Friday, 19 June 2020

black fungus ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी सरकार ने एडवाइजरी की जा रही



कोरोनावायरस के बाद अब ब्लॉक कांग्रेस ने देश में पांव पसारने शुरू कर दिए हैं और सरकार ने इस बारे में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं कि इस महामारी को फैलने से कैसे रोका जा सकता है इस महामारी के ब्लैक फंगस के लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में पूरी जानकारी सरकार ने जारी कर दी है।














12.12.2020
चीन पर कैसे हो हमला क्या है चीन की कमजोरी भारत के पास है मौका India China war, how to defeat China

भारत के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के गलवान घाटी में जो भी सैन्य कार्यवाही हुई उसने भारत को चीन पर हमले का एक नया मौका दिया है। भारत को चाहिए कि वह चीन के प्रति एक नई रणनीति अपनाएं, परंतु दुर्भाग्य से भारत के कूटनीति और रणनीति पर बात करने वाले और इन नीतियों पर निर्णय लेने वाले लोग, चीन की सैनिक और आर्थिक ताकत से इतना घबराए रहते हैं कि वह उसे दूसरे मौतों पर मत देना तो दूर चुनौती देने की बात भी नहीं सोच पाते,तो  फिर वह चीन पर हमला कैसे करेंगे?

 चीन के तानाशाह रवैया को देखते हुए भारत को भी जरूरत है, कि उसका सामना डटकर करे। उसकी कमजोरियों को पहचाने और अपने रक्षात्मक रवैए को छोड़कर, आक्रामक नीतियों को अपनाएं और चीन को दबाने में अपनी ताकत लगाए। भारत के नीति निर्धारकों को यह पता होना चाहिए कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार अपने आर्थिक और सैनिक ताकत के बल पर दुनिया में तानाशाह बनी हुई है, और अमेरिका जैसे देशों को भी खुलेआम जवाब देती है और अन्य देशों से धमकाने के तरीके से बात करती है। परंतु विदेशी राजनीति की समझ रखने वाले जानते हैं कि तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान जिसका चीनी नाम शिनजियांग है, दक्षिण मंगोलिया हॉन्गकोंग, मकाऊ और ताइवान के मसलों पर खुद चीनी सरकार अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। इन पर यदि कोई भी देश टिप्पणी करता है और दखलअंदाजी करने की कोशिश करता है, तो चीनी सरकार तिलमिला जाती है और आंखें दिखाने के सिवा और कुछ कर भी नहीं सकती। सन 1949 में जब चीन में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना हुई तो भारत सरकार तब से लेकर वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन की हां में हां मिलाती रही है।

विदेश स्तर की राजनीति की समझ रखने वाले जानते हैं, कि जब 1951 में चीन ने तिब्बत पर अवैध कब्जा किया था, तो इसी बहाने चीन भारत की लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं तक आ पहुंचा। परंतु फिर भी भारत की सरकार ने पंचशील समझौते के तहत उनकी अतार्किक और अवैध बातों को भी जायज करार दिया और उनका समर्थन ही किया। अब भारत को चाहिए कि तिब्बत में चीन के अवैध कब्जे को चुनौती दे और पूरे संसार के सामने चीन के रवैए को जाहिर करें तथा उसका विरोध करें क्योंकि विश्व के बहुत से देश इस मामले में भारत की पहल पर खुश होंगे और साथ देंगे।
यह इस बात से भी साफ होता है कि अमेरिकी संसद पिछले 3 महीने में तिब्बत के पक्ष में दो प्रस्ताव बहुमत से पास कर चुकी है, और यूरोप के लगभग सभी देशों में 10 मार्च के दिन तिब्बत के झंडे को आधिकारिक तौर पर फहराया जाता है। तिब्बत की स्वतंत्रता की मांग पूरे विश्व के लगभग सभी देशों में उठ रही है परंतु चीन के खिलाफ कार्यवाही का दुस्साहस कोई भी देश नहीं कर पा रहा है। भारत को अब चीन को इस मामले में जवाब देना चाहिए।


दलाई लामा एक तिब्बती नेता है जो कि भारत के सम्मानित मेहमान भी हैं उनको नोबेल पुरस्कार, टेंपलटन पुरस्कार, मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं और वह पूरे विश्व में शांति दूत के रूप में जाने जाते है। तो भारत तिब्बत की निर्वासित सरकार को मान्यता देकर चीन के प्रति अपनी आक्रामकता जाहिर कर सकता है।



यह भी जगजाहिर है कि जो वायरस चीन के वुहान से निकला है, वह चाहे जानबूझकर छोड़ा गया हो या फिर गलती से निकला हो परंतु इस मसले पर अमेरिका, जर्मनी, जापान और आस्ट्रेलिया सहित कई देश उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए तैयार बैठे हैं और भारत ने 1951 में चीन के तिब्बत पर कब्जे के बाद जो 1954 में पंचशील समझौते के तहत अपने आप को नुकसान पहुंचाए थे, उनको भी फायदे में बदलने का समय आ गया है क्योंकि चीन ने तिब्बत में मैं भारत को ना तो, अपनी वाणिज्यिक गतिविधियां चलाने की अनुमति दी ना ही वहां पर भारत की सैनिक टुकड़ी जा सकती है, ना ही भारतीय व्यापारी वहां पर लेनदेन कर सकते हैं, और ना ही तिब्बत के लहासा में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने की चीनी सरकार अनुमति दे रही है।


 इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं की चीन के अखबारों, टीवी चैनलों और न्यूज एजेंसियों के बहुत से पत्रकार भारत में है और वह मीडिया की आजादी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं जबकि वह इसका दुरुपयोग भी करते हैं परंतु चीन में भारतीय पत्रकारों की संख्या बहुत कम है और वहां पर कई तरह की पाबंदी है। इस मसले पर भारत अपने हितों की आवाज मजबूती से उठा सकता है और करोना वायरस के कारण पूरी दुनिया भर में चीन के उत्पादों और चीनी कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे सामान के प्रति भी एक आर्थिक युद्ध हो सकता है, जिसका फायदा भारत को उठाना चाहिए, इसलिए चीन के खिलाफ सैनिक तैयारी के साथ साथ कूटनीतिक कदम भी उठाए जाने जरूरी हैं ताकि चीन की बराबरी की जा सके और भारतीय मंत्रालय द्वारा चीन के ऐप अन-इंस्टॉल करने की जो अधिकारिक घोषणा की गई, वह बहुत ही सराहनीय है क्योंकि चीन अपने देश में विदेशों के कोई भी ऐप, सॉफ्टवेयर प्रयोग करने की इजाजत नहीं देता और उसने स्वयं के ही सारे मोबाइल उत्पाद बना रखे हैं जो कि अन्य देशों में करोड़ों की कमाई करते हैं तो भारत में भी बहुत से काबिल वैज्ञानिक और इंजीनियर है जो चाइना के सभी उत्पादों जैसे कि मोबाइल सॉफ्टवेयर, मोबाइल ऐप या अन्य मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को चुनौती दे सकते हैं तो भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।


चीन विश्व में महाशक्ति के रूप में उभरने पर घमंड कर रहा है और वह पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव जमाना चाहता है और अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।  हाल ही में भारत की बीएसएनल कंपनी ने 4G टेंडर से चीनी कंपनियों को बाहर रखने बारे प्रस्ताव रखा है, जो कि एक अच्छा कदम है। कानपुर से मुगलसराय के बीच फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों का ठेका रद्द कर दिया गया है तो ऐसे ही जो समझौता हाल ही में जब गलवन घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो रही थी, उसी वक्त महाराष्ट्र सरकार और चीन की वाहन निर्माता कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स के बीच समझौता हुआ था। उसे भी अवश्य ही रद्द किया जाना चाहिए और भारतीय कंपनियों को जिसमें भारत के सभी लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग आते हैं, उनको भी मौका देना चाहिए। तभी भारत के आत्मनिर्भर अभियान को बड़े तरीके से आगे बढ़ा सकता है। परंतु इस मामले में भारतीय कंपनियों और भारतीय बैंकों या सरकार द्वारा दी जाने वाली रे तू यारी नदी के बीच भारत में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है और इस पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा चोट की जानी आवश्यक है जो कि सरकार की जिम्मेवारी बनती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पारदर्शी तरीके से पहल की जानी आवश्यक है नहीं तो भ्रष्टाचारी और लालची लोग जो कि भारतीय राजनीति में है और भारतीय सरकार में नौकरी कर रहे हैं वह स्वार्थ बस अपने देश के खिलाफ ही निर्णय लेने में नहीं जी सकते



चीन पर कैसे हो हमला क्या है चीन की कमजोरी भारत के पास है मौका India China war, how to defeat China


Whatever military action took place in the Galvan Valley of the Ladakh Union Territory of India has given India a new opportunity to attack China.  India should adopt a new strategy towards China, but unfortunately the people who talk about India's diplomacy and strategy and decide on these policies, are so terrified by the military and economic strength of China that it gives them other deaths  But if you don't vote, you can't even think of challenging it, then how will they attack China?


 Given the dictatorial attitude of China, India also needs to face it firmly.  Recognize his weaknesses and abandon his defensive attitude, adopt aggressive policies and exert his strength in suppressing China.  India's policymakers should be aware that China's communist government continues to be a dictator in the world on the strength of its economic and military strength, and also openly responds to countries like the US and talks to other countries about how to bully  .  But those who understand foreign politics know that the Chinese government itself feels insecure on the issues of Tibet, East Turkistan, whose Chinese name is Xinjiang, South Mongolia Hongkong, Macau and Taiwan.  If any country comments on these and tries to interfere, the Chinese government goes stunned and cannot do anything except show their eyes.  Since the establishment of Communist rule in China in 1949, the Indian government has been mixing yes with China under the One China Policy ever since.

Methods of attack on China



 Those who understand the politics of foreign level know that when China occupied Tibet illegally in 1951, then on this pretext, China reached the borders of Ladakh, Sikkim and Arunachal Pradesh.  But still the Government of India, under the Panchsheel agreement, justified their irrational and illegal things and supported them.  Now India needs to challenge the illegal occupation of China in Tibet and express and oppose China's attitude to the whole world because many countries of the world will be happy and support India's initiative in this matter.

 It is also clear from this that the US Parliament has passed two resolutions in favor of Tibet by majority in the last 3 months, and in almost all countries of Europe, the flag of Tibet is officially hoisted on 10 March.  Demand for independence of Tibet is arising in almost all the countries of the world, but no country is able to dare to take action against China.  India should now respond to China in this matter.


 The Dalai Lama is a Tibetan leader who is also an honored guest of India, has been awarded the Nobel Prize, the Templeton Prize, the Magsaysay Award and is known worldwide as a messenger of peace.  So India can express its aggression towards China by recognizing the exiled government of Tibet.




 It is also well known that the virus which originated from Wuhan in China, whether it was intentionally released or accidentally, but on this issue many countries including America, Germany, Japan and Australia are ready to take action against it and India.  After China's occupation of Tibet in 1951, which had damaged itself under the Panchsheel Agreement in 1954, the time has also come to convert them into profit because China has neither India nor its commercial activities in Tibet.  Permission is neither given to Indian troops there, nor Indian merchants may transact there, nor is the Chinese government giving permission to open the Indian Consulate in Lhasa, Tibet.


 Very few people know that many journalists of Chinese newspapers, TV channels and news agencies are in India and they are taking full advantage of the freedom of media even when they misuse it but the number of Indian journalists in China  There is very little and there are many restrictions.  On this issue, India can raise the voice of its interests strongly and due to the Karona virus, there can be an economic war against Chinese products and goods made by Chinese companies all over the world, which India should take advantage of,  Therefore, along with military preparations against China, it is necessary to take diplomatic steps so that China can be equaled and the official announcement made by the Indian Ministry to un-install China's app is very commendable because China is making its country  I do not allow any app, software from abroad to use and have created all our own mobile products which earn crores in other countries, then India also has a lot of capable scientists and engineers who all of China  India should take advantage of this opportunity if it can challenge products such as mobile software, mobile apps or other manufacturing products.


 China is boasting of emerging as a superpower in the world and wants to assert its influence on the whole world and is misusing its power.  Recently India's BSNL company has proposed to keep Chinese companies out of 4G tender, which is a good move.  The contract of Chinese companies in the freight corridor project between Kanpur and Mughalsarai has been canceled, so the agreement which was recently between the Indian and Chinese soldiers in the Galvan valley, at the same time, the Maharashtra government and Chinese vehicle manufacturer  The agreement was reached between the company Great Wall Motors.  It must also be canceled and Indian companies in which all the small, micro and medium industries of India come, should also be given a chance.  Only then can India carry forward its self-sufficient campaign in a big way.  But in this case, corruption is a huge problem in India between the Indian companies and the Indian banks or the Re Tu Yari River given by the government and it is necessary to first and foremost hurt that it becomes the responsibility of the government and  It is necessary to take initiative against corruption in a transparent way, otherwise the corrupt and greedy people who are in Indian politics and are working in Indian government, they cannot live selfishly in taking decisions against their country only.



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