करती है।
* जवाहरलाल नेहरू उत्थापक सिंचाई परियोजना (Jawaharlal Nehru Lift Irrigation Project): यह एशिया की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजना है, जो महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और भिवानी जैसे सूखे क्षेत्रों में पानी पहुंचाती है।
2. नलकूप (Tubewells)
हरियाणा में नलकूप भी सिंचाई का एक महत्वपूर्ण साधन हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ नहरों का पानी नहीं पहुंचता। हरियाणा में लगभग 6.5 लाख नलकूप हैं।
* नलकूपों से लगभग 50% सिंचाई होती है।
* अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और यमुनानगर जैसे उत्तरी जिलों में नलकूपों से सिंचाई अधिक होती है, जबकि दक्षिणी हरियाणा में नहरों पर निर्भरता अधिक है।
* राज्य सरकार किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए सब्सिडी भी देती है, जिससे बिजली की बचत होती है और सिंचाई की लागत कम होती है।
3. अन्य सिंचाई के साधन
* फव्वारा सिंचाई (Sprinkler Irrigation): सरकार इस पद्धति को बढ़ावा दे रही है, खासकर कम पानी वाले क्षेत्रों में। इससे पानी की बचत होती है और फसल को समान रूप से पानी मिलता है।
* टपक सिंचाई (Drip Irrigation): यह सिंचाई का एक और आधुनिक तरीका है जो सीधे पौधों की जड़ों में पानी पहुंचाता है, जिससे पानी की बर्बादी लगभग न के बराबर होती है।
* तालाब (Ponds): राज्य के कई हिस्सों में वर्षा जल को तालाबों में जमा करके सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
4. चुनौतियों और समाधान
* पानी की कमी: सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद के कारण हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल पा रहा है। भूजल स्तर भी लगातार गिर रहा है।
* प्रदूषण: नहरों के पानी में कई बार प्रदूषण की समस्या आती है।
* समाधान: सरकार जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण, माइक्रो-इरिगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) और नहरों की मरम्मत पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
* 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना: इस योजना के तहत धान की फसल की जगह कम पानी वाली फसलें जैसे मक्का, बाजरा और दालें उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
11. हरियाणा में वनावरण वृक्ष संसाधन क्षेत्र हरियाणा के वननीति
हरियाणा वन रिपोर्ट 2025 के अनुसार, राज्य का कुल वन और वृक्ष आवरण उसके भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 7.16% है। यह भारत में सबसे कम वन आवरण वाले राज्यों में से एक है।
प्रमुख आंकड़े
कुल वन आवरण (Total Forest Cover): 1,614.2 वर्ग किलोमीटर। यह पिछले सर्वेक्षणों की तुलना में मामूली कमी दर्शाता है।
वृक्ष आवरण (Tree Cover): 1,793 वर्ग किलोमीटर। पेड़ों के आवरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कृषि वानिकी और अन्य वृक्षारोपण प्रयासों का परिणाम है।
कुल वन और वृक्ष आवरण: 3,407.2 वर्ग किलोमीटर (7.16%)।
सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले: पंचकूला, यमुनानगर और गुरुग्राम। पंचकूला में राज्य का सबसे अधिक वन आवरण है, जबकि करनाल में सबसे कम है।
आंकड़ों में बदलाव:
वन आवरण (Forest Cover) में 14 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है।
वृक्ष आवरण (Tree Cover) में 141.3 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
वन नीति और लक्ष्य वन नीति (Forest Policy) और नए नियम
वन अधिनियम, 1927: हरियाणा सरकार ने 2025 में भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत कुछ नए नियम बनाए हैं, जिसके अनुसार संरक्षित वन क्षेत्रों में बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई, चराई या आग लगाना प्रतिबंधित है।
अरावली क्षेत्र: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, हरियाणा सरकार ने अरावली सहित सभी वन क्षेत्रों को परिभाषित करने और उनका सर्वेक्षण करने के लिए समितियां गठित की हैं। यह कदम वनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
प्राकृतिक खेती: सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है और देसी गाय पालने पर किसानों को आर्थिक सहायता भी दे रही है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण को बेहतर बनाना भी है।
पर्यावरण संस्थान (Environmental Institutions)
हरियाणा वन विभाग (Haryana Forest Department): यह विभाग राज्य में वनों और वन्यजीवों के प्रबंधन और संरक्षण का कार्य करता है।
हरियाणा वन विकास निगम (Haryana Forest Development Corporation): यह किसानों को उचित मूल्य पर पेड़ों की खरीद सुनिश्चित करता है और लकड़ी के उत्पादों का उत्पादन भी करता है।
स्वर्ण जयंती पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान (Swarna Jayanti Environment Training Institute): यह संस्थान लोगों को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूक करने और प्रशिक्षण देने का काम करता है।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCSHAU): हिसार में स्थित यह विश्वविद्यालय पर्यावरण विज्ञान और टिकाऊ कृषि पर शोध और शिक्षा प्रदान करता है।
हरियाणा में पर्यावरण संरक्षण, अनुसंधान और प्रबंधन के लिए कई संस्थान काम कर रहे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख संस्थानों और उनकी स्थापना की जानकारी दी गई है।
प्रमुख पर्यावरण संस्थान
* हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Haryana State Pollution Control Board - HSPCB):
* स्थापना: 1974 में, जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत की गई।
* कार्य: जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करना।
* हरियाणा जैव विविधता बोर्ड (Haryana Biodiversity Board):
* स्थापना: 14 नवंबर, 2006 को हुई।
* कार्य: राज्य में जैविक संसाधनों का संरक्षण, टिकाऊ उपयोग और जैव विविधता से जुड़े लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना।
* हरियाणा वन विकास निगम (Haryana Forest Development Corporation - HFDC):
* स्थापना: जनवरी, 1989 को।
* कार्य: राज्य में वनों के विकास, प्रबंधन और लकड़ी के उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देना।
* केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (Central Soil Salinity Research Institute - CSSRI):
* स्थापना: 1 मार्च, 1969 को करनाल में।
* कार्य: लवणीय भूमि को सुधारने और जल प्रबंधन पर अनुसंधान करना ताकि कृषि उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
* हरियाणा पर्यावरण संरक्षण एवं शोध समिति (Haryana Paryavaran Sanrakshan Evam Shodh Samiti):
* स्थापना: 1990 में राव श्रवण सिंह के नेतृत्व में।
* कार्य: पर्यावरण संरक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में जागरूकता और शोध को बढ़ावा देना।
* पर्यावरण न्यायालय (Environmental Courts):
* स्थापना: हिसार और फरीदाबाद में पर्यावरण से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं।
* कार्य: पर्यावरणीय कानूनों के तहत होने वाले अपराधों और विवादों का निपटारा करना।
हरियाणा में वन्यजीवों और प्रकृति के संरक्षण के लिए कई प्रजनन केंद्र और राष्ट्रीय उद्यान भी हैं, जैसे पंचकूला में गिद्ध संरक्षण केंद्र और यमुनानगर में कलेसर राष्ट्रीय उद्यान, जिसकी स्थापना 8 दिसंबर, 2003 को हुई थी।
यह वीडियो हरियाणा के प्रमुख संस्थानों के बारे में जानकारी देती है, जिसमें पर्यावरण से संबंधित संस्थान भी शामिल हैं। हरियाणा के प्रमुख संस्थान | Most Important Questions | For All Haryana Exam
12. हरियाणा में राष्ट्रीय उद्यान वन्य जीव अभ्यारण चिड़ियाघर, सामुदायिक संरक्षित क्षेत्र हर्बल पर्क
हरियाणा में वन्यजीवों के संरक्षण वन संबंधी नीतियों के लिए 7 दिसंबर 1999 को वन विभाग की स्थापना की गई थी जिसका मुख्यालय पंचकूला में है।
अपनों के संरक्षण के लिए और पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिए राष्ट्रीय वन नीति 1988 लाई गई, राष्ट्रीय वन नीति का उद्देश्य है कि वनों का प्रतिशत, क्षेत्रफल का 20% होना चाहिए।
वनों को संरक्षण के आधार पर 7 हिस्सों में बांटा गया है - 1. राष्ट्रीय पार्क 2. वन्य जीवन अभ्यारण 3. संरक्षित आरक्षित क्षेत्र 4. सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र 5. चिड़ियाघर 6. हर्बल पार्क 7. प्रजनन केंद्र
हरियाणा में दो राष्ट्रीय उद्यान/पार्क है और आठ वन्यजीव अभ्यारण्य हैं। इसके अलावा, राज्य में तीन चिड़ियाघर और कई वन्यजीव संरक्षण और प्रजनन केंद्र भी हैं। 🌳🦜🦌
राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)
हरियाणा में दो राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
1 * सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (Sultanpur National Park): यह गुरुग्राम जिले के सुल्तानपुर ब्लॉक में फरुखनगर गांव मे स्थित है। इसकी खोज सन 1970 में पीटर जैक्सन के द्वारा की गई थी जो कि इंग्लैंड के हैं। इसका क्षेत्रफल 352.17 एकड़ है जो की 1.43 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह भारत का सबसे छोटा राष्ट्रीय पार्क है।
* स्थापना: इसे 1971 में पक्षी अभयारण्य/पक्षी विहार का दर्जा मिला और 5 जुलाई, 1991 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इसकी स्थापना में पीटर स्काउट इंग्लैंड व सलीम अली जिनको बर्ड मैन ऑफ़ इंडिया कहा जाता है, उनका विशेष सहयोग रहा है।
विशेषता: यह एक रामसर साइट (आर्द्रभूमि) है और सर्दियों के दौरान हजारों प्रवासी पक्षियों का घर बनता है, जिनमें साइबेरियन क्रेन, ग्रेटर फ्लेमिंगो और स्पॉट-बिल्ड पेलिकन जैसे पक्षी शामिल हैं। पक्षियों की खूबसूरती को देखने के लिए यहां पर चार वॉचिग टावर बनाए गए हैं। यह हरियाणा का सर्वप्रथम इको पार्क है।
इसको सलीम अली पक्षी विहार के नाम से भी जाना जाता था, वर्ष 1972 में सुल्तानपुर झील को जलीय जीवों हेतु आरक्षित घोषित किया गया। और 5 जुलाई 1991 को राष्ट्रीय पार्क का दर्जा मिला।
सुल्तानपुर पक्षी विहार को लेक बर्ड सेंचुरी और पक्षियों का स्वर्ग स्थान भी कहा जाता है।
2 * कालेसर राष्ट्रीय उद्यान (Kalesar National Park): यह यमुनानगर जिले में शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। इसका नाम महाकालेश्वर मंदिर के कारण रखा गया है। साल 1996 में इसको वन्य जीव अभ्यारण का दर्जा मिला और फिर वर्ष 2000 में भी इसका विस्तार किया गया।
* स्थापना: इसे 8 दिसंबर, 2003 को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। यह हरियाणा का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है जिसका क्षेत्रफल 53 वर्ग किलोमीटर है।
* विशेषता: यह अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है, यह लाल जंगली मुर्गे व भौंकने वाले हिरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ तेंदुए, सांभर, चीतल, और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। यहाँ कई औषधीय पौधे भी हैं।
वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries)
हरियाणा में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 8 वन्यजीव अभयारण्य हैं।
1 * भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य (Bhindawas Wildlife Sanctuary): भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण हरियाणा की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि है। इला फाउंडेशन, पुणे द्वारा भिंडवास झील पर एक पुस्तक भी लिखी गई है।
* स्थान और स्थापना: यह झज्जर शहर से लगभग 15 किमी दूर स्थित है। इसे 1986 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था, और 3 जून 2009 को इसे भारत सरकार द्वारा एक पक्षी विहार (बर्ड सैंक्चुअरी) भी घोषित किया गया। यहां 250 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं।
रामसर स्थल: मई 2021 में, इसे अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (Ramsar Site) के रूप में नामित किया गया, जो इसके पारिस्थितिक महत्व को दर्शाता है।
* प्रवासी पक्षियों का घर: यह अभयारण्य पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। यहां लगभग 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कई प्रवासी पक्षी हैं जो सर्दियों के दौरान यहां आते हैं।
* मानव निर्मित आर्द्रभूमि: भिंडावास अभयारण्य एक मानव निर्मित मीठे पानी की आर्द्रभूमि है। इसे जवाहरलाल नेहरू नहर के अतिरिक्त पानी को संग्रहीत करने के लिए बनाया गया था, जिससे यह हरियाणा राज्य की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि बन गई। इसको सुंदर झील के नाम से भी जाना जाता है और यह छोटे-छोटे टापूओं के लिए प्रसिद्ध है।
* वन्यजीव: पक्षियों के अलावा, यहाँ नीलगाय, सियार, जंगली बिल्ली, नेवला, भारतीय कोबरा और मोर जैसे कई अन्य वन्यजीव भी पाए जाते हैं।
2. * खपरवास वन्यजीव अभयारण्य (Khaparwas Wildlife Sanctuary): यह भी झज्जर में स्थित है और भिंडावास के पास है। इसकी स्थापना 1991 में हुई थी।
3. * नाहर वन्यजीव अभयारण्य (Nahar Wildlife Sanctuary): रेवाड़ी जिले के नाहड़ (कोसली) में स्थित है। इसकी स्थापना 1987 में हुई थी। यह सांभर चीतल बारह सिंगा के लिए प्रसिद्ध है।
4. * छिलछिला वन्यजीव अभयारण्य (Chhilchila Wildlife Sanctuary): कुरुक्षेत्र के syonthi कलां में स्थित, यह भारत का सबसे छोटा वन्यजीव अभयारण्य है। इसको 1986 में वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया था।
5. * अबू शहर वन्यजीव अभयारण्य (Abubshahar Wildlife Sanctuary): सिरसा जिले के अबूशहर गाम में स्थित है। इसकी स्थापना 1987 में हुई थी।
यह हरियाणा का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण है जो 28492 एकड़ में फैला हुआ है वर्ष 2018 में इसको सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र का दर्जा दे दिया गया है।
6. * वीर शिकारगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (Bir Shikargah Wildlife Sanctuary): पंचकूला में स्थित है। जिसकी स्थापना 1975 में की गई थी 1987 में इसे विशेष दर्जा दिया गया।
7 * खोल ही-रैतान वन्यजीव अभयारण्य (Khol Hi-Raitan Wildlife Sanctuary): पंचकूला में स्थित है जिसको 2004-05 में वन्य जीव अभ्यारण का दर्जा मिला।
हरियाणा में वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कुछ क्षेत्रों को 'संरक्षण रिजर्व' (Conservation Reserves) के रूप में अधिसूचित किया गया है। ये ऐसे संरक्षित क्षेत्र होते हैं जो राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के बीच एक बफर जोन (buffer zone) के रूप में कार्य करते हैं या ऐसे क्षेत्र होते हैं जो पहले से मौजूद राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों को जोड़ते हैं।
हरियाणा में दो प्रमुख संरक्षण रिजर्व हैं:
1. * बीरबारावन वन्यजीव संरक्षण रिजर्व (Bir Bara Ban Wildlife Conservation Reserve): यह जींद जिले में स्थित है। यह क्षेत्र एक आर्द्रभूमि के रूप में कार्य करता है और यहाँ कई प्रकार के वन्यजीव और पक्षी पाए जाते हैं। यह क्षेत्र नीले बैल (नीलगाय), सियार और कई पक्षी प्रजातियों का घर है। यह क्षेत्र रामू कवि किसान के गृह नगर जींद के बहुत करीब है। स्थापना वर्ष 2007 में
2. * सरस्वती वन्यजीव संरक्षण रिजर्व (Saraswati Wildlife Conservation Reserve): यह कैथल व कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है। इसे आमतौर पर 'सेओन्सार' यानि श्योंसर जंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक घना और मिश्रित वन क्षेत्र है जो वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास प्रदान करता है। स्थापना वर्ष 2007 में
हरियाणा में हाल ही में वर्ष 2017 में सामुदायिक रिजर्व (Community Reserve) की घोषणाएँ भी हुई हैं
हिसार जिले में चौधरीवाली गांव में। सामुदायिक रिजर्व ऐसे संरक्षित क्षेत्र होते हैं जहाँ स्थानीय समुदाय वन्यजीवों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
1. गोल्डन जुबली ब्रह्म सरोवर सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है। 2017 में इसको सामुदायिक आरक्षित क्षेत्र का दर्जा दिया गया।
2. आबू शहर सामुदायिक क्षेत्र जिला सिरसा के आबू शहर में वर्ष 2018 में इसको यह दर्जा दिया गया।
चिड़ियाघर (Zoos)
हरियाणा में तीन प्रमुख चिड़ियाघर हैं।
1. * मिनी जू, भिवानी (Mini Zoo, Bhiwani): 1982-83 में स्थापित चौधरी सुरेंद्र सिंह मेमोरियल लघु चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है।
2. * मिनी जू, पिपली (Mini Zoo, Pipli): कुरुक्षेत्र जिले में जीटी रोड़ NH 44 पर स्थित है। यह चिड़ियाघर लगभग 27 एकड़ में फैला हुआ है और इसकी स्थापना 1982 में हुई थी। यह वन्यजीव विभाग, हरियाणा द्वारा संचालित तीन चिड़ियाघरों में से एक है। यहाँ एशियाई शेर, काला हिरण, तेंदुआ, घड़ियाल, हिप्पोपोटामस और विभिन्न पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
3. * रोहतक चिड़ियाघर (Rohtak Zoo): 1985-86 में स्थापित किया गया था। यह राज्य का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। जो तिलियार झील के पास स्थित है।
इनके अलावा, राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए विभिन्न प्रजनन केंद्र भी हैं, जैसे पिंजौर में गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र, भौर सैदां (कुरुक्षेत्र) में मगरमच्छ प्रजनन केंद्र और मोरनी (पंचकूला) में तीतर प्रजनन केंद्र।
हरियाणा में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई प्रजनन केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहाँ प्रमुख प्रजनन केंद्रों की सूची दी गई है:
1. * गिद्ध/जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र (Vulture Conservation and Breeding Centre) VCBC: यह पंचकूला के पिंजौर में स्थित है और इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी, जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन व रॉयल सोसाइटी फॉर प्रॉटेक्शन ऑफ बर्ड के सहयोग से वर्ष 2001 में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य गिद्धों की घटती हुई आबादी को बचाना है। यहां पर चार प्रकार के गिद्धों के प्रजाति देखने को मिलती है, मुख्य रूप से चार प्रकार के गिद्धों का संरक्षण और प्रजनन किया जाता है, जिनमें से तीन प्रजातियाँ गंभीर रूप से लुप्तप्राय हैं:
सफ़ेद पीठ वाले गिद्ध (White-rumped Vulture)
लंबी चोंच वाले गिद्ध (Long-billed Vulture)
पतली चोंच वाले गिद्ध (Slender-billed Vulture)
हिमालयी गिद्ध (Himalayan Vulture)
2. * मगरमच्छ प्रजनन केंद्र (Crocodile Breeding Centre): यह कुरुक्षेत्र के भोर सैदां में स्थित है।
3. * मोर एवं चिंकारा प्रजनन केंद्र (Peacock and Chinkara Breeding Centre): यह रेवाड़ी जिले के झाबुआ गाँव में है, जिसका उद्घाटन 4 अक्टूबर, 2011 को किया गया था।
4. * चिंकारा प्रजनन केंद्र (Chinkara Breeding Centre): यह भिवानी के कैरू गाँव में स्थित है। यह चिंकारा, जिसे भारतीय गज़ेल भी कहा जाता है, के संरक्षण के लिए काम करता है।
5. * तीतर प्रजनन केंद्र (Pheasant Breeding Centre): यह पंचकूला के मोरनी में है।
6. * काला तीतर प्रजनन केंद्र (Black Francolin Breeding Centre): यह कुरुक्षेत्र के पीपली में स्थित है।
7. * रेड जंगल फाउल प्रजनन केंद्र (Red Jungle Fowl Breeding Centre): यह भी पंचकूला के पिंजौर में है।
8. ब्लैक बक काला हिरण प्रजनन केंद्र कुरुक्षेत्र के पिपली चिड़ियाघर में स्थित है।
9. हाथी पुनर्वास एवं अनुसंधान केंद्र बनसन्तौर जिला यमुनानगर में स्थित है।
10. चिड़िया या गौरैया प्रजनन केंद्र मोरनी पंचकूला व बेरवाला पंचकूला में स्थित है।
केंद्र विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों की आबादी को बढ़ाने और उन्हें विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हरियाणा के प्रजनन केंद्र Haryana ke prajanan kendra trick
हरियाणा में वन विभाग द्वारा कुल 59 हर्बल पार्क या औषधीय पौधों की स्थापना की गई है। इन पार्कों का उद्देश्य औषधीय और सुगंधित पौधों का संरक्षण करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। इन पार्कों में से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
1. चौधरी देवीलाल रुद्राक्ष वाटिका (यमुनानगर): यह हरियाणा का सबसे बड़ा और सबसे पुराना हर्बल पार्क है। यह चूहड़पुर गाँव, यमुनानगर में स्थित है। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा किया गया था।
2. चौधरी सुरेंद्र सिंह मेमोरियल हर्बल पार्क (भिवानी): यह पार्क भिवानी जिले के कैरू गाँव में है। यहाँ एक चिंकारा प्रजनन केंद्र भी है।
3. अश्वगंधा वाटिका (रेवाड़ी): यह पार्क रेवाड़ी जिले में स्थित है और अश्वगंधा के पौधों के लिए जाना जाता है।
4. तिगरा हर्बल पार्क (गुरुग्राम): गुरुग्राम में स्थित, यह पार्क शहरी क्षेत्र के पास एक प्राकृतिक और शांत वातावरण प्रदान करता है।
5. टिककरताल मोरनी हर्बल पार्क (पंचकुला): यह पार्क मोरनी की पहाड़ियों में स्थित है और इसे विश्व का सबसे बड़ा हर्बल फ़ॉरेस्ट बनाने की योजना है।
6. शतावरी वाटिका (हिसार): यह 125 एकड़ में फैला हुआ है और इसका नाम शतावरी जड़ी-बूटी के नाम पर रखा गया है। इसे कई लुप्तप्राय आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है।
7. आयुष हर्बल पार्क (टोहाना, फतेहाबाद): यह फतेहाबाद जिले का पहला हर्बल पार्क है, जो टोहाना नागरिक अस्पताल परिसर में बनाया गया है। यहां आने वाले रोगियों को आयुर्वेदिक उपचार और सुगंधित वातावरण का लाभ मिलता है।
8. नया हर्बल पार्क (खरखड़ा गाँव, रेवाड़ी): इस पार्क में 200 से अधिक जड़ी-बूटियाँ लगाने की योजना है। इसका उद्देश्य पर्यटकों को वैदिक उपचार के बारे में जानकारी देना भी है।
14. हरियाणा की जनसंख्या आलिंगानुपात साक्षरता दर्जन संख्या जनसंख्या वद्धि
2025 तक के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा की जनसंख्या, लिंगानुपात, साक्षरता दर और जनसंख्या घनत्व इस प्रकार है:
जनसंख्या (Population)
* कुल जनसंख्या: हरियाणा की अनुमानित जनसंख्या 2025 में लगभग 3.16 करोड़ है।
* पुरुष जनसंख्या: लगभग 1.63 करोड़।
* महिला जनसंख्या: लगभग 1.53 करोड़।
* भारत में स्थान: जनसंख्या के मामले में हरियाणा का स्थान भारत में 18वां है।
लिंगानुपात (Sex Ratio)
* लिंगानुपात: 2024 के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा का जन्म के समय लिंगानुपात 905-910 के बीच दर्ज किया गया, जो 2011 की जनगणना के 879 के आंकड़े से बेहतर है।
* बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष): 2011 की जनगणना के अनुसार, यह 834 था।
* सरकारी प्रयास: "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे अभियानों ने लिंगानुपात में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
साक्षरता दर (Literacy Rate)
* कुल साक्षरता दर: 2025 के अनुमानों के अनुसार, हरियाणा की कुल साक्षरता दर लगभग 75.55% है।
* पुरुष साक्षरता दर: लगभग 84.06%।
* महिला साक्षरता दर: लगभग 65.94%।
* सर्वाधिक साक्षर जिला: गुरुग्राम (84.4%)।
* सबसे कम साक्षर जिला: नूंह (56.1%)।
जनसंख्या घनत्व (Population Density)
* जनसंख्या घनत्व: 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा का जनसंख्या घनत्व 573 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था।
* यह राष्ट्रीय औसत (382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर) से अधिक है।
हरियाणा की जनगणना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जिसमें जनसंख्या, लिंगानुपात और साक्षरता दर शामिल हैं। हरियाणा जनगणना
15. हरियाणा में खनिज एवं ऊर्जा विभाग उद्योग धंधे औद्योगिक पार्क उद्योग नीति और औद्योगिक पुरस्कार
हरियाणा में खनिज उपलब्धता, ऊर्जा विभाग, उद्योग धंधे, औद्योगिक पार्क, उद्योग नीति और औद्योगिक पुरस्कारों के बारे में जानकारी नीचे दी गई है।
खनिज उपलब्धता (Mineral Availability)
हरियाणा खनिज संसाधनों की दृष्टि से बहुत समृद्ध नहीं है। यहां मुख्य रूप से निर्माण सामग्री वाले खनिज पाए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
* क्वार्ट्ज (Quartz): गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ और भिवानी जिलों में पाया जाता है।
* स्लेट (Slate): गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ के कुंड गांव में।
* चीनी मिट्टी (China Clay): गुरुग्राम के सिकंदरपुर, गनदपुर और महता में।
* चूना पत्थर (Limestone): महेंद्रगढ़, अंबाला, पंचकूला और रोहतक में।
* डोलोमाइट (Dolomite): अंबाला और महेंद्रगढ़ में।
* सोडियम नाइट्रेट (Sodium Nitrate): रोहतक, गुरुग्राम, हिसार और अंबाला में।
ऊर्जा विभाग (Energy Department)
हरियाणा में ऊर्जा के क्षेत्र में दो मुख्य निगम काम करते हैं:
* हरियाणा बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड (HPGCL): बिजली उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। यह थर्मल पावर प्लांट (पानीपत, हिसार, यमुनानगर) और गैस आधारित पावर प्लांट (फरीदाबाद) का संचालन करता है।
* हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (HVPNL): राज्य में बिजली के प्रसारण (ट्रांसमिशन) का कार्य देखता है।
* हरेडा (HAREDA): यह हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी है, जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोमास जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देती है।
हरियाणा के प्रमुख उद्योग धंधे (Industries)
हरियाणा का औद्योगिक विकास काफी मजबूत है। राज्य में कई तरह के उद्योग स्थापित हैं:
* ऑटोमोबाइल उद्योग: फरीदाबाद और गुरुग्राम में मारुति सुजुकी, हीरो मोटोकॉर्प, होंडा मोटरसाइकिल जैसे बड़े प्लांट हैं। ये भारत के ऑटोमोबाइल हब के रूप में जाने जाते हैं।
* सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सॉफ्टवेयर: गुरुग्राम को "साइबर सिटी" भी कहा जाता है, जहां कई बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनियां और स्टार्टअप मौजूद हैं।
* टेक्सटाइल उद्योग: पानीपत को "बुनकरों का शहर" कहा जाता है, जो अपने हथकरघा उत्पादों और गलीचों के लिए प्रसिद्ध है।
* कृषि आधारित उद्योग: चीनी मिलें (सोनीपत, रोहतक, करनाल), चावल मिलें (कैथल, करनाल) और डेयरी उद्योग (जींद)।
औद्योगिक पार्क (Industrial Parks)
राज्य भर में कई औद्योगिक एस्टेट और पार्क बनाए गए हैं ताकि उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके:
* आईएमटी (IMT) मानेसर: यह एक प्रमुख औद्योगिक मॉडल टाउनशिप है जहाँ कई बड़े उद्योग स्थापित हैं।
* बहादुरगढ़: यहाँ फुटवियर और सिरेमिक उद्योग प्रमुख हैं।
* सोनीपत (कुंडली-राइ): यहाँ भी कई बड़े औद्योगिक और वेयरहाउसिंग हब हैं।
* फरीदाबाद: यहाँ इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल कंपोनेंट उद्योग का बड़ा केंद्र है।
उद्योग नीति (Industrial Policy)
हरियाणा सरकार समय-समय पर नई औद्योगिक नीतियों की घोषणा करती है ताकि निवेश को आकर्षित किया जा सके और उद्योगों का विकास हो। वर्तमान नीतियाँ रोजगार सृजन, संतुलित क्षेत्रीय विकास, एमएसएमई (MSME) को बढ़ावा देने और "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" पर केंद्रित हैं। सरकार कर छूट, सब्सिडी और सिंगल-विंडो क्लीयरेंस जैसी सुविधाएँ प्रदान करती है।
औद्योगिक पुरस्कार (Industrial Awards)
उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार और विभिन्न औद्योगिक संगठन कई पुरस्कार देते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार इस प्रकार हैं:
* राज्य औद्योगिक पुरस्कार (State Industrial Awards): यह पुरस्कार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को दिया जाता है।
* निर्यात उत्कृष्टता पुरस्कार (Export Excellence Awards): यह उन कंपनियों को दिया जाता है जिन्होंने निर्यात के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
* सर्वश्रेष्ठ एमएसएमई (MSME) पुरस्कार: यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिया जाता है ताकि उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।
16. हरियाणा में सड़क परिवहन, रेल परिवहन और वायु परिवहन व्यवस्था, हरियाणा रोड़वेज, संचार व्यवस्था
हरियाणा में सड़क परिवहन, रेल परिवहन और वायु परिवहन की अच्छी व्यवस्था है। यहाँ का परिवहन तंत्र राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सड़क परिवहन:
हरियाणा का सड़क नेटवर्क बहुत मजबूत है। यहाँ प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बिछा हुआ है, हरियाणा में कुल 2,482 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जो राज्य को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
* प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways):
* NH-44 (पुराना NH-1): यह राजमार्ग दिल्ली से शुरू होकर अंबाला, करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र से होते हुए पंजाब की ओर जाता है। इसे अक्सर हरियाणा की जीवन रेखा कहा जाता है।
* NH-48 (पुराना NH-8): यह दिल्ली से जयपुर और मुंबई की ओर जाता है, जो गुरुग्राम से होकर गुजरता है।
* NH-9 (पुराना NH-10): यह दिल्ली से शुरू होकर रोहतक, हिसार, सिरसा से होते हुए पंजाब की ओर जाता है।
* NH-152: अंबाला से नारनौल तक।
* NH-71 (अब NH-352): रोहतक, जींद, नरवाना से रेवाड़ी तक।
राष्ट्रीय राजमार्ग 352A (सोनीपत से जींद) — लगभग 80 किलोमीटर
राष्ट्रीय राजमार्ग 152D (जींद से अंबाला और चंडीगढ़)
* हरियाणा रोडवेज:
* हरियाणा रोडवेज राज्य का एक प्रमुख सार्वजनिक बस परिवहन निगम है।
* हरियाणा रोडवेज: हरियाणा की जीवन रेखा
हरियाणा रोडवेज, राज्य परिवहन विभाग के तहत एक प्रमुख सार्वजनिक परिवहन इकाई है। 1 नवंबर 1966 को हरियाणा के गठन के बाद, राज्य में परिवहन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसकी स्थापना की गई थी। उस समय केवल 475 बसों का एक छोटा सा बेड़ा था, लेकिन आज यह 4,000 से अधिक बसों के साथ एक विशाल नेटवर्क बन गया है।
1. उद्देश्य और मिशन
हरियाणा रोडवेज का मुख्य उद्देश्य राज्य के नागरिकों को सुरक्षित, किफायती, विश्वसनीय और समय पर परिवहन सेवाएं प्रदान करना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
* आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बसों को शामिल करके बेड़े को मजबूत बनाना।
* ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाना।
* यात्रियों की सुविधा के लिए बस टर्मिनलों और स्टॉप्स का आधुनिकीकरण करना।
* यात्री परिवहन के लिए आईटी-आधारित प्रबंधन और निगरानी प्रणाली को लागू करना।
2. बेड़ा (Fleet) और बसें
हरियाणा रोडवेज के पास विभिन्न प्रकार की बसों का बेड़ा है जो यात्रियों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करती हैं:
1. * साधारण बसें (Ordinary Buses): ये हरियाणा रोडवेज की रीढ़ हैं और राज्य के हर कोने को जोड़ती हैं। ये बसें सबसे किफायती होती हैं और ग्रामीण-शहरी दोनों मार्गों पर चलती हैं।
2. * सारथी (Saarthi) एसी बसें: ये लंबी दूरी के मार्गों के लिए प्रीमियम बसें हैं, जो वातानुकूलित (AC) सुविधा प्रदान करती हैं। ये बसें दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-हिसार जैसे प्रमुख मार्गों पर चलती हैं, जिससे यात्रा आरामदायक और तेज हो जाती है।
3. * हरियाणा गौरव (Haryana Gaurav) बसें: इन्हें "आम आदमी की खास बस" के रूप में भी जाना जाता है। ये साधारण किराए पर डीलक्स बसों की सुविधाएं जैसे 2x2 सीट, मोबाइल चार्जर और आरामदायक सीटें प्रदान करती हैं।
4. * हरियाणा उदय (Haryana Uday) सीएनजी बसें: ये बसें विशेष रूप से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण को कम करने के लिए शुरू की गई हैं।
5. * महिला स्पेशल बसें (Pink Buses): "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान के तहत छात्राओं और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष गुलाबी रंग की बसें चलाई गई हैं। इन बसों में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं।
3. रूट नेटवर्क और कवरेज
हरियाणा रोडवेज का नेटवर्क बहुत व्यापक है।
* अंतर-राज्यीय (Inter-State): यह दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में भी सेवाएं प्रदान करता है।
* अंतरा-राज्यीय (Intra-State): यह राज्य के लगभग हर शहर, कस्बे और गाँव को जोड़ता है।
4. यात्री सुविधाएँ और रियायतें
हरियाणा रोडवेज ने यात्रियों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं:
* ऑनलाइन बुकिंग: यात्री अब ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं, जिससे लंबी लाइनों में खड़े होने की आवश्यकता नहीं होती।
* बस पास: छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों और पत्रकारों सहित कई श्रेणियों के लिए रियायती और मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की जाती है।
* बस स्टैंड: हरियाणा के प्रमुख शहरों में आधुनिक बस टर्मिनल हैं जिनमें प्रतीक्षालय, जलपान गृह और पूछताछ काउंटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
5. प्रशासनिक ढाँचा
हरियाणा रोडवेज का प्रबंधन राज्य परिवहन विभाग द्वारा किया जाता है। राज्य के भीतर 24 डिपो और 13 सब-डिपो हैं, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक महाप्रबंधक (General Manager) करता है। बस के रखरखाव और निर्माण के लिए हरियाणा रोडवेज इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (HREC) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रेल परिवहन:
* हरियाणा में रेलवे का भी एक व्यापक नेटवर्क है। दिल्ली-अंबाला-अमृतसर मेन लाइन और दिल्ली-रेवाड़ी-अहमदाबाद मेन लाइन जैसे प्रमुख रेल मार्ग राज्य से होकर गुजरते हैं।
हरियाणा में रेल परिवहन नेटवर्क तीन रेलवे ज़ोन के अंतर्गत आता है: उत्तर रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे।
* सबसे पुरानी रेलगाड़ी: हरियाणा में पहली रेलगाड़ी 14 फरवरी 1873 को दिल्ली से रेवाड़ी के बीच चली थी।
* सबसे बड़ा जंक्शन: रेवाड़ी रेलवे जंक्शन राज्य का सबसे बड़ा जंक्शन है। यह एक ऐतिहासिक स्टेशन है जो कभी एशिया का सबसे बड़ा मीटर गेज जंक्शन हुआ करता था। यहाँ से पाँच दिशाओं में रेल मार्ग निकलते हैं।
* सबसे व्यस्त जंक्शन: अंबाला रेलवे स्टेशन हरियाणा का सबसे व्यस्त रेलवे जंक्शन है।
* विद्युतीकरण: हरियाणा भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण हासिल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
* नई परियोजनाएं: हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (HORC) जैसी नई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जो दिल्ली के पश्चिमी हिस्से के आसपास एक नया रेल मार्ग बनाएंगी।
* बिना रेलवे लाइन वाले जिले: मेवात और फतेहाबाद जिले का मुख्यालय किसी भी रेलवे लाइन से नहीं जुड़ा है।
* रेलवे कैरिज और वैगन वर्कशॉप: यह वर्कशॉप यमुनानगर के जगाधरी में स्थित है।
यात्री सुविधाएं
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत, हरियाणा के 15 रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ पुनर्विकसित किया जा रहा है, जिनमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, अंबाला कैंट, करनाल और कुरुक्षेत्र शामिल हैं।
वायु परिवहन:
* हरियाणा में वायु परिवहन सीमित है। हरियाणा सरकार नागरिक उड्डयन विभाग (Civil Aviation Department) इसकी देखरेख करता है। राज्य में दो प्रमुख हवाई अड्डे हैं:
* हिसार हवाई अड्डा (महाराजा अग्रसेन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा): यहाँ से कुछ घरेलू उड़ानें संचालित होती हैं।
* भिवानी हवाई अड्डा, पिंजौर एयरोड्रोम और करनाल हवाई अड्डा: इनका उपयोग मुख्य रूप से फ्लाइंग क्लब और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए होता है।
* दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हरियाणा के निवासियों के लिए सबसे निकटतम और सबसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है।
हरियाणा में भारतीय वायु सेना के दो मुख्य एयरबेस हैं:
अंबाला वायु सेना स्टेशन (Ambala Air Force Station): यह भारतीय वायु सेना के सबसे पुराने और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एयरबेस में से एक है। अंबाला वायु सेना स्टेशन राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप का घर है और इसे भारत-पाकिस्तान सीमा से इसकी निकटता के कारण एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
सिरसा वायु सेना स्टेशन (Sirsa Air Force Station): यह हरियाणा में स्थित एक और महत्वपूर्ण वायु सेना स्टेशन है, जो भारतीय वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण संचालन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
जनसंचार (Telecommunication):
हरियाणा में जनसंचार (संचार) का भी अच्छा विकास हुआ है।
* मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं की पहुँच लगभग पूरे राज्य में है।
* सरकारी और निजी दोनों कंपनियां दूरसंचार सेवाएं प्रदान करती हैं।
17. हरियाणा में मूर्ति कला चित्रकला वास्तुकला सांची झांकी लोक संगीत लोक वाद्य यत्र लोक नृत्य फिल्म जगत व उसकी हस्तियां
हरियाणा की संस्कृति कला, संगीत और लोक परंपराओं से समृद्ध है। यहाँ की मिट्टी में लोक कला के कई रूप पनपे हैं, जो राज्य की जीवंत पहचान को दर्शाते हैं।
मूर्तिकला और वास्तुकला
मूर्ति कला (Sculpture)
हरियाणा की मूर्ति कला की परंपरा सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1800 ईसा पूर्व) से आरम्भ होती है, जिसमें छोटी टेरा-कोट्टा मूर्तियाँ बनायी जाती थीं।
मौर्य काल में पत्थर की नक्काशी और मूर्तिकला का उत्कर्ष हुआ, जैसे गोलाकार स्तंभ और सिंहों की मूर्तियां।
हरियाणा की मूर्तिकला में प्राचीन हिंदू, बौद्ध और जैन देवताओं की आकृतियाँ और कई धार्मिक विषय मिलते हैं।
मध्य और उत्तरी हरियाणा में मूर्तिकला अधिक विकसित थी, जिसमें मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर मूर्तिकला कार्य हुआ
* वास्तुकला: यहाँ की वास्तुकला में राजपूत और मुगल शैली का मिश्रण दिखता है।
* प्राचीन वास्तुकला: कुरुक्षेत्र का भद्रकाली मंदिर और नारनौल के इब्राहिम खान का मकबरा जैसे ऐतिहासिक स्थल इसके उदाहरण हैं।
लोहारू किला, फतेहाबाद की पुरानी हवेली (फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित) और गुजरी महल वास्तुकला के प्रमुख उदाहरण हैं।
* किले और हवेलियाँ: करनाल का करण तालाब की वास्तुकला यहाँ की ऐतिहासिक भव्यता को दर्शाती है।
चित्रकला
हरियाणा में चित्रकला का मुख्य रूप लोक चित्रकला है।
* लोक चित्रकला: ग्रामीण क्षेत्रों में घरों की दीवारों पर त्योहारों और विवाह जैसे अवसरों पर चित्र बनाए जाते हैं। ये चित्र सरल और प्रतीकात्मक होते हैं।
* फ्रेस्को (भित्ति चित्र): कुछ पुरानी हवेलियों और मंदिरों में भित्ति चित्र (दीवारों पर बनी पेंटिंग) भी देखने को मिलते हैं, जो सामाजिक और धार्मिक विषयों को दर्शाते हैं।
सांग और झाँकी
सांग हरियाणा का एक अनूठा लोक-नाट्य रूप है। यह नृत्य, संगीत, संवाद और हास्य का एक मिश्रण है। सांग आमतौर पर खुले मैदान में किया जाता है, जिसमें कलाकार पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक घटनाओं और सामाजिक मुद्दों को दर्शाते हैं। झाँकी का उपयोग अक्सर त्योहारों या राष्ट्रीय आयोजनों में होता है, जिसमें हरियाणा की संस्कृति, कृषि और लोक नृत्य को दर्शाया जाता है। गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झाँकी राज्य की प्रगति और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती है।
लोक संगीत और लोक वाद्य यंत्र
हरियाणा का लोक संगीत अपनी ऊर्जा और भावनात्मक गहराई के लिए जाना जाता है।
* लोक संगीत:
हरियाणा की लोक संगीत शैलियाँ निम्नलिखित प्रमुख स्वरूपों एवं गायन परंपराओं में विभाजित हैं:
1. रागनी
हरियाणा की सबसे लोकप्रिय लोक संगीत शैली है।
पं. लखमीचंद द्वारा इसे लोकप्रिय बनाया गया।
2. आल्हा और ऊदल
युद्धों और वीरता के वर्णन के लिए विशेष गायन शैली।
इसमें ऐतिहासिक कहानियाँ और वीरांगना के कारनामों का गीतात्मक प्रस्तुतीकरण होता है।
3. बहरे तबील
इसमें कथा संगीत के साथ तबला या नक्कारे का प्रयोग होता है।
यह भावनात्मक और वीर रस प्रधान गीत होती हैं।
4. नसीरा
नसीहत या सलाह देने के लिए गायी जाने वाली शैली।
विवाह या युद्ध जैसे अवसरों पर विशेष रूप से प्रस्तुत की जाती है।
5. सोहनी
हरियाणा की एक अन्य लोकप्रिय लोक गायकी शैली।
शादी, विवाह संस्कार, और बिछड़ने के अवसरों पर गायी जाती है।
6. सांझी गीत
त्योहारों और शादी के दौरान गाए जाने वाले पारंपरिक गीत। सामाजिक आयोजनों और मेलों में प्रचलित।
7. गुग्गा गीत
गुग्गा नवमी जैसे त्योहारों पर देवी की स्तुति में प्रयुक्त गीत।
8. भजन, शिव स्तुति आदि धार्मिक गीत जो विभिन्न व्रत त्योहारों पर गाए जाते हैं।
* लोक वाद्य यंत्र:
* सारंगी: एक तार वाला वाद्य यंत्र, जो लोक गायकों के साथ इस्तेमाल होता है।
* ढोलक और डफ: ये ताल वाद्य यंत्र हैं, जो लगभग हर लोक प्रदर्शन में मौजूद होते हैं।
* बीन: सपेरों द्वारा बजाया जाने वाला एक पवन वाद्य यंत्र।
* खंजरी, डमरू, और एकतारा: ये भी यहाँ के लोकप्रिय वाद्य यंत्र हैं।
लोक नृत्य
हरियाणा में कई जीवंत लोक नृत्य हैं, जो यहाँ के लोगों की खुशियों और परंपराओं को दर्शाते हैं।
* धमाल नृत्य: यह हरियाणा का सबसे पुराना और प्रसिद्ध नृत्य है, जो पुरुषों द्वारा फसल कटाई से पहले किया जाता है।
* लूर नृत्य: यह होली के त्योहार पर लड़कियों द्वारा किया जाता है।
* खोरिया नृत्य: यह नृत्य विशेष रूप से विवाह समारोहों में महिलाओं द्वारा किया जाता है।
* घूमर नृत्य: यह नृत्य, जो राजस्थान में भी लोकप्रिय है, हरियाणा में भी महिलाओं द्वारा विभिन्न त्योहारों पर किया जाता है।
फिल्म जगत व उसकी हस्तियाँ
हरियाणा का फिल्म उद्योग, जिसे अक्सर हरियाणवी फिल्म उद्योग कहा जाता है, धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
* प्रसिद्ध फिल्में: "चन्द्रावल" (1984) को हरियाणवी सिनेमा की सबसे सफल फिल्म माना जाता है। इसके अलावा, "लाडो" और "गुलबदन" जैसी फिल्मों ने भी लोकप्रियता हासिल की।
* प्रसिद्ध हस्तियां: कई हरियाणवी कलाकारों ने बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है।
* रणदीप हुड्डा: बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध अभिनेता, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।
* राजकुमार राव: एक और प्रशंसित अभिनेता, जिन्होंने अपने अभिनय से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई है।
* मल्लिका शेरावत: एक जानी-मानी अभिनेत्री।
* जस्सी गिल: पंजाबी और हरियाणवी फिल्मों के साथ-साथ बॉलीवुड में भी सक्रिय एक गायक और अभिनेता।
* कलाकार और गायक: गजेंद्र फोगाट, अंकित तिवारी, और फजलपुरिया जैसे कई गायक और कलाकार भी हरियाणवी संगीत और फिल्म जगत में सक्रिय हैं।
* इसके अलावा, रणबीर सिंह हुड्डा और ओमपुरी जैसे अभिनेताओं ने भी हरियाणा के कलाकारों के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया।
18. हरियाणा के प्रमुख त्यौहार उत्सव और मेले
हरियाणा में कई त्यौहार, उत्सव और मेले मनाए जाते हैं, जो यहाँ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। ये उत्सव सामाजिक मेलजोल, मनोरंजन और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं।
प्रमुख त्यौहार और उत्सव
* लोहड़ी: यह त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले, जनवरी में मनाया जाता है। यह फसल कटाई का प्रतीक है। लोग अलाव जलाते हैं, लोकगीत गाते हैं और रेवड़ी, मूंगफली और गुड़ खाते हैं।
* बैसाखी: यह त्यौहार अप्रैल में मनाया जाता है और यह रबी फसल के पकने का प्रतीक है। किसान अपनी मेहनत का जश्न मनाते हैं। सिख समुदाय के लिए, यह खालसा पंथ की स्थापना का भी प्रतीक है।
* होली: होली का त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। विशेष रूप से, 'लठमार होली' बहुत प्रसिद्ध है, जहाँ महिलाएं लाठियों से पुरुषों पर 'हमला' करती हैं।
* तीज: यह त्यौहार मानसून के आगमन का प्रतीक है और हरियाणवी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। महिलाएँ झूलों पर झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और मेहंदी लगाती हैं।
* दिवाली: यह रोशनी का त्यौहार पूरे हरियाणा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं।
* रक्षा बंधन: इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो भाई-बहन के बीच के प्यार और सुरक्षा के बंधन को दर्शाता है।
* गणगौर: यह त्यौहार देवी पार्वती को समर्पित है और विशेषकर हरियाणा के पश्चिमी भागों में मनाया जाता है। अविवाहित लड़कियाँ एक अच्छे पति और विवाहित महिलाएँ अपने पति के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।
प्रमुख मेले
* सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला, फरीदाबाद: यह हरियाणा का सबसे प्रसिद्ध मेला है, जो फरवरी में आयोजित होता है। यहाँ भारत और दुनिया भर के कारीगर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
* गोपालमोचन मेला, यमुनानगर: यह मेला कार्तिक महीने में यहाँ के एक पवित्र सरोवर के किनारे लगता है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करते हैं।
* देवी का मेला, यमुनानगर: यह मेला बिलासपुर में स्थित कपालमोचन मंदिर के पास लगता है।
* शीतला माता का मेला, गुरुग्राम: यह मेला गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में चैत्र मास में लगता है।
* बाबा श्याम जी का मेला, करनाल: यह धार्मिक मेला करनाल में आयोजित किया जाता है, जहाँ लाखों भक्त पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
* महादेव का मेला, करनाल: यह मेला करनाल जिले के सीवन में लगता है।
* कपालमोचन मेला, अंबाला: यह मेला बिलासपुर, अंबाला में आयोजित होता है, जो हिंदू और सिख दोनों के लिए पवित्र स्थान है।
* सोहना कार मेला, गुरुग्राम: सोहना में लगने वाला यह मेला भी काफी प्रसिद्ध है।
ये त्यौहार और मेले हरियाणा के लोगों की परंपराओं, धार्मिक विश्वासों और आपसी सद्भाव को दर्शाते हैं।
19. सांस्कृतिक वेशभूषा आभूषण लोक विश्वास लोकोक्तियां मुहावरे शगुन अपशगुन
हरियाणा की संस्कृति में वेशभूषा, आभूषण, लोक विश्वास और लोकोक्तियाँ यहाँ के लोगों के जीवन और विचारों को गहराई से दर्शाते हैं। ये तत्व सदियों से चले आ रहे हैं और यहाँ की पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।
सांस्कृतिक वेशभूषा और आभूषण
वेशभूषा (Attire)
हरियाणा की पारंपरिक वेशभूषा में रंग और सादगी का मेल देखने को मिलता है। यह ग्रामीण जीवनशैली को दर्शाती है।
* पुरुषों के लिए: पुरुष आमतौर पर धोती (सफेद या रंगीन कपड़े से बनी), कुर्ता और कुर्ता-पायजामा पहनते हैं। सिर पर वे पगड़ी या खंडवा पहनते हैं, जो सम्मान और गौरव का प्रतीक है।
* महिलाओं के लिए: महिलाओं का पारंपरिक पहनावा घाघरा-कुर्ती या घाघरा-चोली है। इसके ऊपर वे ओढ़नी या चुनरी लेती हैं, जिसका उपयोग सिर ढकने के लिए किया जाता है। ये वस्त्र अक्सर चमकीले रंगों, कढ़ाई और शीशे के काम से सजाए जाते हैं।
आभूषण (Jewellery)
हरियाणा की महिलाएं गहनों की शौकीन होती हैं, जो उनके पहनावे को पूरा करते हैं और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक भी हैं।
* सिर के आभूषण: बोरला (माथे पर), शीशफूल (बालों में)।
* कानों के आभूषण: झुमके, बाली।
* गले के आभूषण: हंसली, तिमानिया, गुलुबंद।
* हाथों और बाजुओं के आभूषण: कंगन, बाजूबंद, पहुंची।
* पैरों के आभूषण: पायल और छल (छुमझुम)।
लोक विश्वास, लोकोक्तियाँ और मुहावरे
लोक विश्वास, शगुन और अपशगुन
हरियाणा के ग्रामीण जीवन में शगुन (शुभ संकेत) और अपशगुन (अशुभ संकेत) का गहरा महत्व है।
* शगुन (Auspicious Omens):
* यात्रा पर निकलते समय किसी को पानी का भरा घड़ा ले जाते देखना।
* गाय या भैंस को बछड़े के साथ देखना।
* सड़क पार करते हुए बिल्ली का बाएँ से दाएँ जाना।
* कोई भी शुभ कार्य करते समय छींक न आना।
* अपशगुन (Inauspicious Omens):
* यात्रा पर निकलते समय खाली बर्तन ले जाते हुए किसी से मिलना।
* किसी बिल्ली का रास्ता काट देना (दाएँ से बाएँ जाना)।
* कांच का टूटना।
* यात्रा पर निकलते समय छींक आना।
लोकोक्तियाँ और मुहावरे
हरियाणा की लोकभाषा में लोकोक्तियाँ और मुहावरे यहाँ की मिट्टी की गंध लिए हुए हैं और लोगों के व्यावहारिक ज्ञान को दर्शाते हैं।
* लोकोक्तियाँ (Proverbs):
* "जित्ती चादर, उतने पांव पसारो" - इसका मतलब है कि अपनी आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए।
* "घर की मुर्गी दाल बराबर" - अपने पास उपलब्ध मूल्यवान वस्तु का महत्व न समझना।
* "आगे कुआँ, पाछे खाई" - इसका अर्थ है दोनों तरफ़ से मुसीबत में फँस जाना।
* मुहावरे (Idioms):
* "आग में घी डालना" - इसका मतलब है किसी झगड़े या स्थिति को और भी भड़काना।
* "कान भरना" - किसी के ख़िलाफ़ बातें करके उसे भड़काना।
* "आँखों में धूल झोंकना" - धोखा देना या मूर्ख बनाना।
20.
हरियाणा ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। राज्य सरकार इन क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न पहलें कर रही है, जिसमें पारंपरिक शिक्षा से लेकर तकनीकी शिक्षा और आयुष चिकित्सा तक सब कुछ शामिल है।
शिक्षा: स्कूल और विश्वविद्यालय
हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था को तीन मुख्य स्तरों में विभाजित किया गया है: प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा।
* स्कूल शिक्षा: राज्य में सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूल हैं। शिक्षा का माध्यम हिंदी और अंग्रेजी दोनों है। हरियाणा सरकार ने स्कूल शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षण को बढ़ावा देना।
* विश्वविद्यालय: हरियाणा में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हैं, जिनमें सरकारी, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालय शामिल हैं।
* कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र: राज्य का सबसे पुराना और प्रमुख विश्वविद्यालय।
* महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक: यह भी राज्य का एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र है।
* गुरु जंभेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार: यह विशेष रूप से विज्ञान और तकनीकी शिक्षा पर केंद्रित है।
* चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार: कृषि और संबंधित विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है।
* केंद्रीय विश्वविद्यालय, जांट-पाली, महेंद्रगढ़: यह हरियाणा का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जो विभिन्न विषयों में उच्च शिक्षा प्रदान करता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र
स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में, हरियाणा ने प्राथमिक से लेकर तृतीयक देखभाल तक के लिए एक मजबूत ढाँचा विकसित किया है।
* सरकारी अस्पताल: राज्य के सभी जिलों में सरकारी अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) मौजूद हैं।
* निजी अस्पताल: गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे शहरों में कई विश्वस्तरीय निजी अस्पताल हैं, जो उन्नत चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
* आयुष विभाग: हरियाणा सरकार ने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) को बढ़ावा देने के लिए एक अलग विभाग स्थापित किया है। इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकृत करना है। आयुष विभाग द्वारा राज्य में कई आयुष डिस्पेंसरियाँ और अस्पताल चलाए जा रहे हैं।
तकनीकी शिक्षा
हरियाणा तकनीकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन रहा है।
* तकनीकी संस्थान: राज्य में कई इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) हैं।
* प्रमुख संस्थान: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), कुरुक्षेत्र और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), रोहतक जैसे संस्थान तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
* उद्देश्य: इन संस्थानों का उद्देश्य छात्रों को रोजगार-उन्मुख शिक्षा प्रदान करना और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के लिए तैयार करना है।
21. हरियाणा में खेल और खिलाड़ी पुरस्कार खेल नीति स्टेडियम अकैडमी
हरियाणा भारत में खेल का एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जिसका श्रेय यहाँ की मजबूत खेल नीति, खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और बेहतर बुनियादी ढाँचे को जाता है।
खेल नीति और पुरस्कार
हरियाणा की खेल नीति को देश में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सरकार ने "पदक लाओ, पद पाओ" की नीति अपनाई है। इस नीति के तहत, खिलाड़ियों को न केवल नकद पुरस्कार दिए जाते हैं, बल्कि सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण मिलता है।
* नकद पुरस्कार: हरियाणा सरकार ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को ₹6 करोड़, रजत पदक विजेता को ₹4 करोड़ और कांस्य पदक विजेता को ₹2.5 करोड़ की राशि प्रदान करती है। इसके अलावा, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी पदक विजेताओं को बड़ी नकद राशि दी जाती है।
* राज्य के पुरस्कार: हरियाणा का सर्वोच्च खेल पुरस्कार भीम पुरस्कार है, जो खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। इसके अलावा, एकलव्य पुरस्कार जूनियर खिलाड़ियों को दिया जाता है और विक्रमादित्य पुरस्कार रेफरी और अंपायरों को सम्मानित करने के लिए है।
प्रमुख खिलाड़ी और खेल
हरियाणा ने कई विश्व स्तरीय खिलाड़ी दिए हैं जिन्होंने विभिन्न खेलों में देश का नाम रोशन किया है।
* कुश्ती: योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और गीता फोगाट।
* मुक्केबाजी: विजेंद्र सिंह, मनोज कुमार, अमित पंघाल और नीतू घणघस।
* निशानेबाजी: मनु भाकर, अनीश भानवाला और सरबजोत सिंह।
* भाला फेंक: नीरज चोपड़ा, जिन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता।
* हॉकी: रानी रामपाल, सविता पूनिया और सुरेंद्र कुमार।
* क्रिकेट: कपिल देव, वीरेंद्र सहवाग और युजवेंद्र चहल।
* बैडमिंटन: साइना नेहवाल।
खेल स्टेडियम और अकादमियाँ
हरियाणा में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने और खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई स्टेडियम और अकादमियाँ हैं।
* स्टेडियम:
* नहर सिंह स्टेडियम, फरीदाबाद: क्रिकेट के लिए प्रसिद्ध।
* वार हीरोज मेमोरियल स्टेडियम, अंबाला: विभिन्न खेलों के लिए।
* चौधरी बंसी लाल क्रिकेट स्टेडियम, रोहतक: यह एक महत्वपूर्ण क्रिकेट स्टेडियम है।
* द्रोणाचार्य स्टेडियम, कुरुक्षेत्र: यहाँ खेलों की विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
* खेल अकादमियाँ:
* मेहरचंद अखाड़ा, रोहतक: कुश्ती के प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध।
* रानी रामपाल हॉकी अकादमी, शाहबाद: महिला हॉकी के लिए।
* द ग्रेट खली अकादमी, करनाल: यहाँ कुश्ती और रेसलिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है।
हरियाणा में खेल पुरस्कार 2025 हरियाणा के खिलाड़ियों को दिए गए कुछ प्रमुख पुरस्कार
22. हरियाणा का प्रत्येक जिला संक्षिप्त अध्ययन महत्वपूर्ण बातें
हिसार जिला: एक विस्तृत परिचय
भौगोलिक स्थिति
हिसार हरियाणा के पश्चिमी भाग में स्थित है।
उत्तर में फतेहाबाद, पूर्व में जींद, दक्षिण में भिवानी, पश्चिम में राजस्थान राज्य से जुड़ा है।
जलवायु शुष्क व अर्ध-शुष्क, गर्मी में बहुत गर्म और सर्दियों में शीतल।
हिसार जिला हरियाणा राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास के लिए जाना जाता है। यह जिला इंडस वैली सिविलाइजेशन से जुड़े पुरातात्विक स्थलों से लेकर आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों तक की एक समृद्ध विरासत रखता है।
हिसार स्थापना (Establishment)
हिसार जिले की स्थापना का इतिहास मध्यकाल से जुड़ा है। हिसार शहर की नींव 1354 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने रखी थी। उन्होंने इसे एक किले के रूप में विकसित किया और इसका नाम 'हिसार-ए-फिरोजा' रखा। ब्रिटिश काल में, 1815 में हिसार को एक जिले के रूप में स्थापित किया गया, जो उस समय हरियाणा का सबसे बड़ा जिला था।1966 में हरियाणा राज्य के गठन के बाद, हिसार जिले से कई नए जिले अलग किए गए, जैसे जींद (1966), भिवानी (1974), सिरसा और फतेहाबाद (1997)। जिले का क्षेत्रफल लगभग 3,983 वर्ग किलोमीटर है। जिले में हिसार, हांसी, आदमपुर और उकलाना जैसे तहसील शामिल हैं। ऐतिहासिक रूप से, यह क्षेत्र 1783-84 (चालीसा अकाल), 1838, 1860-61, 1896-97 और 1899-1900 जैसे अकालों से प्रभावित रहा है।
नाम की उत्पत्ति (Origin of the Name)
'हिसार' शब्द अरबी/फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ 'किला' या 'गढ़' होता है। फिरोज शाह तुगलक ने शहर को 'हिसार-ए-फिरोजा' नाम दिया, जो 'फिरोज का किला' का अर्थ रखता है।कुछ स्थानीय किवदंतियों के अनुसार, यह नाम नेहरा गोत्र के जाट नेता हंसू नेहरा द्वारा 1263 ईस्वी में स्थापित एक किले से जुड़ा हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से फिरोज शाह से ही जुड़ा माना जाता है। जिले का नाम शहर से ही लिया गया है, और यह क्षेत्र इंडस वैली सिविलाइजेशन के समय से बसा हुआ है, जहां बनावली जैसे स्थल मिले हैं।
आजादी के समय (During the Time of Independence)
हिसार जिला स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। 1857 की पहली स्वतंत्रता क्रांति (भारतीय विद्रोह) के दौरान, हिसार 29 मई 1857 को ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गया और 83 दिनों तक स्वतंत्र रहा। विद्रोहियों ने हिसार पर कब्जा कर लिया, और ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला किया गया। रोहनत गांव जैसे क्षेत्रों से विद्रोहियों ने हिसार और हांसी पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप कई विद्रोहियों को फांसी दी गई।लगभग 133 संदिग्ध विद्रोहियों को दंडित किया गया। लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता सेनानी हिसार से जुड़े थे; उन्होंने 1886 में हिसार जिला कांग्रेस की स्थापना की और आर्य समाज से जुड़े रहे। 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिसार का दौरा किया, जब क्षेत्र अकाल से प्रभावित था।1947 के विभाजन के बाद, अधिकांश मुस्लिम आबादी पाकिस्तान चली गई, जिससे जिला मुख्य रूप से हिंदू बहुल हो गया।
उद्योग धंधे (Industries and Economy)
हिसार को 'स्टील सिटी' कहा जाता है, क्योंकि यहां जिंदल स्टेनलेस स्टील फैक्ट्री जैसी बड़ी इकाइयां हैं, और यह भारत में गैल्वेनाइज्ड आयरन का सबसे बड़ा उत्पादक है। अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें कपास, चावल, गेहूं और सरसों जैसे उत्पाद प्रमुख हैं।भाखड़ा नांगल बांध (1963), पश्चिमी यमुना नहर और इंदिरा गांधी नहर (1983) जैसी सिंचाई प्रणालियों ने कृषि को बढ़ावा दिया। अन्य उद्योगों में स्टेनलेस स्टील, आर्सी इस्पात उद्योग लिमिटेड, बीज प्रसंस्करण, पैकेजिंग पेपर, दूध उत्पाद और कृषि आधारित उद्योग शामिल हैं। जिले में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की संख्या बढ़ रही है, और यह हरियाणा की औद्योगिक नीतियों से लाभान्वित होता है।
मंदिर (Temples)
हिसार में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो धार्मिक पर्यटन को आकर्षित करते हैं:
अग्रोहा धाम: महाराजा अग्रसेन को समर्पित, तीसरी शताब्दी से जुड़ा प्राचीन मंदिर।
शीला माता मंदिर: अग्रोहा में स्थित, प्राचीन महत्व।
बालाजी मंदिर: हिसार शहर में, हनुमान जी को समर्पित।
देवी भवन मंदिर: शहर का ऐतिहासिक मंदिर, जहां विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा होती है।
बिश्नोई मंदिर: पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा।
श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर: यह शहर के सबसे पुराने और प्रमुख मंदिरों में से एक है।
जैन मंदिर: यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है।
मां भंबोरी भ्रामरी देवी मंदिर: लोकप्रिय धार्मिक स्थल।
-कजला धाम: स्थानीय महत्व।
पर्यटन स्थल (Tourist Places)
हिसार पर्यटन के लिए आकर्षक है, जहां ऐतिहासिक और आधुनिक स्थल मिलते हैं:
- **अग्रोहा धाम**: धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र।
- **ओपी जिंदल ज्ञान केंद्र**: अवलोकन टावर और संग्रहालय।
- **फिरोज शाह पैलेस**: मध्यकालीन महल।
- **राखीगढ़ी**: इंडस वैली सिविलाइजेशन का प्रमुख स्थल।
- **जहाज कोठी**: ब्रिटिश काल की इमारत।
- **असिगढ़ किला**: पृथ्वीराज चौहान से जुड़ा।
- **गुजरी महल**: मुगल काल का।<
- **हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कैंपस**: हरित क्षेत्र और झीलें।
- **जिंदल टावर और ज्ञान केंद्र**: आधुनिक पर्यटन।
अनुसंधान संस्थान (Research Institutions)
हिसार अनुसंधान के क्षेत्र में मजबूत है, विशेषकर कृषि और पशुपालन में:
सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बफेलोज (सीआईआरबी): केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB): यह संस्थान भैंसों की नस्ल सुधार और उनके उत्पादन बढ़ाने पर शोध करता है।
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE): यह भारत में घोड़ों की नस्लों पर शोध के लिए समर्पित है।
राज्य कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान (SAMETI): यह कृषि से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है।
- **सेंट्रल शीप ब्रीडिंग फार्म**: भेड़ प्रजनन।
- **गवर्नमेंट लाइवस्टॉक फार्म**: पशुधन अनुसंधान।
- **नॉर्दर्न रीजन फार्म मशीनरी ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट**: कृषि मशीनरी पर शोध।
- **रीजनल फॉडर स्टेशन**: चारा अनुसंधान।
यूनिवर्सिटी (Universities)
हिसार शिक्षा का केंद्र है:
- **चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (सीसीएस एचएयू)**: 1962 में स्थापित, कृषि अनुसंधान में अग्रणी।
- **गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीजेयूएसटी)**: 1995 में स्थापित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर फोकस।
- **लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज (एलयूवीएएस)**: पशु चिकित्सा और विज्ञान।
- **ओम स्टर्लिंग ग्लोबल यूनिवर्सिटी**: निजी विश्वविद्यालय, विभिन्न कोर्स।
ऐतिहासिक साइट (Historical Sites)
हिसार की ऐतिहासिक साइट्स पुरातात्विक महत्व रखती हैं:
- **फिरोज शाह पैलेस कॉम्प्लेक्स**: 1354 ईस्वी का महल और तहखाने।
- **असिगढ़ किला**: प्रिथ्वीराज चौहान का किला।
- **राखीगढ़ी**: इंडस वैली का सबसे बड़ा स्थल, 5,000 वर्ष पुराना।
- **अग्रोहा माउंड**: प्राचीन टीला, अग्रसेन से जुड़ा।
- **हांसी का किला**: प्राचीन किला।
- **बाहलोल शाह की मस्जिद और मकबरा**: 1694 ईस्वी का।
गुजरी महल: यह फिरोज शाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गुजरी के लिए बनवाया था और यह एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है।
लाट की मस्जिद: यह मस्जिद फिरोज शाह पैलेस के परिसर में है और इसे एक ऊंचे स्तंभ (लाट) के कारण यह नाम मिला है।
सेंट थॉमस चर्च: यह 19वीं सदी का एक ऐतिहासिक चर्च है, जो ब्रिटिश वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।
राखीगढ़ी: यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा स्थल है। यहां की खुदाई से सभ्यता के कई रहस्यों का पता चला है।
पुरातात्विक उत्खनन स्थल – अग्रोहा माउंड (महाभारत कालीन अग्रसेन महाराज की नगरी, हिसार से 20 किमी दूर)।
जींद जिले से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
जींद जिले की स्थापना, उपनाम पुराना नाम, भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक स्थल, सांस्कृतिक स्थल, पर्यटन स्थल, उद्योग धंधे, मंदिर, प्रसिद्ध मेले, प्रमुख संस्थान अनुसंधान केंद्र, शैक्षणिक स्थल विश्वविद्यालय कॉलेज
स्थापना, उपनाम, और पुराना नाम
स्थापना: जींद जिले की स्थापना 1 नवंबर 1966 को हरियाणा राज्य के गठन के समय हुई थी।
पुराना नाम: महाभारत कालीन नाम 'जयंतापुरी' या 'जैंतपुरी' था। जींद नाम जयंती देवी (जीत की देवी) मंदिर से पड़ा, जिसकी स्थापना पांडवों के संबंध में मानी जाती है।
उपनाम: जींद को 'हरियाणा का दिल/हृदय' कहा जाता है, और 'लघु हरिद्वार' भी इसकी पहचान है।
भौगोलिक स्थिति
अवस्थिति: जींद हरियाणा के मध्य भाग में स्थित है। उत्तर में कैथल, पूर्व में करनाल और पानीपत, दक्षिण में रोहतक एवं झज्जर तथा पश्चिम में हिसार जिले की सीमाएँ लगती हैं।
क्षेत्रफल: लगभग 2702 वर्ग किलोमीटर।
जनसंख्या: 13.32 लाख (2011 की जनगणना)
नदियाँ एवं मिट्टी: घग्घर और यमुना नदी के पानी की मिट्टी (एल्यूवियल/आयोलियन)।
जलवायु: मुख्य वर्षा जून-सितंबर एवं दिसम्बर-मार्च के सर्दियों के महीनों में होती है।
ऐतिहासिक स्थल
जयन्ती देवी मंदिर: पांडवों द्वारा स्थापित; महाभारत सेना की विजय के लिए पूजा की गई।
जींद का किला: राजा गजपत सिंह द्वारा 1775 में बनवाया गया था।
सफीदों किला: एक अन्य ऐतिहासिक दुर्ग; महाभारत की कथाओं से संबंधित।
धमतान साहिब: नरवाना के पास, जहाँ भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया; सिख गुरु तेग बहादुर का भी प्रवास स्थल।
रामराय: जींद-हांसी रोड पर स्थित, परशुराम की पौराणिक कथा से जुड़ा प्राचीन स्थल।
पांडू पिंडारा:पांडवों द्वारा पिंडदान का स्थान; सोमवती अमावस्या पर यहाँ मेला लगता है।
हंसदेहार: ऋषि करदम, कपिल मुनि और पांडवों से जुड़ा तीर्थ स्थल; सोमवती अमावस्या पर स्नान।
सांस्कृतिक स्थल, मंदिर एवं धार्मिक स्थल
भूतेश्वर मंदिर एवं रानी तालाब: भगवान शिव को समर्पित, तालाब के बीच स्थित; स्नान का विशेष महत्व।
सूर्यकुंड, हरिकैलाश मंदिर, ज्वालामालेश्वर तीर्थ: प्राचीन तीर्थ स्थल।
हजरत गैबी साहब मकबरा: सूफी संत की कब्र, जलाशय सहित।
प्रमुख व प्रसिद्ध मेले
- **हाटकेश्वर का मेला:** हाट गांव, सावन शुक्ल पक्ष के अंतिम रविवार[14][15]।
- **पांडु पिंडारा मेला:** पिंडारा, प्रत्येक अमावस्या[14][15]।
- **धमतान साहिब मेला:** धमतान, प्रतिमाह अमावस्या[15]।
- **रामराय मेला:** रामराय, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा[15]।
- **बिलसर मेला, सच्चा सौदा मेला:** क्रमशः हंसहेडर व सिंहपुरा में आयोजित[15]।
- **छड़ियों का मेला:** भारी धूमधाम से आयोजित, जींद में विशिष्ट पहचान[16]।
## पर्यटन स्थल
- **रानी तालाब** (तालाब के बीच मंदिर, वोटिंग एवं सैर-सपाटा)[17][18]।
- **अर्जुन स्टेडियम, दूध प्लांट, पशु चारा प्लांट** (स्थानिक औद्योगिक-आधारित पर्यटन)[5]।
- **अन्य तीर्थ—असिनी कुमारा, पंचनंदा, कायाशोधन, वंशमूलक, खगेश्वर, जमदग्नि तीर्थ** (महाभारत तथा अन्य पुराणों में उल्लेखित)[19][9]।
## उद्योग-धंधे
- **उद्योग:** जींद की भूमि कृषि योग्यता लिए खतिर प्रसिद्ध है, यहाँ गेहूं, चावल, बाजरा, तिलहन आदि के उत्पादन के साथ-साथ दूध संयंत्र, पशु आहार संयंत्र, चिमनी ईंट भट्टे, थर्मामीटर, प्लास्टिक, साबुन, मोमबत्तियाँ, कृषि उपकरण, रसायन, पेपर बोर्ड, फाउंड्री, स्क्रू, रेडियो, बिजली के सामान का उत्पादन होता है[20][21][22][23]।
- **औद्योगिक क्षेत्र:** पिल्लूखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र करीब 3800 एकड़ में विकसित, और HSIIDC द्वारा 25.4 एकड़ में इंडस्ट्रियल एस्टेट।
प्रमुख शैक्षणिक संस्थान एवं विश्वविद्यालय
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय (CRSU), जींद:** स्नातक, स्नातकोत्तर एवं बी.एड पाठ्यक्रम; लगभग 127 शिक्षण संस्थानों से संबद्ध।
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जींद: 1960 से उच्च शिक्षा का केंद्र।
अन्य कॉलेज: आकाश, आदर्श, आर्य, आर्यावर्त, इंडस, जिन्द इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, जिन्द पॉलिटेक्निक आदि।
आगामी सिख विश्वविद्यालय: HSGMC द्वारा घोषणा, गुरु तेग बहादुर जी को समर्पित, 750 एकड़ भूमि चयनित।
अनुसंधान एवं नवाचार
वीटा दुग्ध संयंत्र, कृषि शोध, जिला उद्योग केंद्र: कृषि-औद्योगिक नवाचार, तकनीकी एवं कुटीर उद्योग बढ़ाने हेतु जिला केंद्र सक्रिय
जिला जींद में घूमने की 5 मशूहर जगह जींद के 10 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल हरियाणा के सभी जिलों के लगने वाले मेले जिला जींद में छड़ियों का मेला जींद में 48 कोस धार्मिक स्थल।
23. हरियाणा के प्रसिद्ध व्यक्ति ऐतिहासिक राजनीतिज्ञ समाजसेवी सैनिक फौजी कवि गायक
हरियाणा के प्रसिद्ध व्यक्तियों में कई ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक, सैनिक, कवि और गायक शामिल हैं। यहाँ उनके बारे में कुछ जानकारी दी गई है:
ऐतिहासिक व्यक्ति
* महाराजा अग्रसेन: अग्रवाल समुदाय के पूर्वज और एक महान राजा। उन्होंने अग्रोहा को अपनी राजधानी बनाया और समाजवाद का सिद्धांत दिया।
* राव तुलाराम: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले रेवाड़ी के एक शासक। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया।
राजनीतिज्ञ
* चौधरी देवीलाल: भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री। उन्हें "ताऊ" के नाम से भी जाना जाता है और उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
* चौधरी बंसीलाल: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और "आधुनिक हरियाणा के निर्माता" के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने राज्य में बिजली और पानी के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
* चौधरी भजनलाल: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री। उन्हें ग्रामीण विकास और कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
समाजसेवी
* बाबा रामदेव: योग गुरु और पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक। उन्होंने योग और आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया है।
* सुनीता विलियम्स: हालांकि वे भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन उनके पिता गुजरात के रहने वाले थे। वे एक अंतरिक्ष यात्री और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
* दीपचंद बहराणी: सामाजिक सुधारक और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं।
सैनिक/फौजी
* मेजर होशियार सिंह: भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र से सम्मानित। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया।
* सूबेदार जोगिंदर सिंह: 1962 के भारत-चीन युद्ध में परमवीर चक्र से सम्मानित। उन्होंने अपनी असाधारण बहादुरी से भारतीय सेना की रक्षा की।
* लेफ्टिनेंट कर्नल धर्म सिंह अहलावत: महावीर चक्र से सम्मानित।
कवि
* रामनिवास, नचार खेड़ा (रामु कवि किसान): ये एक प्रसिद्ध हरियाणवी कवि हैं, जिनका जिक्र पहले भी किया गया है। उनकी कविताएँ हरियाणा की संस्कृति, समाज और ग्रामीण जीवन पर आधारित हैं।
* पंडित लखमी चंद: उन्हें "हरियाणा के शेक्सपियर" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हरियाणवी लोक संगीत और रागिनी को नई ऊँचाई दी।
* रामकिशन व्यास: एक और प्रमुख हरियाणवी कवि और गायक, जिन्होंने लोक कला को बढ़ावा दिया।
गायक
* गजेंद्र फौगाट: हरियाणवी लोक संगीत के एक लोकप्रिय गायक, जो अपनी रागिनी और लोक गीतों के लिए जाने जाते हैं।
* विकास कुमार: हरियाणवी लोक संगीत के एक और लोकप्रिय गायक।
यह सूची हरियाणा के कुछ प्रमुख व्यक्तियों का संक्षिप्त विवरण है, और इसमें कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व भी शामिल हैं।
24. हरियाणा में प्रमुख अनुसंधान संस्थान अनुसंधान केद्र
हरियाणा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत कई महत्वपूर्ण अनुसंधान केंद्र हैं। ये संस्थान कृषि, पशुपालन, डेयरी, और मिट्टी जैसे क्षेत्रों में गहन अनुसंधान करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख केंद्रों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (ICAR-NDRI), करनाल
* स्थापना: 1923 में बेंगलुरु में इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हसबेंडरी एंड डेयरींग के रूप में स्थापित हुआ और 1955 में इसे करनाल स्थानांतरित कर दिया गया।
* कार्य: यह भारत का एक प्रमुख डेयरी अनुसंधान और शिक्षा संस्थान है। इसका मुख्य कार्य डेयरी पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादन में सुधार, दुग्ध प्रसंस्करण, डेयरी उत्पादों का विकास, और डेयरी प्रबंधन से संबंधित अनुसंधान करना है। यह संस्थान डेयरी विज्ञान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा (M.Sc. और Ph.D.) भी प्रदान करता है।
2. केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (ICAR-CSSRI), करनाल
* स्थापना: 1969
* कार्य: यह संस्थान मुख्य रूप से भारत की खारी और क्षारीय (saline and sodic) मिट्टी से संबंधित समस्याओं पर अनुसंधान करता है। इसका उद्देश्य इन जमीनों को खेती योग्य बनाने के लिए नई तकनीकों और रणनीतियों का विकास करना है। संस्थान खारी पानी के उपयोग और जल-जमाव वाली भूमि के प्रबंधन पर भी काम करता है।
3. भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIWBR), करनाल
* स्थापना: 1978 में अखिल भारतीय समन्वित गेहूं सुधार परियोजना के रूप में शुरू हुआ और 1990 में एक पूर्ण संस्थान बन गया।
* कार्य: इसका मुख्य उद्देश्य गेहूं और जौ की नई, रोग-प्रतिरोधी और उच्च उपज वाली किस्मों का विकास करना है। यह संस्थान गेहूं और जौ की खेती की उन्नत तकनीकों और फसल सुरक्षा उपायों पर भी अनुसंधान करता है।
4. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) क्षेत्रीय स्टेशन, करनाल
* स्थापना: 1923 में
* कार्य: यह संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली का एक क्षेत्रीय केंद्र है। यह मुख्य रूप से उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और पौध सामग्री के उत्पादन, विभिन्न फसलों की नई किस्मों के विकास और क्षेत्रीय कृषि समस्याओं पर अनुसंधान करता है।
5. केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIRB), हिसार
* स्थापना: 1985
* कार्य: यह संस्थान भैंसों की नस्लों में सुधार, उनके उत्पादन और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित है। यह मुर्रा और नीली रावी जैसी भारतीय भैंसों की नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए काम करता है।
6. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (ICAR-NRCE), हिसार
* स्थापना: 1986
* कार्य: यह देश में घोड़ों, गधों और खच्चरों के स्वास्थ्य, उत्पादन और प्रबंधन से संबंधित अनुसंधान का एकमात्र संस्थान है। इसका उद्देश्य घोड़ों की बीमारियों को नियंत्रित करना, उनकी नस्लों में सुधार करना और उनकी उत्पादकता बढ़ाना है।
7. राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBAGR), करनाल
* स्थापना: 1984
* कार्य: यह संस्थान भारत में पाए जाने वाले सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण और दस्तावेजीकरण करता है। इसका मुख्य लक्ष्य स्वदेशी पशु नस्लों की पहचान करना, उनका संरक्षण करना और उनका आनुवंशिक डेटाबेस तैयार करना है।
ये सभी संस्थान हरियाणा और पूरे भारत की कृषि और पशुपालन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनके अलावा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS HAU), हिसार भी आईसीएआर से मान्यता प्राप्त एक प्रमुख कृषि विश्वविद्यालय है जो अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है।
25. हरियाणा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं महिला एवं बाल विकास से संबंधित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय स्वास्थ्य से संबंधित, छात्रों से संबंधित छात्रवृत्ति, रोजगार संबंधित, युवाओ बुजुर्गों एवं खेती बाड़ी व कृषि किसान कल्याण योजना
सरकार कुछ योजना में वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जबकि अन्य सेवाएँ या वस्तुएँ प्रदान करती हैं।
1. स्वयं सिद्धा योजना 2001
यह योजना 2001 में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से महिलाओं को बचत, ऋण और आय-सृजन गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना था। यह योजना केंद्र व राज्य सरकार की सहायता से हरियाणा के 6 जिलों के 16 ब्लॉक में चलती है।
2. देवी रूपक योजना 2002
यह योजना 25 सितंबर 2002 को हरियाणा के परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुरू की गई। इसके तहत, दो से कम बच्चे वाले परिवारों को प्रतिवर्ष ₹500 की प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, जिसे बाद में बढ़ाकर ₹20,000 तक कर दिया गया था, यह राशि उनकी बेटी की शिक्षा और विवाह के लिए किश्तों में दी जाती थी। यह योजना की जनसंख्या नियंत्रित करने, लड़के लड़की में भेदभाव को समाप्त करने, स्त्री पुरुष अनुपात को संतुलित करने के लिए शुरू की गई थी।
3. इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी विवाह शगुन योजना
यह योजना 2005 में शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य जरूरतमंद परिवारों की लड़कियों के विवाह में वित्तीय सहायता देना था। इसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, हरियाणा द्वारा कार्यान्वित किया गया था।
4. मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना
यह योजना जुलाई 2015 में शुरू की गई, जो कि इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी विवाह शगुन योजना का ही विस्तारित रूपहै। इसे भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, हरियाणा द्वारा चलाया जाता है।
इस योजना के तहत दी जाने वाली राशि विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग है:
* ₹71,000: अनुसूचित जाति, विमुक्त जाति और टपरीवास जाति के बीपीएल परिवारों की लड़कियों के लिए।
* ₹51,000: गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले परिवारों और सभी वर्गों की विधवा, तलाकशुदा, निराश्रित महिलाओं की बेटियों के लिए।
* ₹31,000: बीपीएल परिवार के अलावा किसी भी आय वर्ग के खिलाड़ी की शादी के लिए।
* ₹31,000: अन्य सभी वर्गों के बीपीएल परिवारों की लड़कियों के लिए।
* ₹41,000: यदि सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है, तो प्रति जोड़ा अतिरिक्त ₹1,000 दिए जाते हैं।
5. लाडली योजना
यह योजना 15 अगस्त 2005 को शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य दूसरी बेटी के जन्म पर परिवार को आर्थिक सहायता देकर लड़कियों के जन्म को प्रोत्साहित करना और लिंग अनुपात में सुधार लाना था। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा लागू किया गया था।
6. लाडली सामाजिक सुरक्षा भत्ता योजना
यह योजना 1 जनवरी 2006 को शुरू की गई थी। इसके तहत उन 45 वर्ष की आयु पूरी कर चुके माता-पिता को पेंशन दी जाती है जिनकी केवल बेटियाँ हैं और कोई पुत्र नहीं है। इसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, हरियाणा द्वारा चलाया जाता है।
7. सबला योजना (राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना)
यह योजना 2011 में भारत सरकार द्वारा हरियाणा के सिर्फ 6 जिले अंबाला हिसार रेवाड़ी रोहतक यमुनानगर और कैथल में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य 11 से 18 वर्ष की किशोरी लड़कियों के पोषण, स्वास्थ्य और कौशल विकास में सुधार करना था। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा कार्यान्वित किया गया था।
8. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
यह भारत सरकार की एक राष्ट्रव्यापी योजना है, जिसे हरियाणा के पानीपत से 22 जनवरी 2015 को शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य लड़कियों के जन्म, सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है। हरियाणा सरकार द्वारा साक्षी मलिक को इसका ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है।
9. आपकी बेटी हमारी बेटी योजना
यह योजना 8 मार्च 2015 को शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति और बीपीएल परिवारों में पैदा होने वाली पहली बेटी और सभी परिवारों में पैदा होने वाली दूसरी बेटी के लिए एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा लागू किया गया है। इस योजना में₹21000 के धनराशि कन्या के बैंक अकाउंट में जमा कराई जाती है, लड़की के 18 वर्ष की उम्र में होने उपरांत अपने अकाउंट से ₹100000 निकलवा सकती है।
10. हरियाणा कन्या कोष
यह कोष 8 मार्च 2015 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य लड़कियों के कल्याण, शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए धनराशि जुटाना है। यह महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा के अधीन कार्य करता है। इस कोष का उपयोग अब आपकी बेटी हमारी बेटी योजना के तहत किया जा रहा है।
11. सुकन्या समृद्धि योजना
यह भारत सरकार की एक लघु बचत योजना है जिसे 2015 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करना है। इसे वित्त मंत्रालय द्वारा चलाया जाता है और यह डाकघरों एवं नामित बैंकों के माध्यम से उपलब्ध है। इस योजना में लड़की के जन्म होने से 10 वर्ष की आयु तक खाता खुलवाया जा सकता है जिसमें न्यूनतम 250 रूपए प्रतिमाह और 150000 रुपए प्रतिवर्ष जमा करवाए जा सकते है जिस पर 7.6% की दर से ब्याज दिया जाएगा। राशि 50% भाग कन्या के 18 वर्ष पूर्ण होने पर उसके विवाह या उच्च शिक्षा के लिए निकाला जा सकता है।
12. स्वधार गृह योजना
यह योजना 18 अक्टूबर 2015 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य बेघर, परित्यक्त या संकटग्रस्त महिलाओं को आश्रय, भोजन, कानूनी सहायता और पुनर्वास प्रदान करना है। इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
13. सखी वन स्टॉप सेंटर
इन केंद्रों की स्थापना 2017 में हुई थी। ये हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सा, पुलिस, कानूनी और परामर्श जैसी एकीकृत सहायता प्रदान करते हैं। इन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा हरियाणा के 7 जिलो करनाल गुरुग्राम फरीदाबाद हिसार रेवाड़ी भिवानी एवं नरनौल संचालित किया जाता है।
14. महिला एवं किशोरी सम्मान योजना
यह योजना 5 अगस्त 2020 में शुरू की गई थी। इसके तहत बीपीएल परिवारों की 10 से 45 वर्ष की महिलाओं और किशोरियों को मुफ्त सेनेटरी नैपकिन प्रदान किए जाते हैं। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा चलाया जाता है।
15. हरियाणा महिला समृद्धि योजना
यह योजना मनोहर लाल मुख्यमंत्री के समय जुलाई 2020 में शुरू हुई थी। यह हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता 60000 का लोन 5% वार्षिक दर पर प्रदान करती है। इसे हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कार्यान्वित किया जाता है।
16. किशोरी लड़कियों हेतु पोषण आहार योजना
यह योजना आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवा) योजना का एक हिस्सा है और 11 से 19 वर्ष की स्कूल छोड़ चुकी किशोरियों को पूरक पोषण हेतु 6 किलो गेहूं 3 महीने तक प्रदान करती है। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा सिर्फ अंबाला और यमुनानगर में चलाया जाता है।
17. अपनी बेटी अपना धन योजना
यह योजना 1994 में शुरू की गई थी और बाद में इसे आपकी बेटी हमारी बेटी योजना में मिला दिया गया। यह बीपीएल परिवारों की लड़कियों के जन्म पर 500 रूपये लड़की की मां को नगद और 2500 रूपये का इंदिरा विकास पत्र कन्या के नाम से वित्तीय सहायता प्रदान करती थी। इसे महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा कार्यान्वित किया गया था।
हरियाणा सरकार की सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता से संसंबंधित पैंशन वेतन और भत्ते योजनाएं
1. वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना
* यह योजना हरियाणा सरकार द्वारा 1969 में ₹100 प्रति माह के साथ शुरू की गई थी।
* इसका उद्देश्य बुजुर्गों को वित्तीय सहायता देना है।
* वर्तमान में इस योजना के तहत ₹3000 प्रति माह दिए जाते हैं।
2. विधवा पेंशन योजना
* इस योजना की शुरुआत हरियाणा सरकार ने 1989 में ₹100 प्रति माह के साथ की थी।
* यह विधवा महिलाओं को आर्थिक मदद प्रदान करती है।
* वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत ₹3000 प्रति माह की राशि दी जाती है।
3. विकलांग पेंशन योजना
* हरियाणा सरकार ने 1981 में इस योजना को ₹50 प्रति माह के साथ शुरू किया था।
* यह विकलांग व्यक्तियों को आर्थिक सहायता देती है।
* वर्तमान में, इसके तहत ₹3000 प्रति माह मिलते हैं।
4. किन्नर भत्ता योजना
* हरियाणा सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत 2006 में की गई थी।
* इसका उद्देश्य किन्नर समुदाय के सदस्यों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने में मदद करना है।
* वर्तमान में उन्हें ₹3000 प्रति माह दिए जाते हैं।
5. विकलांग बच्चों को वित्तीय सहायता योजना
* यह योजना हरियाणा सरकार ने 2008 में शुरू की थी।
* यह विकलांग बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
* इसके तहत वर्तमान में ₹3000 प्रति माह दिए जाते हैं।
6. निराश्रित बच्चों को वित्तीय सहायता योजना
* इसकी शुरुआत हरियाणा सरकार द्वारा 2009 में की गई थी।
* यह योजना निराश्रित और अनाथ बच्चों की मदद करती है।
* वर्तमान में, इसके तहत ₹3000 प्रति माह मिलते हैं।
7. स्वतंत्रता सेनानियों को मासिक पेंशन
* यह पेंशन हरियाणा सरकार द्वारा 2012 में शुरू की गई थी।
* इसका उद्देश्य स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देना है।
* वर्तमान में, उन्हें ₹25,000 प्रति माह की पेंशन मिलती है।
8. थारी पेंशन थारे पास योजना
* इस योजना को हरियाणा सरकार ने 2015 में शुरू किया था।
* इसका उद्देश्य पेंशन की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा करके पारदर्शिता लाना है।
9. विदुर पेंशन योजना
* यह योजना हरियाणा सरकार द्वारा 2017 में शुरू की गई थी।
* यह उन पुरुषों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया है।
* वर्तमान में, इसके तहत ₹3000 प्रति माह मिलते हैं।
10. तीर्थ दर्शन योजना
* इस योजना को हरियाणा सरकार ने 1 अप्रैल 2017 में शुरू किया था। कुल 400 तीर्थ स्थल पर जा सकते हैं।
* यह वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में धार्मिक यात्राएं कराती है जो गरीबी रेखा से नीचे हैं, राज्य सरकार उन का 100% और अन्य परिवारों के लिए 70% वहन करती है।
रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद जीवनी बायोग्राफी लेखक के बारे में ज्यादा जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
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