03 अगस्त 2025

म्हारा हरियाणा, देखो सारा सिमाणा by रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद

सारा हरियाणा यहां समाणा by रामू कवि किसान नचार खेड़ा जींद
म्हारा हरियाणा, देखो सारा सिमाणा

CET 2025 Group D Exam and Group C Main Exam, HSSC HPSE Competitive Exam के लिए महत्वपूर्ण डाटा

हरियाणा से संबंधित सभी प्रकार के जीके हरियाणा जीके हरियाणा के जिले हरियाणा के वन्य जीव अभ्यारण हरियाणा की नदियां हरियाणा की मिट्टी स्मारक हरियाणा के ऐतिहासिक स्थल की संपूर्ण जानकारी धीरे धीरे डाली जाएगी 
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सारा हरियाणा देखो सारा सिमाणा विषय सूची, कुल 28 राज्य हैं तो 28 विषय बनाए गए हैं हमारे द्वारा सुविधा के लिए

01 अगस्त 2025

CET 2025 में कौन सी वैकेंसी आ सकती हैं Online Form Govt Scheme Scholarship

हरियाणा से संबंधित संपूर्ण जानकारी CET 2025 हरियाणा जीके के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

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CET HARYANA GROUP D SYLLABUS सेट हरियाणा ग्रुप डी सिलेबस

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 🌟 हरियाणा सरकारी नौकरियों की बड़ी अपडेट! 🌟

(अनुमानित पद संख्या पिछले रिक्रूटमेंट ट्रेंड पर आधारित

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📢 Female Supervisor: 200+ पद आने की संभावना

📢 नहरी पटवारी: 1000 तक पद संभावित

📢 Revenue पटवारी: 300–500 पद अनुमानित

👮‍♂️ हरियाणा पुलिस Sub Inspector: लगभग 400 मेल व 65 फीमेल पद

🚌 Conductor: 2000+ पद संभावित

🚓 हरियाणा पुलिस ड्राइवर भर्ती भी इस बार होगी

🔧 ITI सेक्टर: ALM, SA, JE आदि की सबसे अधिक पोस्ट

🏥 स्वास्थ्य विभाग: MPHW (मेल व फीमेल), Staff Nurse, Pharmacist, OTA जैसी कई भर्तियाँ

JE Civil , JE Electrical के लगभग 150,150 पद आने की संभावना है 

इस बार Yoga Teacher, Laboratory Assistant की स्कूल में ज्यादा संख्या में vacancy देखने को मिल सकती हैं `अनुमति`


📌 हरियाणा की BJP सरकार का वायदा:

🗳️ चुनाव पूर्व घोषणा – एक वर्ष में Group C व D की 50,000 भर्तियाँ।


⚠️ ध्यान दें:

यह आंकड़े पिछली भर्तियों के आधार पर अनुमान हैं।

✅ अधिकृत व सटीक जानकारी के लिए समय-समय पर HSSC की ऑफिशियल वेबसाइट पर विज़िट करें:

🌐 www.hssc.gov.in


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💱 Vacancies : DSSSB ने 2,119 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन किया जारी; 8 जुलाई से शुरू आवेदन, सैलरी डेढ़ लाख से ज्यादा*


💱 *दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) ने जेल वार्डर सहित 2,000 से ज्यादा पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 8 जुलाई से शुरू हो रही है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट dsssb.delhi.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।*


💱 `कैटेगरी वाइस वैकेंसी डिटेल्स :`


अनारक्षित : 892 पद

ओबीसी : 558 पद

एससी : 312 पद

एसटी : 148 पद

ईडब्ल्यूएस : 209 पद


💱 एजुकेशनल क्वालिफिकेशन :`


10वीं, 12वीं, संबंधित क्षेत्र में इंजीनियरिंग की डिग्री, बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री,


💱 `एज लिमिट :`


जेल वार्डर, लैब टेक्नीशियन, मलेरिया इंस्पेक्टर, फार्मासिस्ट : 18-27 वर्ष

पीजीटी/शिक्षक : 30 वर्ष

आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट : 18-32 वर्ष

आयु में छूट नियमानुसार लागू होगी।


💱 `फीस :`


सामान्य/ओबीसी : 100 रुपए

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पीडब्ल्यूबीडी (बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति) और पूर्व सैनिक : नि:शुल्क


💱 `सैलरी :`


मलेरिया इंस्पेक्टर : 35,400 – 1,12,400 रुपए प्रतिमाह

आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट : 29,200 – 92,300 रुपए प्रतिमाह

पीजीटी इंजीनियरिंग ग्राफिक्स : 47,600- 1,51,100 रुपए प्रतिमाह

पीजीटी संस्कृत : 47,600- 1,51,100 रुपए प्रतिमाह

पीजीटी इंग्लिश : 47,600- 1,51,100 रुपए प्रतिमाह

पीजीटी हॉर्टिकल्चर (पुरुष) : 47,600- 1,51,100 रुपए प्रतिमाह

पीजीटी एग्रीकल्चर (पुरुष) : 47,600- 1,51,100 रुपए प्रतिमाह

डोमेस्टिक सााइंस टीचर : 44,900- 1,42,400 रुपए प्रतिमाह

ऑपरेशन थियेटर : 19,900 – 63,200 रुपए प्रतिमाह

टेक्नीशियन : 25,500 – 81,100 रुपए प्रतिमाह

फार्मासिस्ट (आयुर्वेद) : 29,200 – 92,300 रुपए प्रतिमाह

वार्डर (पुरुष) : 21,700 – 69,100 रुपए प्रतिमाह

लैबोरेटरी टेक्नीशियन : 29,200 – 92,300 रुपए प्रतिमाह

सीनियर साइंटिफिक असिस्टेंट (केमेस्ट्री) : 35,400 – 1,12,400 रुपए प्रतिमाह

सीनियर साइंटिफिक असिस्टेंट (माइक्रोबायोलॉजी) : 35,400 – 1,12,400 रुपए प्रतिमाह


`सिलेक्शन प्रोसेस :`


रिटन एग्जाम के बेसिस पर मेरिट लिस्ट तैयारी की जाएगी।


`ऐसे करें आवेदन :`


DSSSB की वेबसाइट dsssb.delhi.gov.in पर जाएं।

होम पेज पर Recruitment सेक्शन पर क्लिक करें।

DSSSB Recruitment Advt 6/2024 पर क्लिक करें।

अप्लाय ऑनलाइन पर क्लिक करें।

जरूरी डाक्यूमेंट्स, फोटो और सिग्नेचर अपलोड करें।

अपनी कैटेगरी के अनुसार फीस का भुगतान करें।

आवेदन फॉर्म फाइनल सबमिट कर दें।



⚜️ *Hartron Data Entry Operator (DEO) Recruitment Notice Out*


हरियाणा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (Hartron) ने डाटा एंट्री ऑपरेटर (DEO) के पदों पर भर्ती के लिए शोर्ट नोटिस जारी...

✅ *Starting Date* :- 05/08/2025

✅ *Last Date* :- 19/08/2025

✅ *Admit Card* :- 26/08/2025

✅ *Age Limit* :- 18-42 Years

✅ *Total Post* :- 130 Post

✅ *Post Name* :- Date Entry Operator (DEO) 

✅ *Pay Scale* :- Rs. 25000/-



*💠Vacancies : IBPS ने 10,277 पदों पर निकाली भर्ती; आज से आवेदन शुरू, ग्रेजुएट्स करें अप्लाई*


*इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्‍शन यानी IBPS ने क्‍लर्क कैडर में कस्‍टमर सर्विस एसोसिएट्स की भर्ती निकाली है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट ibps.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।*


`एजुकेशनल क्‍वालिफिकेशन :`


किसी भी स्‍ट्रीम से ग्रेजुएशन की डिग्री।

कम्‍प्‍यूटर नॉलेज का सर्टिफिकेट, डिप्‍लोमा, डिग्री।


`एज लिमिट :`


न्यूनतम : 20 साल

अधिकतम : 28 साल

एससी, एसटी : 5 साल की छूट

ओबीसी : 3 साल की छूट

दिव्यांग : 10 साल की छूट


`सैलरी :`


24050 - -64480 रुपए प्रतिमाह


`फीस :`


जनरल/OBC/EWS के लिए - 850 रुपए

SC/ST/PH के लिए - 175 रुपए


`सिलेक्शन प्रोसेस :`


प्रीलिम्स एग्जाम

मेन्स एग्जाम

एग्जाम पैटर्न :


`प्रीलिम्स एग्जाम :`


विषय : सामान्य जागरूकता, अंग्रेजी, रीजनिंग और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड

टोटल मार्क्स : 200

प्रश्नों की संख्या : 150

प्रीलिम्स में सफल हुए उम्मीदवारों को मेन्स एग्जाम के लिए आमंत्रित किया जाएगा।


`मेन्स एग्जाम :`


विषय : रीजनिंग एबिलिटी एंड कंप्यूटर एप्टीट्यूड, इंग्लिश लैंग्वेज, क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड, जनरल, फायनेंशियल अवेयरनेस

टोटल मार्क्स : 200

प्रश्नों की संख्या : 190


`आवेदन करने का तरीका :`


ऑफिशियल वेबसाइट ibps.in पर जाएं।

होमपेज पर IBPS Clerk 15th भर्ती लिंक पर क्लिक करें।

अपनी जानकारी के साथ रजिस्‍ट्रेशन करें।

डॉक्‍यूमेंट्स अपलोड करें और फीस जमा करें।

भरे हुए फॉर्म का एक प्रिंट आउट ले लें।

सामान्य ज्ञान हरियाणा जीके GK online general study

Haryana GK इतिहास विषय 

हरियाणा से संबंधित संपूर्ण जानकारी CET 2025 हरियाणा जीके के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

इसमें रामू कवि किसान द्वारा बताया गया है कि हरियाणा की शुरुआत कैसे हुई, कैसे इसकी खोज हुई कैसे इसका नाम पड़ा कब इसकी स्थापना हुई, प्राचीन काल में किस नाम से जाना जाता था किन-किन ग्रंथों में विवरण मिलता है, और क्या-क्या घटनाएं हुई पूर्व में इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है और सभी तरह की हरियाणा की एचएसएससी और सेट हरियाणा के लिए बहुत ही उपयोगी हरियाणा सामान्य ज्ञान से संबंधित मटेरियल यहां पर मिलेगा।

आज के वक्त में बहुत से लोग बहुत सी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और खासकर हरियाणा के युवा बिना खर्च बिना पर्ची वाले सरकार आने से अब परीक्षाओं की तैयारी करने लगे हैं पढ़ाई शुरू कर दी है परंतु बहुत से लोगों के पास बढ़िया पदार्थ न होने के कारण है अपना समय खराब करते हैं और कीमती समय के बदले में उनका ज्ञान प्राप्त नहीं होता तो पुस्तक के माध्यम से कोशिश की गई है कि आपके संपूर्ण तरह का ज्ञान प्राप्त

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🎬 *71वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2025*


📅 *आयोजन तिथि*: 1 अगस्त 2025

📍 *स्थान*: नई दिल्ली


➤ *राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का आयोजन*

*➭ यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।*

*➭ सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा आयोजित किए जाते हैं।*

*➭ 1954 में स्थापित, ये भारत के सबसे प्रतिष्ठित और बहुप्रतीक्षित फिल्म पुरस्कार हैं।*


➤ *71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2025 विजेता सूची*

🔺 *सर्वश्रेष्ठ अभिनेता* – शाहरुख खान (जवान) और विक्रांत मैसी (12वीं फेल)

🔺 *सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री* – रानी मुखर्जी (मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे)

🔺 *सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म* – 12वीं फेल

🔺 *सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म* – कटहल: अ जैकफ्रूट मिस्ट्री

🔺 *सर्वाधिक लोकप्रिय फिल्म* – रॉकी और रानी की प्रेम कहानी

🔺 *सर्वश्रेष्ठ निर्देशन में डेब्यू फिल्म* – आशीष बेंडे (आत्मपॉम्फ्लेट)

🔺 *सर्वश्रेष्ठ फिल्म (तेलुगू)* – हनुमान

🔺 *सर्वश्रेष्ठ निर्देशन* – सुदीप्तो सेन (द केरल स्टोरी)




मोहम्मद गौरी, पृथ्वीराज चौहान और जयचंद का इतिहास भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और नाटकीय अध्यायों में से एक है। इनके बीच के युद्ध और रिश्तों ने भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया। यह इतिहास कई तथ्यों और लोककथाओं से भरा है। आइए इन सभी पहलुओं पर विस्तार से जानते हैं।

पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच का किस्सा

पृथ्वीराज चौहान (दिल्ली और अजमेर के शासक) और जयचंद (कन्नौज के राजा) दोनों ही शक्तिशाली राजपूत शासक थे। उनके बीच की दुश्मनी का मुख्य कारण जयचंद की पुत्री संयोगिता थीं।

 * प्रेम कहानी: इतिहास के अनुसार, पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता एक-दूसरे से प्रेम करते थे।

 * स्वयंवर: जयचंद ने अपनी पुत्री के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। उसने सभी राजाओं को आमंत्रित किया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उन्हें नहीं बुलाया। इसके बजाय, उसने पृथ्वीराज की मूर्ति को द्वारपाल के रूप में स्वयंवर के द्वार पर खड़ा करवाया।

 * अपहरण: संयोगिता ने सभी राजाओं को अस्वीकार कर दिया और पृथ्वीराज की मूर्ति के गले में वरमाला डाल दी। इसी समय, पृथ्वीराज चौहान अपनी सेना के साथ आए और भरे दरबार से संयोगिता का अपहरण कर लिया और उनसे विवाह किया।

इस घटना ने जयचंद को बहुत अपमानित महसूस कराया और उनकी पृथ्वीराज के प्रति दुश्मनी और बढ़ गई। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी दुश्मनी के कारण जयचंद ने पृथ्वीराज को हराने के लिए मोहम्मद गौरी का साथ दिया था।

मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच के युद्ध

मोहम्मद गौरी एक अफगान शासक था जिसने भारत पर आक्रमण करने का लक्ष्य रखा था। उसके और पृथ्वीराज चौहान के बीच दो प्रमुख युद्ध हुए, जिन्हें तराइन का युद्ध कहा जाता है। ये युद्ध हरियाणा के करनाल के पास तराइन नामक स्थान पर हुए थे।

1. तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई.)

 * स्थान: तराइन (आधुनिक तरौड़ी, हरियाणा)।

 * पक्ष: पृथ्वीराज चौहान की सेना और मोहम्मद गौरी की सेना।

 * परिणाम: इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की सेना ने मोहम्मद गौरी को करारी शिकस्त दी। गौरी बुरी तरह घायल हुआ और उसे मैदान छोड़कर भागना पड़ा। पृथ्वीराज ने उदारता दिखाते हुए उसका पीछा नहीं किया, जिसे कुछ इतिहासकार उनकी बड़ी भूल मानते हैं।

2. तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ई.)

 * स्थान: तराइन।

 * पक्ष: पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी।

 * परिणाम: प्रथम युद्ध की हार का बदला लेने के लिए गौरी ने एक साल बाद फिर से हमला किया। इस बार उसने पूरी तैयारी के साथ हमला किया। माना जाता है कि जयचंद ने इस युद्ध में गौरी का साथ दिया था।

 * गौरी की रणनीति: गौरी ने छल और नई युद्ध रणनीति का सहारा लिया। उसने रात में पृथ्वीराज की सेना पर हमला किया और उन्हें हैरान कर दिया। इसके अलावा, उसकी घुड़सवार सेना और तीरंदाजों ने राजपूत सेना को काफी नुकसान पहुंचाया।

 * पृथ्वीराज की हार: इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार हुई और उन्हें बंदी बना लिया गया। यह युद्ध भारतीय इतिहास का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद भारत में मुस्लिम शासन का रास्ता खुल गया।

मोहम्मद गौरी और जयचंद के बीच का युद्ध

तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद, गौरी ने अपने रास्ते में आने वाली अन्य शक्तियों को खत्म करने का फैसला किया। उसकी अगली चुनौती जयचंद थे।

 * चंदावर का युद्ध (1194 ई.)

 * स्थान: चंदावर (आधुनिक फ़िरोज़ाबाद के पास)।

 * पक्ष: मोहम्मद गौरी और जयचंद।

 * परिणाम: इस युद्ध में गौरी ने जयचंद को पराजित किया। जयचंद मारे गए और उनकी सेना हार गई। इस युद्ध के बाद गौरी ने कन्नौज और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अपना कब्जा जमा लिया।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और लोककथाएं

 * पृथ्वीराज की मृत्यु: तराइन के द्वितीय युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बारे में कई अलग-अलग मत हैं।

   * कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पृथ्वीराज को तुरंत मार दिया गया था।

   * एक अन्य लोकप्रिय लोककथा, जिसे पृथ्वीराज रासो में वर्णित किया गया है, के अनुसार, पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गजनी ले जाया गया था। वहां उन्होंने अपने दरबारी कवि चंदबरदाई के कहने पर, एक शब्दभेदी बाण से गौरी को मार डाला था। यह कहानी बहुत प्रसिद्ध है, लेकिन इसे ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह से प्रमाणित नहीं माना जाता।

 * जयचंद की उपाधि: जयचंद को अक्सर "भारत का गद्दार" कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ गौरी का साथ दिया था। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जयचंद ने गौरी का साथ नहीं दिया था और यह सिर्फ एक लोककथा है। उनका कहना है कि दोनों शासक अपने-अपने राज्य के स्वतंत्र शासक थे और उनके बीच प्रतिद्वंदिता होना स्वाभाविक था।

इन तीनों शासकों के जीवन, युद्धों और रिश्तों ने भारतीय इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। इन घटनाओं ने भारत में इस्लामी शासन की नींव रखी और एक नए युग की शुरुआत की।

शब्दभेदी बाण वाली घटना, जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने अंधे होकर मोहम्मद गौरी को मारा था, एक बहुत ही लोकप्रिय कहानी है। यह मुख्य रूप से चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य "पृथ्वीराज रासो" पर आधारित है। हालांकि, अधिकांश इतिहासकार इस कहानी को काल्पनिक या अतिशयोक्तिपूर्ण मानते हैं। इसके पीछे कई आधार हैं:

1. समकालीन ऐतिहासिक स्रोतों का अभाव

 * गौरी के समकालीन इतिहासकार: मोहम्मद गौरी के साथ आए या उसके समय के इतिहासकारों, जैसे मिन्हाज-उस-सिराज जुजजानी ने अपनी पुस्तक "तबकात-ए-नासिरी" में तराइन के युद्ध और उसके बाद की घटनाओं का विस्तृत वर्णन किया है। इस किताब में कहीं भी पृथ्वीराज द्वारा गौरी को मारे जाने का उल्लेख नहीं है। बल्कि इसमें लिखा है कि पृथ्वीराज को युद्ध के मैदान में बंदी बना लिया गया था और कुछ समय बाद उन्हें मार दिया गया।

 * अन्य मुस्लिम स्रोत: उस समय के अन्य मुस्लिम इतिहासकारों ने भी इसी तरह की जानकारी दी है, जिनमें गौरी की मृत्यु का कारण खोखरों के साथ एक झड़प में घायल होना बताया गया है, न कि पृथ्वीराज के बाण से।

2. पृथ्वीराज रासो की रचना का समय

 * रचना का काल: "पृथ्वीराज रासो" की रचना 16वीं शताब्दी या उससे भी बाद में हुई मानी जाती है। यह घटना के समय से सैकड़ों साल बाद की है।

 * अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन: रासो में कई स्थानों और घटनाओं का अतिशयोक्तिपूर्ण और काल्पनिक वर्णन मिलता है, जो इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज की बजाय एक साहित्यिक कृति के रूप में स्थापित करता है। कवि ने अपने नायक की वीरता को बढ़ाने के लिए इस कहानी को गढ़ा हो सकता है।

3. पुरातात्विक साक्ष्य और शिलालेख

 * गौरी की मृत्यु: गौरी की मृत्यु का स्थान और कारण ऐतिहासिक रूप से स्थापित हैं। उसकी मृत्यु 1206 ईस्वी में हुई थी, जब वह खोखरों के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था। उसे वर्तमान पाकिस्तान के झेलम नदी के पास दम्यक नामक स्थान पर दफनाया गया था। यह तथ्य इस बात का खंडन करता है कि उसे पृथ्वीराज ने मारा था।

 * पृथ्वीराज के सिक्के: कुछ सिक्के और शिलालेख पृथ्वीराज की हार के बाद भी उनके नाम से जारी किए गए थे, लेकिन उन पर "श्री मुहम्मद बिन शाम" भी लिखा हुआ था। इसका मतलब यह हो सकता है कि उन्हें कुछ समय के लिए गौरी के अधीन शासक के रूप में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्होंने विद्रोह किया और उन्हें मार दिया गया।

4. साहित्यिक उद्देश्य

 * नायक का महिमामंडन: "पृथ्वीराज रासो" एक महाकाव्य है जिसका मुख्य उद्देश्य अपने नायक पृथ्वीराज चौहान की महानता, वीरता और बलिदान को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना था। शब्दभेदी बाण की कहानी इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक आदर्श कथा थी, जो एक हारे हुए नायक को अंतिम क्षणों में भी विजयी दिखाती है।

 * मनोरंजन और प्रेरणा: लोककथाएं और महाकाव्य अक्सर ऐतिहासिक तथ्यों की बजाय मनोरंजन और प्रेरणा पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। यह कहानी लोगों के बीच पृथ्वीराज की वीरता को बनाए रखने और उन्हें प्रेरणा देने का काम करती रही है।

निष्कर्ष

शब्दभेदी बाण वाली कहानी एक ऐतिहासिक तथ्य नहीं, बल्कि एक लोकप्रिय लोककथा है। यह पृथ्वीराज चौहान की वीरता को दर्शाती है, लेकिन इसके ऐतिहासिक प्रमाणों का अभाव है। इतिहासकारों के बीच इस बात पर सर्वसम्मति है कि पृथ्वीराज की मृत्यु तराइन के द्वितीय युद्ध के बाद हुई थी, और मोहम्मद गौरी की मृत्यु उसके कई साल बाद किसी अन्य कारण से हुई थी। यह कहानी साहित्य और लोककथाओं का हिस्सा है, लेकिन ऐतिहासिक विश्लेषण के लिए इसे विश्वसनीय नहीं माना जा सकता।