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डॉ० बी आर अंबेडकर अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आवास योजना के तहत मकान मुरम्मत के फार्म शुरू हो चुके है जिसमें ₹80000 रिपेयर के लिए मिलते हैं
इस योजना में सभी अनुसूचित जनजाति यानी कि ऐसी कैटेगरी के परिवार और बीपीएल परिवार अप्लाई कर सकते हैं मकान कम से कम 10 वर्ष पहले बना होना चाहिए और इससे पहले किसी अन्य मुरम्मत की स्कीम का लाभ न मिला हो
फार्म भरवाने के लिए निम्नलिखित डाक्यूमेंट्स भेजने हैं
1 आधार कार्ड व फैमिली आईडी
2 BPL राशन कार्ड
3 SC जाति प्रमाण पत्र
4 हरियाणा रिहायशी प्रमाण पत्र डोमिसेल
5 आधार कार्ड से लिंक बैंक खाता
6 मकान रजिस्ट्री की फोटो कॉपी
7 मकान के बाहर खड़े होकर खिचवाई गई 4*6 Size फोटो
8. दो पासपोर्ट फोटो
उपरोक्त डाक्यूमेंट्स पूरे कर अंतिम तिथि का इंतज़ार न करे साइट कभी भी बंद हो सकती है
महत्वपूर्ण दस्तावेज
प्रार्थी का परिवार पहचान पत्र
प्रार्थी का बी0पी0एल0 नं0
प्रार्थी का राशन कार्ड
प्रार्थी का अनुसूचित जाति (SC & BC प्रमाण पत्र)
प्रार्थी का आधार कार्ड
प्रार्थी का बैंक अंकाउट नं0
प्रार्थी का मोर्बाइ ल नं0
प्रार्थी की फोटो मकान की मरम्मत वाली जगह के साथ
बिजली का बिल, पानी का बिल, चूल्हा टैक्स, जमीन की रजिस्ट्री या कार्ड में से कोई भी दो
मकान की मरम्मत पर अनुमानित खर्चे का प्रमाण।
आवेदन प्रिक्रिया
सबसे पहले आवेदन पत्र को अच्छी तरह से भरें,
आवेदन पत्र के साथ महत्वपूर्ण दस्तावेज अटैच करें,
आवेदन पत्र को सरपंच या एमसी द्वारा अटेस्टिड करवाएं,
सीएससी सेंटर या सरल हरियाणा पर जाकर इस फॉर्म को ऑनलाइन करें,
ऑनलाइन आवेदन करने के बाद रसीद को आवेदन पत्र के साथ अटैच करें,
और अपने क्षेत्र के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग कार्यालय में जमा करें।
उद्देशय
अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग (SC & BC) के आवास नवीनीकरण (मकान मरम्मत हेतु) अनुदान राशि 50,000-80,000 रुपए की सहायता देना |
Documents Are Required..
Dr BR Ambedkar has started the form of house repair under the Housing Scheme for Scheduled Castes and Tribes in which ₹ 80000 is available for repair.
In this scheme, all scheduled tribes, ie families of such category and BPL families can apply. The house should be constructed at least 10 years in advance and no other repair scheme has been availed before.
The following documents have to be sent to fill the form
1 Aadhaar Card and Family ID
2 BPL Ration Card
3 SC Caste Certificate
4 Haryana Residential Certificate Domicel
5 Aadhaar Card Linked Bank Account
Photo copy of 6 house registry
7 one 4 x 6 Size photo taken standing outside the house
8. Two passport photos
Do not wait for the last date after completing the above documents, the site can be closed at any time
हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पंजीकरण की तिथि किसानों के लिए वर्ष 2021 के दौरान तीन सीजन में कपास / नरमा , धान / जीरी मक्का बाजरा आदि का बीमा करवाने के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई 2021 तक बढ़ा दी है जो किसान फसल बीमा योजना का लाभ नहीं लेना चाहते वह बैंकों में जाकर आवेदन करके फसल बीमा योजना से बाहर हो सकते हैं
जाने किस फसल के लिए कितनी राशि का भुगतान करना होगा फसल बीमा योजना के लिए
Premium and insurance amount for crop insurance for farmer
Haryana Government has extended the date of registration of Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana to insure the farmers of cotton / soft, paddy / cumin maize millet etc. in three seasons during the year 2021 to 31 July 2021, which is the Kisan Crop Insurance Scheme Do not want to take advantage of, they can go out of the crop insurance scheme by applying to the banks
Know what amount to pay for crop insurance, for crop insurance scheme
जैसा कि आप सब जानते हैं भारत सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई हुई है, देश के युवाओं के लिए। युवक और युवतियों को प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें अच्छी जगह पर और अच्छा काम मिले इसके लिए एक सरकार बहुत ही प्रयासरत है और बहुत पैसे खर्च कर रही है।
देखने में लगता है इस सरकार ने युवाओं के लिए जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है, शायद ही आज तक किसी अन्य सरकार ने चलाया हो और यह बहुत ही सराहनीय है। मैं भी इसकी बहुत सराहना करता यदि झारखंड के हटिया रेलवे स्टेशन वाली घटना न होती। अब आप अवश्य ही इस घटना के बारे में जानना चाहेंगे मैंने भी इधर उधर कुछ स्रोतों से जानकारी इकट्ठा की तो पता चला कि केरल से आई लगभग 200 प्रशिक्षित प्रवासी महिला मजदूरों ने झारखंड के हटिया रेलवे स्टेशन पर अपनी रोजगार की गाथा सुनाई तो रोना आ गया। क्योंकि सरकार ने अपनी तरफ से उनको ट्रेनिंग देने के लिए कई नीतियां बनाई, सेंटर स्थापित किए परंतु एक तरह से लागू न करने के अभाव में इन योजनाओं का वही हाल हुआ जो बहुत सी सरकारी योजनाओं का होता है, यानि कि विकास में योगदान के नाम पर ढाक के तीन पात।
भारत सरकार के कौशल विकास योजना के तहत झारखंड की युवतियों ने अपने राज्य में सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग ली और रोजगार की तलाश में अपने राज्य को छोड़कर केरल का रुख किया क्योंकि वह अधिक शिक्षित राज्य था। वहां के स्थानीय दलाल ने उन्हें ₹9000 प्रति माह और मुफ्त रहने व खाने के वादे के साथ केरल के कारखानों में भेज दिया परंतु जैसा कि युवतियों ने बताया कि ठेकेदार उन्हें पेट भर भोजन भी नहीं देता था और महीने के आखिर में ₹2000 पकड़ा देता था। स्किल इंडिया पॉलिसी के नाम से गांव के युवक और युवतियों के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले ताकि वह कौशल प्राप्त करके देश के उद्योग में व सेवा क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करेंगे और साथ में देश तथा परिवार के लिए भी कुछ बेहतर कर पाएंगे। परंतु न तो यह स्किल इंडिया स्कीम आगे बढ़ पाई और खुद के राज्य में कौशल विकास प्रशिक्षण करने के बावजूद दूसरे राज्य में जाकर भी उनका शोषण हुआ।
पता नहीं सरकार ने सिलाई कंपनी को कितने करोड़ रूपए दिया होगा और इस योजना पर कितने रुपए खर्च हुआ होगा परंतु का एक उदाहरण आप देख सकते हैं कि इसका फायदा क्या हुआ। जो उद्योग केरल में स्थापित किए गए हैं, झारखंड में भी स्थापित हो सकते हैं और यहां पर भी कढ़ाई और सिलाई के उद्योग स्थापित करके यहां के युवाओं को रोजगार दिया जा सकता है व यहां से कपड़ा निर्यात किया जा सकता है। स्थानीय सरकार नीतियां और योजनाएं बनाने वाली उद्यमिता के नाम पर माहौल बनाना तो दूर की बात है यह तक निश्चित नहीं करती की कौशल विकास प्रशिक्षण करने के बाद यह युवा पीढ़ी आगे क्या कर रही है या क्या करेगी। यदि उसे काम मिल गया तो क्या ठीक मिल गया, क्या यह राज्य सरकार की, केंद्र सरकार की जिम्मेवारी नहीं थी कि वह सरकार के श्रम विभाग, लेबर ब्यूरो में रजिस्ट्रेशन के तहत दर्ज कपड़ा निर्यात कंपनियों के साथ भागीदारी करके उन्हें उचित वेतन दिलवाए और कम से कम उनके खाने की व्यवस्था तो बेहतर हो जाती परंतु सरकार ऐसा करने में विफल रही और इस तरह से सरकारी योजनाएं बनाई जाती है उनका दूर तक पालन ना करने की वजह से वह रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं और ना जाने जनता का कितना पैसा वैसे ही खर्च हो जाता है। नेताओं की जेब जरूर फुल हो जाती है, उद्योगपतियों को जरूर आमदनी हो जाती है, कोचिंग सेंटर ट्रेनिंग देने वालों को अवश्य मुनाफा होता है, परंतु इस देश को क्या मिलता है कोई जानना नहीं चाहता या फिर जान नहीं पाता और देश के युवाओं को क्या मिला आप देख सकते हैं।
बल्कि सरकार की उदासीनता को देखते हुए कोई भी उद्यमी या कंपनी दलाल के माध्यम से ही कार्य करवाना पसंद करें क्योंकि उन्हें बहुत सस्ते मजदूर मिलेंगे और इस तरह सरकारी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी और लोगों का कौशल विकास केंद्रों की तरफ भी ध्यान कभी नहीं होगा और जो करोड़ों अरबों रुपए खर्च हुए हैं वह पानी में बहे समझो।
और ऐसी ही सरकार की फसल बीमा योजना का क्या हाल हुआ आप देख सकते हैं। करोड़ों रुपए जबरदस्ती किसानों से लेकर कंपनियों को दिए गए, कंपनियां मलाल हो गई परंतु कंपनियों की तरफ से उचित समय पर कोई क्लेम भुगतान नहीं की गई और यही हाल प्रधानमंत्री की पीएम किसान योजना का है। आज भी बहुत से ऐसे किसान भटक रहे हैं क्योंकि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है या जो करने वाले हैं वह उनको यह कहते हैं कि हमारा काम नहीं है, स्कीम ऊपर से बंद हो गई है या फिर किसी दूसरे पटवारी, ADO का नाम लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं तो कोई ऐसा तंत्र स्थापित किया जाए जो सरकारी कर्मचारी को जवाब देह बनाए और वह भी जनता के प्रति।
As you all know, the Government of India has run very important schemes, for the youth of the country. After giving training to the young men and women, they get a good place and good work, a government is very practical and is spending a lot of money. It seems to see that this government has run the training program for the youth, hardly any other government has run and it is very commendable. I also highly appreciate it if Jharkhand's Havya Railway Station was not incident. Now you must know about this incident. I also gathered information from some sources here, then it was found that about 200 trained migrant women workers from Kerala, they were heard of their employment saga at the Hatia railway station of Jharkhand. Because the government has created many policies to train them, in the absence of not applying a way, these schemes were the same recent situation which is of many government schemes, that is, in the name of contribution to development, three of Dhaka.
the skill development scheme of the Government of India, Jharkhand's young people took training of sewing embroidery in their state and left their state in search of employment because he was a more educated state. The local broker there sent them to the factories of Kerala with 9,000 per month and the promise of eating and eating, but the women said that the contractor did not even give them food and caught ₹ 2000 at the end of the month. As a skill India policy, opening a training center for the village of the village and the youngsters so that they will get employment in the country and service sector in the industry and will be able to do anything better for the country and family. But neither the skill India scheme could move forward and despite the training of skill development in the state, he was exploited by going to another state. Do not know how many rupees will be given to the Sewing Company and how many rupees will be spent on this scheme, but you can see what it has benefited.
Those industries which have been established in Kerala can also be established in Jharkhand and can be employed by the youth here by establishing embroidery and sewing industry and can be exported from here. Local Government is a distant to make an atmosphere in the name of entrepreneurship to make policies and plans, it does not make sure that after doing skill development training, what is this young generation doing or what will do. If he got the job, did he get it right, was it not responsible for the State Government, that he was able to share the proper salary by participating in the Labor Department of the Labor Department of the Government, and at least his food system. The pockets of the leaders are definitely full, the industrialists definitely get earned, those who give coaching center training, do not want to know what to do if this country does not want to know or you did not know and what you got to the youth of the country.
Rather than looking at the indifference of the government, any entrepreneur or company would like to work only through the broker because they will get very cheap laborers and thus the government plans will be aware of the skill development centers and will not even meditate on the skill development centers and those who spent millions of rupees And you can see what happened to such a government's crop insurance plan. Crores of rupees are forced to companies from farmers to companies, they were malicious, but no claim paid at the right time from the companies and the same Prime Minister's PM farmer scheme. Even today, many such farmers are wandering because they have not been registered or those who are going to say to them that our work is closed from above or if any other Patwari runs away with your responsibility by the name of ADO, then no such system
देखने में लगता है इस सरकार ने युवाओं के लिए जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है, शायद ही आज तक किसी अन्य सरकार ने चलाया हो और यह बहुत ही सराहनीय है। मैं भी इसकी बहुत सराहना करता यदि झारखंड के हटिया रेलवे स्टेशन वाली घटना न होती। अब आप अवश्य ही इस घटना के बारे में जानना चाहेंगे मैंने भी इधर उधर कुछ स्रोतों से जानकारी इकट्ठा की तो पता चला कि केरल से आई लगभग 200 प्रशिक्षित प्रवासी महिला मजदूरों ने झारखंड के हटिया रेलवे स्टेशन पर अपनी रोजगार की गाथा सुनाई तो रोना आ गया। क्योंकि सरकार ने अपनी तरफ से उनको ट्रेनिंग देने के लिए कई नीतियां बनाई, सेंटर स्थापित किए परंतु एक तरह से लागू न करने के अभाव में इन योजनाओं का वही हाल हुआ जो बहुत सी सरकारी योजनाओं का होता है, यानि कि विकास में योगदान के नाम पर ढाक के तीन पात।
भारत सरकार के कौशल विकास योजना के तहत झारखंड की युवतियों ने अपने राज्य में सिलाई कढ़ाई की ट्रेनिंग ली और रोजगार की तलाश में अपने राज्य को छोड़कर केरल का रुख किया क्योंकि वह अधिक शिक्षित राज्य था। वहां के स्थानीय दलाल ने उन्हें ₹9000 प्रति माह और मुफ्त रहने व खाने के वादे के साथ केरल के कारखानों में भेज दिया परंतु जैसा कि युवतियों ने बताया कि ठेकेदार उन्हें पेट भर भोजन भी नहीं देता था और महीने के आखिर में ₹2000 पकड़ा देता था। स्किल इंडिया पॉलिसी के नाम से गांव के युवक और युवतियों के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले ताकि वह कौशल प्राप्त करके देश के उद्योग में व सेवा क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करेंगे और साथ में देश तथा परिवार के लिए भी कुछ बेहतर कर पाएंगे। परंतु न तो यह स्किल इंडिया स्कीम आगे बढ़ पाई और खुद के राज्य में कौशल विकास प्रशिक्षण करने के बावजूद दूसरे राज्य में जाकर भी उनका शोषण हुआ।
पता नहीं सरकार ने सिलाई कंपनी को कितने करोड़ रूपए दिया होगा और इस योजना पर कितने रुपए खर्च हुआ होगा परंतु का एक उदाहरण आप देख सकते हैं कि इसका फायदा क्या हुआ। जो उद्योग केरल में स्थापित किए गए हैं, झारखंड में भी स्थापित हो सकते हैं और यहां पर भी कढ़ाई और सिलाई के उद्योग स्थापित करके यहां के युवाओं को रोजगार दिया जा सकता है व यहां से कपड़ा निर्यात किया जा सकता है। स्थानीय सरकार नीतियां और योजनाएं बनाने वाली उद्यमिता के नाम पर माहौल बनाना तो दूर की बात है यह तक निश्चित नहीं करती की कौशल विकास प्रशिक्षण करने के बाद यह युवा पीढ़ी आगे क्या कर रही है या क्या करेगी। यदि उसे काम मिल गया तो क्या ठीक मिल गया, क्या यह राज्य सरकार की, केंद्र सरकार की जिम्मेवारी नहीं थी कि वह सरकार के श्रम विभाग, लेबर ब्यूरो में रजिस्ट्रेशन के तहत दर्ज कपड़ा निर्यात कंपनियों के साथ भागीदारी करके उन्हें उचित वेतन दिलवाए और कम से कम उनके खाने की व्यवस्था तो बेहतर हो जाती परंतु सरकार ऐसा करने में विफल रही और इस तरह से सरकारी योजनाएं बनाई जाती है उनका दूर तक पालन ना करने की वजह से वह रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं और ना जाने जनता का कितना पैसा वैसे ही खर्च हो जाता है। नेताओं की जेब जरूर फुल हो जाती है, उद्योगपतियों को जरूर आमदनी हो जाती है, कोचिंग सेंटर ट्रेनिंग देने वालों को अवश्य मुनाफा होता है, परंतु इस देश को क्या मिलता है कोई जानना नहीं चाहता या फिर जान नहीं पाता और देश के युवाओं को क्या मिला आप देख सकते हैं।
बल्कि सरकार की उदासीनता को देखते हुए कोई भी उद्यमी या कंपनी दलाल के माध्यम से ही कार्य करवाना पसंद करें क्योंकि उन्हें बहुत सस्ते मजदूर मिलेंगे और इस तरह सरकारी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी और लोगों का कौशल विकास केंद्रों की तरफ भी ध्यान कभी नहीं होगा और जो करोड़ों अरबों रुपए खर्च हुए हैं वह पानी में बहे समझो।
और ऐसी ही सरकार की फसल बीमा योजना का क्या हाल हुआ आप देख सकते हैं। करोड़ों रुपए जबरदस्ती किसानों से लेकर कंपनियों को दिए गए, कंपनियां मलाल हो गई परंतु कंपनियों की तरफ से उचित समय पर कोई क्लेम भुगतान नहीं की गई और यही हाल प्रधानमंत्री की पीएम किसान योजना का है। आज भी बहुत से ऐसे किसान भटक रहे हैं क्योंकि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है या जो करने वाले हैं वह उनको यह कहते हैं कि हमारा काम नहीं है, स्कीम ऊपर से बंद हो गई है या फिर किसी दूसरे पटवारी, ADO का नाम लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं तो कोई ऐसा तंत्र स्थापित किया जाए जो सरकारी कर्मचारी को जवाब देह बनाए और वह भी जनता के प्रति।
As you all know, the Government of India has run very important schemes, for the youth of the country. After giving training to the young men and women, they get a good place and good work, a government is very practical and is spending a lot of money. It seems to see that this government has run the training program for the youth, hardly any other government has run and it is very commendable. I also highly appreciate it if Jharkhand's Havya Railway Station was not incident. Now you must know about this incident. I also gathered information from some sources here, then it was found that about 200 trained migrant women workers from Kerala, they were heard of their employment saga at the Hatia railway station of Jharkhand. Because the government has created many policies to train them, in the absence of not applying a way, these schemes were the same recent situation which is of many government schemes, that is, in the name of contribution to development, three of Dhaka.
the skill development scheme of the Government of India, Jharkhand's young people took training of sewing embroidery in their state and left their state in search of employment because he was a more educated state. The local broker there sent them to the factories of Kerala with 9,000 per month and the promise of eating and eating, but the women said that the contractor did not even give them food and caught ₹ 2000 at the end of the month. As a skill India policy, opening a training center for the village of the village and the youngsters so that they will get employment in the country and service sector in the industry and will be able to do anything better for the country and family. But neither the skill India scheme could move forward and despite the training of skill development in the state, he was exploited by going to another state. Do not know how many rupees will be given to the Sewing Company and how many rupees will be spent on this scheme, but you can see what it has benefited.
Those industries which have been established in Kerala can also be established in Jharkhand and can be employed by the youth here by establishing embroidery and sewing industry and can be exported from here. Local Government is a distant to make an atmosphere in the name of entrepreneurship to make policies and plans, it does not make sure that after doing skill development training, what is this young generation doing or what will do. If he got the job, did he get it right, was it not responsible for the State Government, that he was able to share the proper salary by participating in the Labor Department of the Labor Department of the Government, and at least his food system. The pockets of the leaders are definitely full, the industrialists definitely get earned, those who give coaching center training, do not want to know what to do if this country does not want to know or you did not know and what you got to the youth of the country.
Rather than looking at the indifference of the government, any entrepreneur or company would like to work only through the broker because they will get very cheap laborers and thus the government plans will be aware of the skill development centers and will not even meditate on the skill development centers and those who spent millions of rupees And you can see what happened to such a government's crop insurance plan. Crores of rupees are forced to companies from farmers to companies, they were malicious, but no claim paid at the right time from the companies and the same Prime Minister's PM farmer scheme. Even today, many such farmers are wandering because they have not been registered or those who are going to say to them that our work is closed from above or if any other Patwari runs away with your responsibility by the name of ADO, then no such system
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